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कामगारों के आश्रितों को नहीं मिल रहा लाभ

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 15, 2019 05:10:24 pm

Submitted by:

SACHIN NARNAWRE

पेंच क्षेत्र में करोड़ों रूपये प्रतिवर्ष व्यय किया जाता है इसके बाद भी मिस मैनेजमेंट के कारण उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।

कामगारों के आश्रितों को नहीं मिल रहा लाभ

कामगारों के आश्रितों को नहीं मिल रहा लाभ

परासिया. कोल इंडिया की अनुसांगिक कंपनी वेकोलि द्वारा वेजबोर्ड तथा अन्य स्तरों पर कोयला खदान कामगारों के आश्रितों की सुविधा के लिए कई घोषणाएं की गई लेकिन अधिकारियों द्वारा रूचि नहीं लेने और पर्याप्त फंड का आबंटन नहीं होने से यह केवल रस्म अदायगी बनकर रह गई है।
कामगारों के आश्रितों को मेडिकल तथा बच्चो की शिक्षा पर वेकोलि वेलफेयर बोर्ड द्वारा अकेले पेंच क्षेत्र में करोड़ों रूपये प्रतिवर्ष व्यय किया जाता है इसके बाद भी मिस मैनेजमेंट के कारण उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। कामगारों के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए बडक़ुही में केन्द्रीय विद्यालय का पूरा खर्च वेकोलि वहन करती है प्रतिवर्ष लगभग चार करोड रूपये खर्च करने के बाद भी सभी कामगारोड्ड के बच्चों को विद्यालय में प्रवेश नहीं मिल पाता है। जिन्हें एडमीशन नहीं मिलता था वो फ्लावर वेल स्कूल चांदामेटा में प्रवेश लेते थे लेकिन संचालन को लेकर हो रहे विवाद के कारण वेकोलि संचालन कमेटी से अलग है और अब इस स्कूल को वेकोलि अनुदान नहीं देती है। झुर्रे स्थित फ्लावरवेल स्कूल को प्रतिवर्ष लगभग चार लाख बीस हजार का अनुदान दिया जाता है। झुर्रे और भोकई कॉलोनी में निवासरत कामगारों के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती है इसके लिए उन्हें साठ किमी की दूरी तय कर बडक़ुही केन्द्रीय विद्यालय आना पड़ता है। कामगारो के अविवाहित और 25 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मेडिकल सुविधा का प्रावधान है।
शिक्षा के लिए नहीं मिलती प्रोत्साहन राशि
कामगारों के बच्चों की उच्च शिक्षा जैसे एमबीबीएस, बीई, बीटेक सहित अन्य समकक्ष शिक्षा के लिए प्रोत्साहन राशी देने का प्रावधान किया गया है जिसमें अध्ययनरत बच्चो का शिक्षण शुल्क कंपनी द्वारा दिया जाता है लेकिन इसके नियम शर्त बहुत जटिल है। और आवेदन के तीन साल के बाद राशी मिलती है तब तक बच्चे का कोर्स पूरा हो जाता है।
बीएमएस के राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि विष्णुपुरी खदान में कार्यरत राजेश कश्यप के पुत्र को बीई का शिक्षण शुल्क तीन वर्ष के बाद मिला है। अधिकारियों द्वारा इन योजनाओं में दिलचस्पी नहीं लेने के कारण कामगार के बच्चे इसका लाभ नहीं उठा पाते है।
श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा, मनोरंजन, खेलकूद के लिए कई योजनाएं बनाई गई है लेकिन इसके लिए वेकोलि स्तर की समितियों में निरंतर चर्चा एवं समीक्षा की जरूरत है। खेल मैदान के लिए कोई राशि उपलब्ध नहीं कराई जाती है। खेलकूद के लिए ढाचागत सुविधा ही नहीं है। योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है।
संजय सिंह, कार्य अध्यक्ष, बीएसएस
श्रमिक कल्याण कोष में कटौती की जा रही है। वेलफेयर बोर्ड को इस संबंध में अधिक सक्रिय होकर काम करने की जरूरत है। खेलकूद के नाम पर नई प्रतिभाओं को निखारने का काम नहीं हो रहा है। स्पर्धा का आयोजन केवल खानापूर्ति के लिए किया जाता है।
दीनानाथ यादव, महामंत्री इंटक
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