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मंदिर से अष्टधातु की मूर्तियां चोरी, इलाके में मचा हड़कम्प

locationचित्रकूटPublished: Oct 10, 2017 11:20:09 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

चित्रकूट के एक मंदिर से तीन बेशकीमती अष्टधातु की मूर्तियों को चोरी कर लिया गया है।

temple

चित्रकूट. जिले में पाप पुण्य से बेख़बर चोरी करने वाले गिरोह ने मंदिर से तीन बेशकीमती अष्टधातु की मूर्तियों को चोरी कर लिया। प्राचीन मूर्तियों के चोरी होने से इलाके में जोर से हड़कम्प मचा हुआ है। पुलिस जांच पड़ताल में जुटी हुई है। मंदिर में स्थापित भगवान श्री कृष्ण व राधा सहित चोरी हुई तीनों मूर्तियों को मंदिर से जुड़े लोग बेशकीमती बता रहे हैं। पुलिस ने आस पास के इलाकों के संदिग्ध लोगों पर नजर रखते हुए मामले के राजफाश के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।

जनपद के थाना कर्वी कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर स्थित चोपड़ा मंदिर से भगवान श्री कृष्ण और राधा सहित अष्टधातु की तीन मूर्तियां चोरी हो गईं हैं। मन्दिर के पुजारी विनोद दास के मुताबिक मंदिर में कुल 17 छोटी बड़ी मूर्तियां हैं। इनमें दो मूर्तियां भगवान श्री कृष्ण और एक मूर्ति श्री राधा की थी। सुबह जब मंगला आरती के लिए मंदिर गए तो लोगों ने देखा कि मन्दिर का गेट टूटा हुआ पड़ा था और मन्दिर से तीन मूर्तियां गायब थीं। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए घटना की छानबीन शुरू कर दी है।

जिले के अपर पुलिस अधीक्षक बलवंत चौधरी ने बताया कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और जब तक कि मूर्तियां बरामद नहीं हो जाती हैं। तब तक उन मूर्तियों की कीमत का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है। पुलिस के मुताबिक मंदिर से जुड़े सभी लोगों को भी राडार पर लिया गया है और जिनकी भूमिका संदिग्ध लग रही है। उन लोगों से भी पूंछतांछ की जा रही है।

जर्जर व गुमनाम है मंदिर

यूपी व एमपी प्रदेश की सीमा में बना यह मंदिर धर्मनगरी में पूरी तरह गुमनाम है। पुरानी लंका के बगल में बना मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है लेकिन आगे से इसकी सज्जा मंदिर जैसी नहीं है। जिला प्रशासन की ओर से नियुक्त पुजारी रामचंद्र पांडेय ही मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं और अन्य कोई मंदिर में नहीं आता जाता है।
रीवा नरेश ने बनवाया था यह मंदिर

पुजारी रामचंद्र पांडेय के मुताबिक करीब दो सौ साल पहले मंदिर का निर्माण रीवा नरेश रघुराज सिंह ने कराया था। मंदिर में पहले उनके पिता पुजारी का काम करते थे। उनकी मौत के बाद यह काम अब वह कर रहे हैं। अब मंदिर को जिला प्रशासन ने अपने अधीन ले लिया है। उन्हें प्रति माह पांच सौ रुपए दिए जाते हैं।

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