छिंदवाड़ाPublished: May 04, 2019 01:26:28 am
prabha shankar
30 दिनों में तीन हजार किसान भी नहीं पहुंचे
Wheat purchase in chhindwara
छिंदवाड़ा. समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी इस बार जिले में गड़बड़ा सकती है। जिले के किसानों की सरकार को गेहूं बेचने में रुचि नहीं दिख रही है।
पिछले वर्ष आज दिनांक तक 47 हजार 500 मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं सरकारी गोदामों तक आ चुका था, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 20 हजार मीट्रिक टन भी नहीं पहुंच पाया है। खरीदी को 38 दिन हो गए हैं और बचे हैं सिर्फ 22 दिन। इतने दिनों में लक्ष्य एक लाख 20 हजार मीट्रिक टन की खरीदी तक पहुंच पाना असम्भव दिख रहा है।
इस बार सरकारी गोदामों में कमजोर खरीदी के दो कारण बताए जा रहे हैं। एक तो उत्पादन का कम होना और दूसरा खुले बाजार में गेहूं के दाम किसानों को ज्यादा मिलना।
इस बार जिले में पानी की कमी के कारण गेहूं का रकबा कम हुआ है। बमुश्किल सवा लाख हैक्टेयर में ही गेहूं की फसल बोई गई है। इस कारण उत्पादन भी कम हुआ है। पानी न होने के कारण किसानों ने रबी की इस महत्वपूर्ण फसल को बोने के बजाए अपने खेतों को खाली छोडऩा पसंद किया। जिले में मुख्य उत्पादक क्षेत्र, मोहखेड़, बिछुआ, छिंदवाड़ा और चौरई में भी इस बार किसानों ने इसे बोने का खतरा नहीं उठाया।
गेहूं की कमी होने के कारण खुले बाजार में इसकी डिमांड बढ़ती दिखाई दे रही है। व्यापारी वर्तमान में 2000 रुपए प्रति क्विंटल तक के दाम पर किसानों से गेहूं खरीद रहे हैं। यहां अच्छे दाम मिलने के कारण किसान सरकार के खरीदी केंद्रों तक नहीं जा रहे हैं। समर्थन मूल्य पर उन्हें सिर्फ 1840 रुपए प्रति क्विंटल के मिल रहे हैं।
पिछले वर्ष हुई थी 15 लाख 96 हजार क्विंटल की खरीदी
पिछले साल जिले की सहकारी समितियों के माध्यम से हुई खरीदी में एक लाख 59 हजार मीट्रिक टन क्विंटल गेहूं खरीदा गया था। इस बार तो आंकड़ा एक लाख मीट्रिक टन भी पहुंचता नहीं दिख रहा है। अभी तक सिर्फ 17 हजार मीट्रिक टन गेहूं ही गोदामों में आया है। इस बार 63 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने का पंजीयन कराया, लेकिन उसमें से पांच प्रतिशत किसानों ने भी रुचि नहीं ली। गुरुवार तक 2860 किसानों के गेहूं बेचने की जानकारी मिली है।