मिले मानव सभ्यता के प्रमाण मनुष्य हमेशा से अपने अस्तित्व की खोज में लगा है कि आखिर इस धरा पर उसका और उसकी सभ्यता (मानव सभ्यता) का प्रादुर्भाव कब कैसे हुआ। समय समय पर कई प्रमाणों साक्ष्यों ने मानव समाज को उसके मूल अस्तित्व की पहचान कराई। मानव सभ्यता के कुछ ऐसे ही साक्ष्य मिले चित्रकूट में जहां हजारों वर्ष पूर्व इंसानी आबादी और बस्तियों का अस्तित्व प्रकाश में आया है। उत्खनन कार्य में लगे मंझे हुए पुरातात्विक विशेषज्ञों की टीम इन प्रमाणों के मिलने से काफी उत्साहित है और आगे की खुदाई का कार्य निरंतर जारी है। खुदाई स्थल पर बर्तन हड्डी के कुछ औजार अदि प्रमुख चीजें मिलने से यह बात स्पष्ट हो रही है कि यहां पर इंसानी आबादी और बस्ती थी। साक्ष्यों को एकत्रित कर उनकी पहचान की गई तो लगभग 3 से 4 हजार वर्ष पहले यहां पर मनुष्य का अस्तित्व प्रकाश में आया। उत्खनन कार्य में लगी टीम का कहना है कि यहां बहुत ही चौंकाने वाले तथ्य मिल रहे हैं, जो मानव सभ्यता की पहचान को स्पष्ट करते हैं।
खुदाई का काम जारी जनपद मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर राजापुर थाना क्षेत्र के संदवावीर गांव में पुरातत्व विशेषज्ञों की टीम को मानव सभ्यता साक्ष्य मिले हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनुमति पर डॉ शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय लखनऊ के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अवनीश चंद्र मिश्र के निर्देशन में क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी इलाहबाद राम नरेश पाल की टीम संदवावीर गांव में उत्खनन कार्य में विगत हफ्ते भर से जुटी हुई है। खुदाई के दौरान टीम को कई ऐसी वस्तुएं मिलीं जो इस जगह पर 3 से 4 हजार वर्ष पहले मानव सभ्यता होने के प्रमाण को काफी हद तक स्पष्ट करती हैं। उत्खनन कार्य के निदेशक डॉक्टर अवनीश चंद्र मिश्र ने जानकारी देते हुए बताया कि खुदाई स्थल पर लोहे, हड्डी और उत्तरी काली चमकीली परम्परा (NBP) के बर्तन प्राप्त हुए हैं। उत्तरी काली चमकीली परंपरा का तात्पर्य उस काल के मिट्टी के बर्तनों से है। इसके आलावा ताम्र पाषाणिक संस्कृति के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं, हड्डी के बने कुछ औजार जैसे बाण आदि और अन्य सामग्रियां भी खुदाई के दौरान प्राप्त हुई हैं जो लगभग 3 से 4 हजार वर्ष पूर्व पुरानी हैं ऐसा तकनीकी परीक्षण के आधार पर प्रथम दृष्टया स्पष्ट होता है। उन्होंने बताया कि जो साक्ष्य अभी तक मिले हैं उनसे यह स्पष्ट है कि यहां पर मानव आबादी थी और बस्तियां भी। उत्खनन का कार्य जारी है। अवनीश चंद्र मिश्र के मुताबिक खुदाई स्थल पर अभी बहुत काम बाकी है और इन चीजों के मिलने से हमारा उत्साह भी बढ़ा है और मानव सभ्यता के प्रति जानने की जिज्ञासा भी प्रबल हुई है ताकि लोगों को भी मालूम हो सके की मनुष्य अपने उद्भव के दौरान इतने हजारों वर्ष पूर्व कैसे जीवन यापन करता था और उसके जीवन जीने के विभिन्न तरीके क्या थे। उन्होंने बताया कि खुदाई स्थल पर कृषि और पशुपालन के साक्ष्य भी मिल रहे हैं और उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में काफी कुछ प्राप्त हो जाएगा जिससे और अधिक तथा स्पष्ट प्रमाणिकता के साथ इस तथ्य को सामने रखा जाएगा की उक्त स्थल पर मानव जीवन का अस्तित्व था। टीम में तकनीकी विशेषज्ञ बीके खत्री, बृजेश चंद्र रावत , डॉक्टर एमसी गुप्ता जैसे विशेषज्ञ शामिल हैं।