जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉक और ग्राम स्तर पर गर्मी आते ही पानी के टैंकर दौड़ते नजर आते हैं। नगरनिगम, नगरपालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायत के अलावा निजी टैंकर भी शामिल होती हैं। इनका इस्तेमाल व्यवसायिक होता है। गौर करने वाली बात यह है कि किसी भी टैंकर पर रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज नहीं होता। केवल ट्रैक्टर के ऊपर रजिस्ट्रेशन नंबर होता है जिसके भरोसे ही टैंकर को सडक़ पर दौड़ाया जाता है, यह पूरी तरह नियमों के खिलाफ है। ट्रैक्टर को छोडक़र टैंकर का भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है, लेकिन एसा कोई करता नहीं, क्योंकि अभी तक परिवहन विभाग के अधिकारियों ने सख्ती नहीं दिखाई। नतीजा यह है कि पूरे जिले में पानी के टैंकर धड्ल्ले से बगैर रजिस्ट्रेशन के बेखौफ दौड़ रहे हैं। जिला मुख्यालय पर ही अधिकारियों की आंखों के सामने से होकर रोज ट्रैंकर निकलते हैं पर कार्रवाई नहीं होती।
लाखों रुपए की आमदानीनिजी टैंकर के संचालक हर साल गर्मी के दिनों में पानी सप्लाई कर लाखों रुपए की आमदानी करते हैं। शासन को राजस्व के नाम पर एक रुपया भी जमा नहीं किया जाता। परिवहन विभाग अगर कार्रवाई करता है तो नियमानुसार रजिस्ट्रेशन भी होगा जिससे शासन को शुल्क के रूप में बड़ी आए होगी। हालांकि आज तक परिवहन विभाग की टीम ने व्यवसायिक इस्तेमाल में लिए जा रहे पानी के टैंकर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। विभाग कुछ चिन्हित वाहनों के खिलाफ ही कार्रवाई करता है।