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एक्सक्लूसिव: मानव सभ्यता का अस्तित्व, यहां मिले हजारों वर्ष पूर्व आबादी के साक्ष्य

locationचित्रकूटPublished: Sep 29, 2017 08:17:13 am

उत्खनन कार्य में लगी टीम का कहना है कि यहां बहुत ही चौंकाने वाले तथ्य मिल रहे हैं।

Archaeologists team Investigation about human beings in Chitrakoot

एक्सक्लूसिव: मानव सभ्यता का अस्तित्व, यहां मिले हजारों वर्ष पूर्व आबादी के साक्ष्य

चित्रकूट. मनुष्य भले ही विज्ञान की दुनिया में नित नई तरक्की की ओर अग्रसर है और चांद पर पहुंचने तक की यात्रा कर चुका है लेकिन आज भी मानव जीवन के अस्तित्व की खोज जारी है और इस धरती पर अभी तक न जाने कितने साक्ष्य मिल चुके हैं जो मानव जीवन सभ्यता के अस्तित्व को हजारों साल पहले प्रमाणित करते हैं। कई प्राचीन आदिकालीन सभ्यताएं संस्कृति इस बात का घोतक हैं कि हमारे पूर्वजों ने किस तरह रहन सहन प्रारम्भ किया, उनकी दिनचर्या क्या थी, जीवन जीने पेट भरने के माध्यम क्या थे और उनकी संस्कृति का विकास कैसे हुआ। दुनिया के विभिन्न देशों भागों में आज भी मानव जीवन के अस्तित्व की खोज में वैज्ञानिक तौर तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं और उनके माध्यम से मानव सभ्यता के उदगम उद्भव का पता लगाया जा रहा है। कहीं कई सौ वर्षों पहले मानव सभ्यता के साक्ष्य मिलते हैं तो कहीं हजारों वर्ष पूर्व इंसानी बस्तियों आबादी के अस्तित्व की पहचान होती है। मानव सभ्यता उनके जीवन और आबादी के कुछ ऐसे ही चैंकाने वाले साक्ष्य मिले भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में जहाँ पुरातत्व विभाग की टीम ने उत्खनन कार्य के दौरान ऐसी चीजें साक्ष्य प्राप्त किए जो उस जगह पर 3 से 4 हजार साल पहले मानव बस्तियां होने का प्रमाण प्रकट करती हैं और उनकी आबादी को भी दर्शाती हैं। खोज में लगी पुरातत्व विभाग की टीम लगातार उत्खनन कार्य में जुटी है और उसे कई आश्चर्यजनक तथ्य प्राप्त हो रहे हैं जिनका स्पष्ट परीक्षण करने की तैयारी चल रही है। अभी तक की खुदाई में जो बर्तन तथा अन्य चीजें प्राप्त हुई हैं उससे इस कयास को स्पष्ट बल मिल गया है कि यहां पर इंसानी आबादी और बस्ती थी।
मिले मानव सभ्यता के प्रमाण

मनुष्य हमेशा से अपने अस्तित्व की खोज में लगा है कि आखिर इस धरा पर उसका और उसकी सभ्यता (मानव सभ्यता) का प्रादुर्भाव कब कैसे हुआ। समय समय पर कई प्रमाणों साक्ष्यों ने मानव समाज को उसके मूल अस्तित्व की पहचान कराई। मानव सभ्यता के कुछ ऐसे ही साक्ष्य मिले चित्रकूट में जहां हजारों वर्ष पूर्व इंसानी आबादी और बस्तियों का अस्तित्व प्रकाश में आया है। उत्खनन कार्य में लगे मंझे हुए पुरातात्विक विशेषज्ञों की टीम इन प्रमाणों के मिलने से काफी उत्साहित है और आगे की खुदाई का कार्य निरंतर जारी है। खुदाई स्थल पर बर्तन हड्डी के कुछ औजार अदि प्रमुख चीजें मिलने से यह बात स्पष्ट हो रही है कि यहां पर इंसानी आबादी और बस्ती थी। साक्ष्यों को एकत्रित कर उनकी पहचान की गई तो लगभग 3 से 4 हजार वर्ष पहले यहां पर मनुष्य का अस्तित्व प्रकाश में आया। उत्खनन कार्य में लगी टीम का कहना है कि यहां बहुत ही चौंकाने वाले तथ्य मिल रहे हैं, जो मानव सभ्यता की पहचान को स्पष्ट करते हैं।
खुदाई का काम जारी

जनपद मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर राजापुर थाना क्षेत्र के संदवावीर गांव में पुरातत्व विशेषज्ञों की टीम को मानव सभ्यता साक्ष्य मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनुमति पर डॉ शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय लखनऊ के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अवनीश चंद्र मिश्र के निर्देशन में क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी इलाहबाद राम नरेश पाल की टीम संदवावीर गांव में उत्खनन कार्य में विगत हफ्ते भर से जुटी हुई है। खुदाई के दौरान टीम को कई ऐसी वस्तुएं मिलीं जो इस जगह पर 3 से 4 हजार वर्ष पहले मानव सभ्यता होने के प्रमाण को काफी हद तक स्पष्ट करती हैं। उत्खनन कार्य के निदेशक डॉक्टर अवनीश चंद्र मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया कि खुदाई स्थल पर लोहे, हड्डी और उत्तरी काली चमकीली परम्परा (NBP) के बर्तन प्राप्त हुए हैं। उत्तरी काली चमकीली परंपरा का तात्पर्य उस काल के मिट्टी के बर्तनों से है। इसके आलावा ताम्र पाषाणिक संस्कृति के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं, हड्डी के बने कुछ औजार जैसे बाण आदि और अन्य सामग्रियां भी खुदाई के दौरान प्राप्त हुई हैं जो लगभग 3 से 4 हजार वर्ष पूर्व पुरानी हैं ऐसा तकनीकी परीक्षण के आधार पर प्रथम दृष्टया स्पष्ट होता है। उन्होंने बताया कि जो साक्ष्य अभी तक मिले हैं उनसे यह स्पष्ट है कि यहां पर मानव आबादी थी और बस्तियां भी। उत्खनन का कार्य जारी है। अवनीश चंद्र मिश्र के मुताबिक खुदाई स्थल पर अभी बहुत काम बाकी है और इन चीजों के मिलने से हमारा उत्साह भी बढ़ा है और मानव सभ्यता के प्रति जानने की जिज्ञासा भी प्रबल हुई है ताकि लोगों को भी मालूम हो सके की मनुष्य अपने उद्भव के दौरान इतने हजारों वर्ष पूर्व कैसे जीवन यापन करता था और उसके जीवन जीने के विभिन्न तरीके क्या थे। उन्होंने बताया कि खुदाई स्थल पर कृषि और पशुपालन के साक्ष्य भी मिल रहे हैं और उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में काफी कुछ प्राप्त हो जाएगा जिससे और अधिक तथा स्पष्ट प्रमाणिकता के साथ इस तथ्य को सामने रखा जाएगा की उक्त स्थल पर मानव जीवन का अस्तित्व था। टीम में तकनीकी विशेषज्ञ बीके खत्री, बृजेश चंद्र रावत , डॉक्टर एमसी गुप्ता जैसे विशेषज्ञ शामिल हैं।
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