कुछ ऐसी मजबूरी कि भूख के लिए क्या गर्मी क्या नौतपा
छिंदवाड़ाPublished: May 31, 2019 05:38:57 pm
आदिवासी विकासखंड जुन्नारदेव वर्तमान में अपनी दुर्दशा को स्वयं ही बयां कर रहा है।
जुन्नारदेव. क्षेत्रफल की दृष्टि से जिले में सबसे बड़ा आदिवासी विकासखंड जुन्नारदेव वर्तमान में अपनी दुर्दशा को स्वयं ही बयां कर रहा है। विकासखंड में रोजगार के साधनों के अभाव के चलते लगातार लोग पलायन को मजबूर है। वहीं नगर में व्यापार का गिरता स्तर और मौसम की मार के चलते भी विकासखंड की हालात लगातार बद से बदतर होते जा रहे है।
ऐसे में बाजार क्षेत्र में गरीब ग्रामीण अपनी अजीविका चलाने के लिए भरी धूप में अपनी उपजों का विक्रय करने नगरीय क्षेत्र में कुछ पैसों मिलने की आस पहुंच रहे है। कहीं मजबूर मां अपने बच्चों का पेट पालने के लिए नौतपा के 44 डिग्री तापमान में लकड़ी का गट्ठा सिर पर रखकर नगर में आ रही है कि लकड़ी बेचकर बच्चे को दो वक्त की रोटी दे सकूं। नगर का यह नजारा उस समय और भी दयनीय दिखाई दिया जब मां के सिर से लकड़ी का गट्ठा उतारता बेटा छांव में मां के माथे से पसीना पोछता नजर आया। विकासखंड में अजीविका चलाने के लिए इस तरह के नजारे आम हो चले है।
नौतपा की धूप भी नहीं रोक पाई कदम: पेट की भूख और बच्चों की परवरिश एक गरीब मां को उनके बच्चों के लिए सोचने पर विवश करती है ऐसे में मां रोजाना जंगल में जाकर लकड़ी इक_ा कर उसे बाजार में बेचने पहुंचती है जहां पर बच्चे भी कदम से कदम मिलाकर निकल पड़ते है। मां जहां जंगल में भूखी प्यासी धूप में लकड़ी इक_ा कर भरी दोपहरी में इसे लेकर नगर में पहुंच रही है। जब इसका विक्रय करते समय लोग मोलभाव करते है तो तब मां और बेटे दोनों की मेहनत दम तोड़ती नजर आती है। मां जैसे-तैसे अपनी मेहनत को औने-पौने दामों में बेचकर बच्चे और परिवार के लिए दो वक्त का भोजन की व्यवस्था कर पाती है।