अब उसे कम्पोनेंट कर सीरम (प्लाजा), प्लेटलेट तथा आरबीसी पैक सेल अलग-अलग किया जाएगा और आवश्यकता के अनुसार सम्बंधित मरीज को दिया जाएगा। ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रक्रिया के दौरान डोनर का ब्लड दो पैकेड में एकत्रित किया जाता है। इसके बाद कम्पोनेंट यूनिट में ब्लड को तीन तरह से बांट दिया जाता है।
पैथालॉजी प्रभारी अशोक तायवाडे़ ने बताया कि कम्पोनेंट यूनिट की शुरुआत जिला अस्पताल में हो गई है तथा आवश्यक मशीन भी स्थपित हो गई है। कम्पोनेंट प्रक्रिया में मरीज को आवश्यक ब्लड ही दिया जाता है। इसमें बर्न के मरीज को सीरम दिया जाता है जो कि शरीर में ठंडक पैदा करता है। वहीं प्लेटलेट की कमी होने पर मरीज को प्लेटलेट ही दिया जाता है। इस प्रक्रिया में कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।
इस तरह होगा फायदा
अभी तक ब्लड एकत्रित करने के बाद बिना कम्पोनेंट प्रोसेस के ही ब्लड पीडि़त दे दिया जाता है। यदि पीडि़त को एक ही कम्पोनेंट की जरूरत होती थी तो शेष दो कम्पोनेंट यहां अनावश्यक ही दिए जाते थे। जबकि कम्पोनेंट प्रोसेस के बाद यदि की पीडि़त को प्लेटलेट की जरूरत होगी तो उसे वहीं कम्पोनेंट दिया जाएगा। शेष दो कम्पोनेंट अन्य दो जरूरतमंद मरीज के काम आ सकेंगे।
विशेष पैकेट में किया जा रहा एकत्रित
ब्लड की सुरक्षा और रख-रखाव उचित की जा सके, इसके लिए विशेष तहर के पैकेट्स उपयोग में लाए जा रहे है। हालांकि इनकी कीमत अन्य पैकेट्स की तुलना में अधिक है।