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Women: महिलाओं ने कर दिखाया कमाल, बिना सरकारी मदद कर रही बड़ा काम

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 09, 2020 01:12:18 pm

Submitted by:

babanrao pathe

कोरोना महामारी के कारण आज चारों तरफ आत्मनिर्भर की तरफ जोर दिया जा रहा। स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है

छिंदवाड़ा. कोरोना महामारी के कारण आज चारों तरफ आत्मनिर्भर की तरफ जोर दिया जा रहा। स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है, लेकिन छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव ब्लॉक की सैकड़ों महिलाओं के कदम आत्मनिर्भर बनने की तरफ तेजी बढ़ रहे। महिलाओं के हाथों में स्थाई काम आ चुका है।

कोविड-19 महामारी के दौरान घर में खाली बैठीं महिलाओं के दिमाग की उपज ने कई महिलाओं को रोजगार से जोड़ दिया। जुन्नारदेव ब्लॉक के पनारा, करमोहिनीवंदी, खुमकाल और नजरपुर की 525 महिलाएं इन दिनों गणवेश (स्कूल ड्रेस) बनाने का प्रशिक्षण ले रही। पंद्रह दिनों का प्रशिक्षण पूरा होने वाला है। सबसे खास बात यह है कि महिलाएं सिलाई मशीन, धागा और कपड़ा अपने घर से लेकर आई है। सरकार से किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं ली। अलग-अलग समूह बनाकर काम किया जा रहा है। आजीविका मिशन से मार्गदर्शन मिल रहा और कुछ प्रशिक्षण देने वाली महिलाएं हैं। एक समूह में 39 महिलाएं एक साथ एक कमरे में प्रशिक्षण ले रही है। महिलाओं ने चंदा जुटाकर एक कमरा किराया पर लिया है और वहां रखी मशीनों की सुरक्षा के लिए स्वयं के खर्च पर एक चौकीदार भी रखा है। इस समूह की अध्यक्ष मंजूलता विश्वकर्मा एवं सचिव ममता धुर्वे ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन लोगों के पास कोई काम नहीं था, इस दौरान ही उन्होंने योजना बनाई थी। लगभग महिलाओं के पास सिलाई मशीन होती है जिसके कारण इस काम को करने के लिए उन्हें कोई अतिरिक्त राशि खर्च नहीं करनी पड़ी। आजीविका मिशन से सहयोग के साथ ही अब काम भी मिल चुका है जिससे प्रत्येक महिला एक माह में आठ हजार से अधिक आमदानी करेगी। स्कूल की गणवेश का काम पूरा होने के बाद बुटिक का काम शुरू करेंगे। सिलाई से जुड़ा हुआ अगर कोई और काम मिलेगा उसे भी करेंगी।

साठ हजार गणवेश करेंगी तैयार
जुन्नारेदव ब्लॉक के सभी स्कूलों के लिए 60 हजार गणवेश महिलाओं का समूह तैयार कर रहा है। आजीविका मिशन जमाई विकासखण्ड प्रबंधक मोरिना अलबर्ट ने बताया कि 525 महिलाएं इस काम को अंजाम देंगे। अलग-अलग समूह में महिलाएं प्रशिक्षण ले रही जिसके लिए वे मशीन से लेकर अन्य सभी सामग्री अपने घर से लेकर आती है। पंद्रह दिनों का प्रशिक्षण दिया जा रहा, जिसके पूरा होने पर महिलाएं गणवेश बनाना शुरू करेंगी। तैयार गणवेश स्कूलों में बांटी जाएगी जिसका भुगतान समूह के अनुसार किया जाएगा।

बाहर से खरीदी जाती थीं गणवेश

स्कूलों में छात्र-छात्राओं को पहले बाहर से खरीदी हुई गणवेश दी जाती थीं, लेकिन इस बार स्थानीय स्तर पर महिलाओं के हाथों से ड्रेस तैयार हो रही, जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा। इससे गुणवत्ता भी अच्छी होगी और स्थानीय स्तर पर महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।

-गजेन्द्र सिंह नागेश, सीइओ, जिला पंचायत, छिंदवाड़ा

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