एक दूसरे के बिना गृहस्थी की कल्पना नहीं
गुलाबरा निवासी दीपिका रस्तोगी कहती हैं कि भगवान भोलेनाथ का अर्धनारीश्वर स्वरूप जिसमें पति पत्नी को एक दूसरे का पूरक बताया गया है। इस अर्धनारीश्वर स्वरूप से यह बात तो आसानी से समझी जा सकती है कि बिना पति के पत्नी और बिना पत्नी के पति पूर्ण नहीं हैं। एक दूसरे के बिना गृहस्थी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गृहस्थी ही वह सबसे छोटी इकाई है जिससे इस संसार का निर्माण होता है। नई पीढ़ी इस सुंदर धरती पर हंसती खिलखिलाती है और जीवन चक्र अविरल रूप से चलता रहता है। चाहे कोई भी देश हो, कोई भी धर्म हो, समाज हो या जगह हो, घर की धुरी पत्नी ही होती है। पत्नी घर की जान होती हैं। घर की आत्मा होती है। पति का पूरा भविष्य उसकी पत्नी के हाथों में ही टिका रहता है। उसके आने वाली पीढिय़ों की जननी बस वही होती है।
गुलाबरा निवासी दीपिका रस्तोगी कहती हैं कि भगवान भोलेनाथ का अर्धनारीश्वर स्वरूप जिसमें पति पत्नी को एक दूसरे का पूरक बताया गया है। इस अर्धनारीश्वर स्वरूप से यह बात तो आसानी से समझी जा सकती है कि बिना पति के पत्नी और बिना पत्नी के पति पूर्ण नहीं हैं। एक दूसरे के बिना गृहस्थी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गृहस्थी ही वह सबसे छोटी इकाई है जिससे इस संसार का निर्माण होता है। नई पीढ़ी इस सुंदर धरती पर हंसती खिलखिलाती है और जीवन चक्र अविरल रूप से चलता रहता है। चाहे कोई भी देश हो, कोई भी धर्म हो, समाज हो या जगह हो, घर की धुरी पत्नी ही होती है। पत्नी घर की जान होती हैं। घर की आत्मा होती है। पति का पूरा भविष्य उसकी पत्नी के हाथों में ही टिका रहता है। उसके आने वाली पीढिय़ों की जननी बस वही होती है।
पति को इन बातों को भी होगा समझना
सिविल लाइन निवासी स्वेता शक्रवार कहती हैं कि शादी से पहले लडक़ी की जिंदगी बिल्कुल अलग होती है। वह एक आजाद पंछी की तरह होती है जिसकी कोई जिम्मेदारी नही होती है। हर चीज उसकी अपनी पसंद व नापसंद से ही होती है, क्योंकि वह मां बाप की परी होती है। दुनिया की हर चिंता से बेफिक्र अपनी हसीन दुनिया में खोई रहती है। जिस में न कोई समझौता, न कोई जिम्मेदारी लेने की गुंजाइश होती है। मगर शादी होते ही एक पल में उसकी जिंदगी बदल जाती है। शादी के अगले दिन से ही वह कई सारी भूमिकाओं में आ जाती है। वह बड़ी सहजता से हर भूमिका को निभाने लगती है। अपने देश में अधिकतर लड़कियां इसी तरह से अपने जीवन की शुरुआत करती हैं।
सिविल लाइन निवासी स्वेता शक्रवार कहती हैं कि शादी से पहले लडक़ी की जिंदगी बिल्कुल अलग होती है। वह एक आजाद पंछी की तरह होती है जिसकी कोई जिम्मेदारी नही होती है। हर चीज उसकी अपनी पसंद व नापसंद से ही होती है, क्योंकि वह मां बाप की परी होती है। दुनिया की हर चिंता से बेफिक्र अपनी हसीन दुनिया में खोई रहती है। जिस में न कोई समझौता, न कोई जिम्मेदारी लेने की गुंजाइश होती है। मगर शादी होते ही एक पल में उसकी जिंदगी बदल जाती है। शादी के अगले दिन से ही वह कई सारी भूमिकाओं में आ जाती है। वह बड़ी सहजता से हर भूमिका को निभाने लगती है। अपने देश में अधिकतर लड़कियां इसी तरह से अपने जीवन की शुरुआत करती हैं।
प्यार और स्नेह हरेक रिश्ते की नींव
सभी महिलाएं अपने रिश्तों में स्नेह और दुलार तलाशती हैं। प्यार के दो बोल महिलाओं को मोम बना देती हैं। पत्नियों की दिनचर्या परिवार से शुरु होती है और परिवार पर ही खत्म होती है। यह अच्छा लगता है कि हम पत्नियों के लिए भी एक खासदिन है।
समीधा, गृहिणी
सभी महिलाएं अपने रिश्तों में स्नेह और दुलार तलाशती हैं। प्यार के दो बोल महिलाओं को मोम बना देती हैं। पत्नियों की दिनचर्या परिवार से शुरु होती है और परिवार पर ही खत्म होती है। यह अच्छा लगता है कि हम पत्नियों के लिए भी एक खासदिन है।
समीधा, गृहिणी
हर पत्नियों की कोई छुट्टी नहीं होती। हर दिन हम एक नई ऊर्जा के साथ परिवार के कामकाज में लग जाते हैं। एक महिला के लिए सबसे बड़ी औषधी तारीफ होती है।
ममता चौहान, गृहिणी
हर महिला की पहली प्राथमिकता घर-गृहस्थी ही होती है। इसके बाद ही उसके अपने सपने। पत्नियों के लिए एक खास दिन बनाया गया है। यह जानकर अच्छा लगता है।
नैनसी मैद, गृहिणी
नैनसी मैद, गृहिणी