डेढ़ माह पहले ही 24 नवम्बर 2021 को शिवराज सरकार ने पिछली कमलनाथ सरकार के समय वर्ष 2019 में पंचायत, जनपद और जिला पंचायत के परिसीमन आदेश को पलट दिया था और 2014 का परिसीमन और आरक्षण को यथावत् रखा था। इसके बाद मामला कोर्ट पहुंच गया। आखिर ओबीसी आरक्षण विवाद में पंचायत चुनाव निरस्त हो गए। दोबारा पंचायत परिसीमन प्रक्रिया के आदेश होने पर ग्रामीण नेताओं की जुबां पर यह विषय आ गया है। चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं की नजर पंचायत, जनपद और जिला पंचायतों के वार्ड पर हैं। नए परिसीमन से ही उनके चुनाव लडऩे का भविष्य तय होगा।
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दो साल पुराना यह था परिसीमन का रिकार्ड
जिला पंचायत के मुताबिक वर्ष 2014 में 784 पंचायतें अस्तित्व में थी। 2019 में जून से लेकर अक्टूबर तक चली पंचायतों की परिसीमन प्रक्रिया में जिले में ढाई हजार की आबादी का मापदण्ड तय करने से 22 नई पंचायतें अस्तित्व में आ गई थी। इसी तरह जनपद और जिला पंचायत के क्षेत्र में भारी फेरबदल किया गया था। इससे जिले में 806 पंचायतों में 12229 पंच,806 सरपंच, 11 जनपदों में 225 जनपद सदस्य और 26 जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र नई सीमाओं के साथ अस्तित्व में आ गए थे। नवम्बर में इस आदेश को निरस्त करने से सात साल पुरानी स्थिति बन गई थी।
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पहले परिसीमन, उसके बाद बनेगी मतदाता सूची
राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा ग्राम पंचायत एवं उनके वार्डों के परिसीमन की कार्रवाई के बाद मतदाताओं को उनके क्षेत्र अनुसार यथा स्थान प्रविष्ट किया जाकर ग्राम पंचायत की मतदाता सूची का प्रकाशन एवं अनुवर्ती कार्रवाई की जाएगी। मतदाता सूची 1 जनवरी 2022 के आधार पर तैयार की जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि परिसीमन और मतदाता सूची बनने के बाद पंचायत चुनाव की प्रक्रिया अप्रैल-मई में शुरू हो सकती है। यह सब कोरोना की तीसरी लहर के नियंत्रण में ही संभव हो सकेगा।