अगर छात्र ईश्वर को खुश करने में लगे रहेंगे तो ईश्वर नसीब में वही लिखेगा जो वह चाहता है। अगर वह अपने कर्मों की ऊंचाई बढ़ाकर कार्य करेगा तो ईश्वर उसके नसीब में वही लिखेगा जो वह चाहता है। लक्ष्य को पारदर्शी बनाकर, समुचित कार्य योजना बनाकर निरंतर प्रयासों से विजय प्राप्त होती है। हमें अपनी चाहतों को लक्ष्य पर फोकस करना पड़ता है। असल सफलता से पहले सफलता को जीना पड़ता है। सफलता एक सतत कार्मिक प्रयोग है कार्यशाला को डॉ.अनीता कौशल, शहरीन बानो, सनत डहेरिया, डॉ. अनीता अग्रवाल, डॉ. सरिता कुशवाह, डॉ. रविकांत कुशवाह, डॉ. अनीता अग्रवाल, भावना जैसवाल, चक्रधर शर्मा, अवदेश बघेल, श्रीमती रक्षा उपश्याम, विनोद बुडेकर, प्रदीप साहू व डॉ. संतोष उसरेठे ने भी संबोधित किया कार्यशाला का सफल संचालन प्रो.अर्चना तिवारी ने किया।