विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के उपलक्ष्य पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन छिंदवाड़ा के सचिव डॉ. सुधीर शुक्ला ने बताया कि तम्बाकू से होने वाली समस्याओं पर लोगों को जागरूक करने के लिए विगत कई वर्षों से डब्ल्यूएचओ समेत सामाजिक संगठनों ने प्रयास किए, जिसके परिणाम से करीब 30 प्रतिशत तम्बाकू उपयोग में कमी आई है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक प्रतिवर्ष भारत में 7300 लोग धम्रपान नहीं करने, लेकिन परिवार या अन्य माध्यमों से तम्बाकू का धुआं लेते है। कार्बन मोनो आक्साइड का धुआं गर्भवती महिला तक पहुंचता है तो गर्भ में पल रहे बच्चे को भी उतना ही नुकसान पहुंचता है।
1.3 मिलियन लोगों की हो रही असमय मौत – तम्बाकू उत्पादों का बढ़ता उपयोग विश्व में लोगों की असमय मौत की वजह है। मध्यप्रदेश स्वास्थ्य संचालनालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत में तम्बाकू के उत्पाद से प्रतिवर्ष 1.3 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हो रही है। मध्यप्रदेश में कुल 50.2 प्रतिशत पुरुष तथा 17.3 प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू सेवन करती है। साथ ही 24.7 प्रतिशत वयस्क सार्वजनिक जगहों पर अप्रत्याक्षित धूम्रपान के सम्पर्क में आते है।
शरीर के इन अंगों पर पड़ता है प्रभाव –
तम्बाकू उपयोग से लोगों के फेफड़े प्रभावित होते है जैसे फेफड़ों का कैंसर, श्वसन तंत्र की बीमारी, गर्भावस्था में शिशु को अस्थमा, निमोनिया, ब्रोन्काइटिस, बार-बार श्वसन तंत्र का संक्रमण एवं क्षय रोग आदि शामिल है।