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WEATHER: मौसम में बदलाव, बूंदाबादी तो कहीं हुई बारिश

locationछिंदवाड़ाPublished: May 03, 2022 11:47:18 am

Submitted by:

ashish mishra

बादल छंट गए और तेज धूप से लोगों का सामना हुआ।

Weather changed in Hadoti : शाम को धूल भरी हवा चली, बूंदी में बारिश

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छिंदवाड़ा. शहर एवं आसपास के क्षेत्रों में सोमवार को पूरे दिन मौसम में कई बार बदलाव देखने को मिला। कुछ क्षेत्रों में बूंदाबादी तो कहीं बारिश हुई। इससे पहले सोमवार को सुबह से ही आसमान में काले बादल छाए हुए थे। जिससे लोगों के चेहरे खुशी से खिल गए। ऐसा लगा मानो तेज बारिश होगी और लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिलेगी। सुबह 11 बजे तक ऐसे ही मौसम बना रहा। दोपहर 12 बजे बादल छंट गए और तेज धूप से लोगों का सामना हुआ। लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। दोपहर तीन बजे के आसपास आसमान में काले बादल छा गए। शहर एवं आसपास के कुछ क्षेत्रों में बूंदाबादी एवं कुछ क्षेत्रों में बारिश हुई। कुछ देर के लिए ही सही लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली। हालांकि इसके बाद मौसम फिर से जस का तस हो गया। तेज हवाओं के साथ धूप-छांव का दौर शाम तक चलता रहा। वहीं रात में फिर से काले बादल छा गए। सोमवार को अधिकतम तापमान 41.5 डिग्री एवं न्यूनतम तापमान 24.3 डिग्री रिकॉर्ड की गई। मौसम विभाग ने 3 से 7 मई तक का मौसम का पूर्वानुमान जारी किया है। जिसके अनुसान आने वाले दिनों में मौसम में ऐसे ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। 3 एवं 5 मई को बारिश की संभावना जताई गई है। अधिकतम तापमान 42-43 डिग्री सेन्टीग्रेट एवं न्यूनतम तापमान 24-25 डिग्री. सेन्टीग्रेट के मध्य रहने की संभावना है। आने वाले दिनों में हवा पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम दिशाओं में बहने एवं 13-16 किमी प्रति घंटे की गति से चलने की संभावना है।
किसान कीट रोग से फसलों का करें बचाव
आगामी दिनों में मौसम में होने वाले बदलाव को देखते हुए किसानों को फसल पर सतत निगरानी करने तथा कीट-रोग से बचाव के उपाय करने की सलाह दी गई है। कृषि अनुसंधान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विजय पराडकऱ ने बताया कि किसान पकी हुई फसलों की कटाई उपरांत खेत में कच्चे अवशेषों को जलाएं नहीं बल्कि स्ट्रॉ रीपर, स्ट्रॉ चॉपर, रोटावेटर, प्लाऊ, कल्टीवेटर से जुताई कर भूमि में दबाएं उससे भूमि में जीवांश और पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ेगी तथा प्रदूषण भी नहीं होगा। उन्होंने बताया कि उच्च तापमान के कारण ग्रीष्म कालीन फसलों में वाष्पीकरण दर बहुत अधिक बढ़ जाती है । इसलिए, किसानों को कतार के बीच में वानस्पतिक पलवार या प्लास्टिक पलवार डालने की सलाह दी जाती है, ताकि वाष्पीकरण को कम कर सकें।

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