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शहर में जल संकट के लिए कौन कितना दोषी..जानिए

locationछिंदवाड़ाPublished: Aug 28, 2017 11:58:00 am

Submitted by:

manohar soni

पुरानी पाइपलाइन से प्रतिदिन 30 फीसदी पानी घरों में पहुंचने से पहले नालियों में बह जाता है।

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pani

 

छिंदवाड़ा केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा तीन वर्ष पहले स्वीकृत 45 करोड़ रुपए की जल आवर्धन योजना की नई पाइपलाइन से समय पर पेयजल का वितरण समय पर शुरू हो जाता तो शहर को पेयजल संकट से कुछ हद तो बचाया जा सकता था। वह इसलिए कि पुरानी पाइपलाइन से प्रतिदिन 30 फीसदी पानी घरों में पहुंचने से पहले नालियों में बह जाता है। इसके अलावा कन्हरगांव डैम से भरतादेव फिल्टर प्लांट तक पुरानी ग्रेविटी पाइपलाइन में लीकेज तथा सार्वजनिक नलों के खुले होने की समस्या अलग है। इनका समाधान नगर निगम कर दे तो एक अच्छी प्लानिंग के तहत अगली गर्मी तक पानी का व्यवस्थित वितरण किया जा सकता है।
शहर के हर नागरिक के लिए सोमवार 28 अगस्त का दिन बड़ा आश्चर्य मिश्रित होगा कि झमाझम बारिश के दौर में उनके घर में लगे नलों में पानी नहीं आएगा। इससे कुछ लोगों को बर्तन लेकर हैंडपम्प में जाना पड़ेगा या फिर उपलब्ध पानी में ही गुजारा करना पड़ेगा। नगर निगम ने इस दिन से एक दिन के अंतराल में पानी देने का फैसला किया है। इस समस्या के जिम्मेदार कारणों की पत्रिका ने पड़ताल की।
प्रतिदिन पांच एमएलडी पानी बर्बाद
कन्हरगांव डैम 1986 में बना था। उस समय की पाइपलाइन शहर में मौजूद है। समय के साथ ये जर्जर हो गई है। उनसे पानी आपूर्ति होने से 30 फीसदी यानि कुल आपूर्ति 21 एमएलडी का करीब पांच एमएलडी पानी नालियों में बह जाता है। गंदे पानी की समस्या इसी वजह से है।


वर्षों पुरानी है जल आपूर्ति की पाइपलाइन
वर्तमान में जिस पाइपलाइन से शहर में जलआपूर्ति की जा रही है उसमें जगह-जगह लीकेज हो गए हैं। इससे काफी पानी व्यर्थ बह रहा है। इसका खुलासा तब हुआ, जब फरवरी २०१७ में कर्मचारियों ने इस पाइपलाइन के नीचे खुदाई की। इसी दौरान पाइपलाइन के मोड़ साइफन में भी सिल्ट(गाद) जमा मिली थी।

बिना टोटी के हैं सार्वजनिक नल
शहर के निचले इलाकों के रहवासी क्षेत्र में लगाए गए नल बिना टोटी के भी हैं। यहां निगम टोटी लगा भी दे तो लोग उसे गायब कर देते हैं। इससे पानी नलों से व्यर्थ नालियों में बह जाता है। इस पर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इसके साथ ही टोटी ले जानेवालों को दण्डित किया जाए तो भी पानी को बचाया जा सकता है। शहर में २८ हजार नल कनेक्शन है।

संकट गहराया तो माचागोरा का सहारा
नगर निगम के अधिकारी मान रहे हैं कि शहर में जनवरी-फरवरी में संकट गहराया तो माचागोरा बांध से पानी का परिवहन किया जा सकता है। हालांकि 77 करोड़ रुपए की अमृत योजना के तहत इस बांध के पानी को शहर लाने की कार्ययोजना पर अमल शुरू हो गया है। फिलहाल इस ग्रेविटी लाइन को 21 किलोमीटर दूर से जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए निर्माण एजेंसी पर दबाव भी बनाया जाएगा। नगर निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र मिगलानी का मानना है कि पाइप लाइन बिछाने व फिल्टर प्लांट बनने में समय लगेगा। फिलहाल निगम का जोर पानी को बचाने पर रहेगा। जरूरत पड़ी तो बांध के करीबी स्थान से परिवहन कराया जा सकता है।

नई पाइपलाइन की टेस्टिंग होना शेष
यह सही है कि पुरानी पाइपलाइन से 30 फीसदी पानी लीकेज के चलते घरों तक नहीं पहुंच पाता है। जल आवर्धन योजना की नई पाइपलाइन की टेस्टिंग होना शेष है। इसमें मैदानी स्तर पर समस्याएं आ रहीं हैं। निगम इसके लिए प्रयासरत है। फि़लहाल 28 अगस्त से एक दिन के अंतराल में पानी दिया जाएगा।
विवेक चौहान
प्रभारी अधिकारी,जल प्रदाय विभाग,नगर निगम

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