चार प्रकार के शहद का उत्पादन
छिंदवाड़ा के सोनपुर रोड निवासी हर्षित साहू ने बताया कि वे जामुन, लिची, बेर और निलगिरी के शहद का उत्पादन ले रहे हैं। अलग-अलग मौसम में इन पेड़ों और पौधों पर फूल आते हैं। ऐसी जगह चिन्हित की हैं, जहां इनके फूल अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, वहां मधुमख्यिों के बॉक्स रखते हैं। इस तरह चार प्रकार के शहद का उत्पादन लिया जा रहा है। जिले के सौंसर और पांढुर्ना ब्लॉक में उन्होंने कई बॉक्स बेचे हैं जिसका मूल्य साढे चार हजार से लेकर पांच हजार रुपए हैं। उन्होंने बताया कि बॉक्स खरीदने के लिए सरकार 40 प्रतिशत का अनुदान भी देती है उपलब्धता के आधार पर।
इटली की मधुमक्खी से कमा रहे लाखों
इटली की मधुमक्खी स्वभाव से शांत होती है, जिसके चलते उन्हें हटाकर शहद निकालने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती। हर्षित सालाना 3 से 5 क्विंटल शहद का उत्पादन ले रहा है, जिसे जिला मुख्यालय के कुछ मेडिकल स्टोर, किराना दुकान, ऑनलाइन भी बेच रहा है। साथ ही उसने अभी होम डिलेवरी भी शुरू कर दी है। थोक में नागपुर और जबलपुर सप्लाई दी जा रही है। शहद के व्यापार से सालाना 3 से 5 लाख रुपए कमा रहा। साथ ही 1 से 1.50 लाख रुपए खर्च आता है।
ऐसे तैयार होता है शहद
एक विशेष प्रकार के फूलों के आस-पास मधुमक्खी का बॉक्स रख दिया जाता है। बॉक्स से मधुमक्खी निकलकर फूलों पर बैठती है और यहां से पराग लेकर बॉक्स में लौटकर शहद का निर्माण करती है। सामान्य तौर पर 20 से 25 दिन में शहद तैयार हो जाता है। हर्षित साहू के अनुसार फूलों के साथ ही प्रकृति पर भी निर्भर करता है, तेज हवा और अधिक बारिश के दिनों में शहद तैयार होने में समय अधिक लगता है।