छिंदवाड़ाPublished: Jun 26, 2019 11:44:11 am
manohar soni
साठ की दशक की बिल्डिंग में नहीं किए इंतजाम,दूसरे दफ्तरों में वर्षा जल सहेजने के उपाय न के बराबर
जहां से निकले आदेश,उसमें नहीं लगा ये सिस्टम..जानिए
छिंदवाड़ा.वर्षा जल सहेजने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार करने के आदेश भले ही कलेक्टर ने जारी कर दिए हो लेकिन सरकारी विभाग उसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हालत यह है कि जिस कलेक्ट्रेट की बिल्डिंग से यह फरमान जारी हुआ,उसमें ही एक आदर्श रेनवाटर सिस्टम अभी तक नहीं बनाया गया है। इससे दूसरे दफ्तरों की मैदानी स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पिछले एक माह की समय सीमा बैठक के मिनिट्स पर नजर डालें तो कलेक्टर श्रीनिवास शर्मा ने दो चीजों पर विशेष रूप से जोर दिया है। एक-हर दफ्तर में रेनवाटर हावेस्टिंग सिस्टम और दूसरा-बाउंड्रीवाल में पौधरोपण की तैयारी। इस दिशा-निर्देश के अमल को देखने पत्रिका टीम ने कलेक्ट्रेट बिल्डिंग से ही शुरुआत की। देखने पर पता चला कि वर्ष 1959 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू के हाथों लोकार्पित इस बिल्डिंग में अभी तक आदर्श रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं बनाया गया है। इस दौरान कलेक्टर आते-जाते गए। कभी किसी ने सिस्टम को विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया। इस उदासीनता के चलते दूसरे विभागों के अधिकारियों ने भी कभी प्रेरणा नहीं ली। अब जबकि बिगड़ते पर्यावरण और मौसम चक्र से वर्षा जल को सहेजने की जिम्मेदारी हर किसी पर आन पड़ी है तो अधिकारियों को सिस्टम तैयार करने में रोना आ रहा है। किसी भी विभाग में चले जाओ,वे सबसे पहले बजट का रोना रख देंगे। फिर टालमटोली करते-करते बारिश का मौसम निकल जाएगा। फिर यह मामला फाइलों की तरह दब जाएगा।
कलेक्ट्रेट परिसर में मुख्य बिल्डिंग के अलावा जिला पंचायत,खनिज विभाग,पंजीयन,कृषि,एसडीएम,तहसील,शहरी विकास अभिकरण,रिकार्ड रुम समेत अन्य दफ्तरों की अलग बिल्डिंग है,जहां भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एकाध अपवाद को छोडकऱ नहीं मिलेगा। फिर खजरी रोड के पीएचई,पीडब्ल्यूडी,स्वास्थ्य और वन विभाग तथा परासिया रोड में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दफ्तरों के भी यहीं हाल बताए जा रहे हैं। केवल नगर निगम के मुख्य ऑफिस में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होने का दावा किया गया है। कहा जा रहा है कि वर्षा जल को संरक्षित करने में जब सरकारी अधिकारी इतने उदासीन है तो फिर आम जनता को कैसे समझाया जा सकेगा,यह चिंतनीय सवाल है।
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निगम का रिकार्ड: 8 सौ मकानों में तीन सौ में सिस्टम
नगर निगम का रिकार्ड चौंकानेवाला हैं कि वर्ष 2018-19 में करीब 8 सौ मकानों को निर्माण की स्वीकृति के आर्डर दिए गए। इनमें से तीन सौ ने ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का दावा किया। शेष ने रकम भरकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। इससे आम जनता की जागरुकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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अभी भी कर लो यह यह उपाय
वर्षा ऋतु में बरसाती पानी को हैण्डपम्प, बोरवेल या कुएँ के माध्यम से भूगर्भ में डाला जा सकता है। वर्षाजल संचित करने (वाटर हार्वेस्टिंग) के दो तरीके हैं। 1. छत के बरसाती पानी को गड्ढे या खाई के जरिए सीधे ज़मीन के भीतर उतारना। 2. छत के पानी को किसी टैंक में एकत्र करके सीधा उपयोग में लेना। एक हजार वर्ग फुट की छत वाले छोटे मकानों के लिए यह तरीका बहुत ही उपयुक्त है।
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छोटी सी छत से उतरता है एक लाख लीटर पानी
एक बरसाती मौसम में छोटी छत से लगभग एक लाख लीटर पानी ज़मीन के अन्दर उतारा जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले ज़मीन में 3 से 5 फुट चौड़ा और 5 से 10 फुट गहरा गड्ढा बनाना होता है। छत से पानी एक पाइप के जरिए इस गड्ढे में उतारा जाता है। खुदाई के बाद इस गड्ढे में सबसे नीचे मोटे पत्थर (कंकड़), बीच में मध्यम आकार के पत्थर (रोड़ी) और सबसे ऊपर बारीक़ रेत या बजरी डाल दी जाती है। यह विधि पानी को छानने (फिल्टर करने) की सबसे आसान विधि है। यह सिस्टम फिल्टर का काम करता है।
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