मोहल्लों और बूथों की राजनीति से आगे बढ़कर देश-प्रदेश की सियासत में न जाने कितने नाम आज भारतीय राजनीति में दिग्गजों के रूप में पहचाने जाते हैं। बदलते परिदृश्य के साथ चुनाव की तस्वीर भी बदल गई है। वर्तमान में चुनाव का मतलब ही धनबल बाहुबल हो गया है। राजनीतिक पार्टियां भी पानी की तरह पैसा बहाती हैं। इन सबके बीच आज भी जनता की नजरों में शायद पैसों और रुतबों की कीमत नहीं बल्कि प्रत्याशी की छवि और उसके कार्यों की कीमत आंकी जाती है।
कुछ ऐसा ही देखने को मिला भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में जहां जनता ने एक चाय बेचने वाले नवयुवक को सर आंखों पर बैठाते हुए अपने वार्ड का पार्षद चुन लिया। खास बात यह है कि जिस वार्ड से यह चाय बेचने वाला यह नवयुवक चुना गया है उस वार्ड से पिछले 10 वर्षों से भाजपा का पार्षद था, लेकिन इस चुनाव में जनता ने एक चायवाले को फलक पर बैठाते हुए नेतृत्व सौंप दिया। उधर विजयश्री हासिल करने वाले पार्षद का कहना है कि जब एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो मैं पार्षद क्यों नहीं?
10 साल से सभासद रहे भाजपा प्रत्याशी को हराया किसी भी चुनाव में खासकर लोकसभा और विधानसभा में धनबल बाहुबल का किस तरह इस्तेमाल होता है। यह तो जगजाहिर है और अब तो पंचायत से लेकर निकाय चुनाव में भी हाईटेक व्यवस्थाओं के तहत प्रत्याशी और उनके मठाधीश चुनावी मैदान को फतेह करने की पूरी कोशिश करते हैं। इन सबके इतर जनता की नजरों में कीमत उसी की है और होती है, जो उसी का हो लिया। निकाय चुनाव 2017 का परिणाम कुछ ऐसी ही दिलचस्प तस्वीर सामने लेकर आया, जिसमें मोहल्ले के नुक्कड़ पर चाय बेचने वाला एक नवयुवक जनता के प्यार दुलार से अपने वार्ड का पार्षद चुन लिया गया। नव युवक के विजयी होने पर उसके परिजनों के साथ साथ पुरे मोहल्ले में खुशी की लहर है। चुने गए नवयुवक पार्षद ने हराया भी किसी ऐसे वैसे को नहीं, बल्कि पिछले दस वर्षों से भाजपा पार्षद रहे वर्तमान में भाजपा प्रत्याशी को पटखनी देकर विजयश्री हासिल की। चुना गया नवयुवक अभी महज 21 वर्ष का है और उसके वार्ड का क्रमांक भी 21 है। सपा से टिकट पर उसे प्रत्याशी बनाया गया था।
चाय बेचता है पार्षद अनुज जनपद मुख्यालय स्थित वार्ड नम्बर 21 में इस समय चर्चाओं का बाजार गर्म है। गर्म इसलिए भी है कि इस वार्ड का चुना गया पार्षद एक नवयुवक है, जो मोहल्ले के ही नुक्कड़ पर चाय की दुकान चलाता है और चाय बेचता है। चाय बेचने वाले अनुज निगम अपने वार्ड से इस बार पार्षद चुने गए हैं। सपा ने उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था। अनुज बांस व फट्टियों से बनी दुकान में चाय बेचते हैं, लेकिन अपनी मृदभाषी शैली व व्यवहार कुशलता के चलते लोगों में पहले से ही लोकप्रिय थे। अनुज ने कुछ लोगों की सलाह और उत्साहवर्धन पर चुनाव लडऩे का मन बना लिया और सपा जिलाध्यक्ष अनुज यादव के पास टिकट मांगने चले गए। वार्ड में लोकप्रियता को देखते हुए सपा ने भी अनुज पर दांव लगा दिया जिसके सामने भाजपा प्रत्याशी के रूप में सबसे मजबूत उम्मीदवार था जो पिछले दस वर्षों से उसी वार्ड का पार्षद था।
अनुज की जीत से मोहल्ले में खुशी की लहर चुनाव के दरम्यान चाय की दूकान से ही चुनावी माहौल बनाने वाले अनुज निगम ने परिणाम आने पर विपक्षियों को भी चौंका दिया। अनुज को उनकी वार्ड की जनता ने अपना पार्षद चुन लिया। परिजनों के साथ मोहल्ले वालों में भी खुुशी की लहर है कि एक सीधा साधारण नवयुवक उनके वार्ड का नेतृत्वकर्ता चुना गया, जिससे काफी उम्मीदें हैं। पार्षद अनुज निगम का भी कहना है कि वे अपने वार्ड में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेंगे।
चाय वाला पीएम तो मैं पार्षद क्यों नहीं अपनी जीत पर उत्साहित पार्षद अनुज निगम अभी 21 वर्ष के हैं और चाय बेचकर जीवनयापन करते हैं। पार्षद चुने जाने पर उनका कहना है कि जब एक चायवाला (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ इशारा) देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो मैं पार्षद क्यों नहीं? मुझे भी लगा कि चुनाव में उतरना चाहिए तो मैंने भी किस्मत आजमाई।