scriptये कैसी सुरक्षा, न मास्क है न सेनिटाइजर | What kind of protection, no mask or sanitizer | Patrika News

ये कैसी सुरक्षा, न मास्क है न सेनिटाइजर

locationछिंदवाड़ाPublished: Apr 05, 2020 05:42:24 pm

Submitted by:

SACHIN NARNAWRE

सिविल अस्पताल में उपचार कर रहे चिकित्सकों के बाद अब दूसरे प्रदेशों सहित इंदौर से आए लोगों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी सुविधाओं का अभाव सामने आया है।

ये कैसी सुरक्षा, न मास्क है न सेनिटाइजर

ये कैसी सुरक्षा, न मास्क है न सेनिटाइजर

पांढुर्ना. सिविल अस्पताल में उपचार कर रहे चिकित्सकों के बाद अब दूसरे प्रदेशों सहित इंदौर से आए लोगों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी सुविधाओं का अभाव सामने आया है। इन लोगों को शहर के सरकारी स्कुलों और छात्रावासों में रखा गया है। इन लोगों के लिए प्रशासन द्वारा मुहैया की जाने वाली सुविधाओं में जरूरी माने जाने वाली सुविधा ही नदारद है।
प्रवासियों के लिए छात्रावासों में न तो मास्क है न ही सेनिटाइजर उपलब्ध कराया गया है। ऐसे में इनकी सुरक्षा कैसे होगी यह सवाल खड़ा हो गया है। शहर के शासकीय लाल बहादुर माध्यमिक शाला सहित आदिवासी बालक छात्रावास और अनुसूचित जाति, बालक छात्रावास में ठहरे हुए लोगों के सुरक्षा के उपाय नाकाफी है। आदिवासी बालक छात्रावास नागपुर रोड पर इंदौर के राउ से पहुंचे परिवार ने बताया कि यहां भोजन पानी की सुविधा अच्छी हैं। हाथ धोने के लिए हैडवॉश है। इसी तरह अनुसूचित जाति बालक छात्रावास ब्राम्हनी में ठहरे लोगों ने बताया कि उन्हें भी यही सुविधा दी जा रही है। इसी तरह इन लोगों की सुविधा में जुटे अधिकारियों के लिए भी कोई उपाय नहीं किये जा सके है।
माध्यमिक शाला में है बुरे हाल : राजस्थान से लौटे मजदूरों को लाल बहादुर माध्यमिक शाला में ठहराया गया है। यहां पर पहले दिन एक वक्त का भोजन मिला। सुबह नाश्ता मिला लेकिन दोपहर का भोजन पुड़ी, सब्जी सामाजिक संस्था की ओर से दिया गया जिससे इनका पेट नहीं भरा। वे मजदूर वर्ग के है और उन्हें भरपेट भोजन लगता है लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। यहां के प्रधानपाठक जीबी हांडे ने बताया कि रात के भोजन के लिए एनजीओ की महिलाओं को लगाया गया है।
मॉस्क और सेनिटाईजर क्यो जरूरी नहीं
एहतियात के तौर पर ठहराए गए लोगों के लिए मॉस्क और सेनिटाइजर क्यों जरूरी नहीं है यह सवाल किया जा रहा है। प्रशासन इन्हें आखिर कैसे सुरक्षित रख रहा है। जबकि दूसरे प्रदेशों से आने वाले लोगों में ही इस बात का खतरा सर्वाधिक है। ठहरे हुए लोगों ने भी इस समस्या पर ध्यानाकर्षण कराया है कि उन्हें रखा जा रहा है तो फिर सुरक्षा उपाय भी प्रदान किए जाएं।

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