वर्षों पुरानी है जल आपूर्ति की पाइपलाइन
वर्तमान में जिस पाइपलाइन से शहर में जलआपूर्ति की जा रही है उसमें जगह-जगह लीकेज हो गए हैं। इससे काफी पानी व्यर्थ बह रहा है। इसका खुलासा तब हुआ, जब फरवरी २०१७ में कर्मचारियों ने इस पाइपलाइन के नीचे खुदाई की। इसी दौरान पाइपलाइन के मोड़ साइफन में भी सिल्ट(गाद) जमा मिली थी।
बिना टोटी के हैं सार्वजनिक नल
शहर के निचले इलाकों के रहवासी क्षेत्र में लगाए गए नल बिना टोटी के भी हैं। यहां निगम टोटी लगा भी दे तो लोग उसे गायब कर देते हैं। इससे पानी नलों से व्यर्थ नालियों में बह जाता है। इस पर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इसके साथ ही टोटी ले जानेवालों को दण्डित किया जाए तो भी पानी को बचाया जा सकता है। शहर में २८ हजार नल कनेक्शन है।
संकट गहराया तो माचागोरा का सहारा
नगर निगम के अधिकारी मान रहे हैं कि शहर में जनवरी-फरवरी में संकट गहराया तो माचागोरा बांध से पानी का परिवहन किया जा सकता है। हालांकि 77 करोड़ रुपए की अमृत योजना के तहत इस बांध के पानी को शहर लाने की कार्ययोजना पर अमल शुरू हो गया है। फिलहाल इस ग्रेविटी लाइन को 21 किलोमीटर दूर से जोडऩे का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए निर्माण एजेंसी पर दबाव भी बनाया जाएगा। नगर निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र मिगलानी का मानना है कि पाइप लाइन बिछाने व फिल्टर प्लांट बनने में समय लगेगा। फिलहाल निगम का जोर पानी को बचाने पर रहेगा। जरूरत पड़ी तो बांध के करीबी स्थान से परिवहन कराया जा सकता है।
नई पाइपलाइन की टेस्टिंग होना शेष
यह सही है कि पुरानी पाइपलाइन से 30 फीसदी पानी लीकेज के चलते घरों तक नहीं पहुंच पाता है। जल आवर्धन योजना की नई पाइपलाइन की टेस्टिंग होना शेष है। इसमें मैदानी स्तर पर समस्याएं आ रहीं हैं। निगम इसके लिए प्रयासरत है। फि़लहाल 28 अगस्त से एक दिन के अंतराल में पानी दिया जाएगा।
विवेक चौहान
प्रभारी अधिकारी,जल प्रदाय विभाग,नगर निगम