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नौकरी नहीं आत्मनिर्भर बनना था, आज छह स्कूल की हैं संचालिका

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 17, 2021 05:31:19 pm

Submitted by:

mantosh singh

डॉ. बरखा कहती हैं कि परिवार के साथ वाहेगुरु का मेरे ऊपर आशीर्वाद रहा

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छिंदवाड़ा. दृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत एवं परिवार के सपोर्ट से हर मंजिल पाई जा सकती है। इसे साबित किया है डॉ. बरखा मनजीत सिंह बेदी ने जो छह स्कूल की संचालिका हैं। डॉ. बरखा ने बताया कि वह पढ़ाई में अव्वल थीं। गोल्ड मेडलिस्ट थीं। इस वजह से उन्हें कॉलेज में नौकरी मिल गई, लेकिन मेरे ससुर स्व. प्रतिपाल सिंह बेदी ने सपोर्ट किया और कहा कि कुछ अपना करो। आत्मनिर्भर बनो। बस उनकी इस बात को मैंने संकल्प के रूप में लिया और फिर वर्ष 2002 में सत्यम शिवम कॉलोनी में किराए के भवन में भगवान श्रीचंद प्ले वे स्कूल खोला।

पहले वर्ष महज नौ बच्चों ने दाखिला लिया। शिक्षा मेरे काफी काम आई। काफी मेहनत की और फिर अगले साल ही 99 बच्चों ने दाखिला लिया। इसके बाद धीरे-धीरे सफलता मिलती गई। डॉ. बरखा कहती हैं कि मेरे परिवार के हर सदस्य के साथ मेरी सास सुरजीत कौर बेदी ने मुझे हर कदम पर मार्गदर्शन एवं सहयोग दिया। मैं स्कूल में रहती थी तो मेरे दोनों बच्चों को वह सम्भालती थीं। ऐसा कभी लगा नहीं कि वह मेरी सास हैं।

हमेशा उन्होंने मुझे एक बेटी की तरह रखा। स्कूल की मान्यता के लिए ससुर मेरे साथ जबलपुर, भोपाल तक गए। पति हर कदम पर मेरे साथ रहते हंै। यही वजह है कि आज उन्होंने उमरानाला, बिसापुर, उमरेठ, शिवपुरी और छिंदवाड़ा में दो स्कूल खोल लिए हैं। डॉ. बरखा कहती हैं कि परिवार के साथ वाहेगुरु का मेरे ऊपर आशीर्वाद रहा। मैं सभी की शुक्रगुजार हूं।

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