बाज नहीं आ रहे
क्या नदियां सिर्फ इसलिए कुदरत ने बनाई कि इंसान उन्हें मैला कर सके, मां को मैला किया जाता है क्या? कुछ ऐसे ही चुभते प्रश्न आज हर किसी से पूछ रही है चित्रकूट की जीवनदायिनी राम की मंदाकिनी। वनवासकाल के दौरान राम ने मंदाकिनी को मोक्ष प्रदान करने का वरदान दिया था लेकिन कलयुग के कौरवों ने अपनी इस मां का ऐसा चीरहरण किया कि उसके बदन पर मैले आंचल के सिवा कुछ न बचा। आज भी चीरहरण जारी है और कलयुगी पुत्र अपनी मां को गन्दगी की चादर में लपेटने से बाज नहीं आ रहे।
सीधे गिराई जा रही गंदगी फैलाया जा रहा प्रदूषण नदी के तट पर बसी बस्तियों, मठ, आश्रमों, होटलों, धर्मशालाओं की गंदगी सीधे नदी में गिराई जा रही है। जमकर प्रदूषण फैलाया जा रहा है। पापों से मुक्ति का उपाय इसी मंदाकिनी में ढूंढने वाले इंसान अपने पाप नदी की तलहटी में एकत्र कर रहे हैं। पड़ोसी राज्य
मध्य प्रदेश की भी सारी गंदगी मंदाकिनी के पहलू में एकत्र होती है। अपने क्षेत्र की गंदगी यूपी से होकर बहने वाली मंदाकिनी में गिराने का काम किया जा रहा है।
गुरुओं जगद्गुरुओं को आगे आने की आवश्यकता कई वर्षों से अपने स्तर पर मंदाकिनी को प्रदूषणमुक्त बनाने का अभियान चला रखने वाले बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष
अजीत सिंह का कहना है कि अब धर्मनगरी के गुरुओं और जगद्गुरुओं को आगे आने की आवश्यकता है। अब भागीरथी प्रयास शुरू करना होगा साधू-संतों से लेकर आम नागरिकों को तभी श्री राम की मंदाकिनी का अस्तित्व बचाया जा सकता है। बुंदेली सेना ने कई बड़े गुरुओं जगद्गुरुओं मठ आश्रमों से मांग की है कि वे आगे आकर पहल शुरू करें। इसको लेकर सेना ने साधू संतों से मुलाकात भी की है।
हुक्मरानों को आइना दिखाती सिसकती मंदाकिनी नदियों को लेकर बड़ी बड़ी बातें करने वाले यूपी व् एमपी के भाजपा हुक्मरानों को सिसकती मंदाकिनी आज आइना दिखा रही है। कई बार मंदाकिनी को प्रदूषणमुक्त करने का दम्भ भरा गया लेकिन आज तक सबकुछ खोखला ही साबित हुआ। दोनों राज्यों में मां के पुत्र सत्ता पर आसीन हैं लेकिन मां की दुर्दशा जस की तस है या यूं कहें कि दिन ब दिन हालत बदतर होती जा रही है। साधू संत भी मंदाकिनी को लेकर सिर्फ बड़ी बड़ी बातें और धरना प्रदर्शन ही करते नजर आए लेकिन कोई ठोस पहल उनके द्वारा भी शुरू नहीं की गई।
प्रवचनों में बड़ी बड़ी बातें हकीकत में सबकुछ शून्य पौराणिक मान्यताओं किवदंतियों का हवाला देकर मंदाकिनी को मोक्षदायिनी बताने वाले धर्मनगरी के बड़े बड़े धर्मरक्षक सिर्फ प्रवचनों तक ही नदी के सच्चे हितैषी साबित होते हैं जबकि धरातल पर मंदाकिनी के आंचल को साफ करने का अभियान शून्य रहता है उनके द्वारा। अब आम नागरिक भी यह कहने लगे हैं कि यदि साधू संत अडिग हो जाएं तो ऐसा नहीं कि सरकार और प्रशासन व लोग नदी को प्रदूषणमुक्त करने में उदासीनता बरतें।