योजनाओं को हो प्रचार-प्रसार केंद्र व प्रदेश की सत्ता पर काबिज भगवा ब्रिगेड की सरकार की योजनाओं की जानकारी और प्रचार प्रसार न होने से पार्टी हाईकमान की भौंहे जिला स्तर की कार्यसमितयों पर टेढ़ी हो गई हैं। इसकी बानगी देखने को मिली 12 अप्रैल के सीएम योगी के दौरे के दौरान जब उन्होंने देर रात कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों और पार्टी के विधायकों व सांसदों को यह कहते हुए उन्हें आभास कराया कि योजनाओं के प्रचार प्रसार में गैप देखा जा रहा है और इसी का फायदा उठाते हुए विपक्षी पार्टियां छोटे छोटे मुद्दों को उठाकर जनता व पार्टी कार्यकर्ताओं का
ध्यान भटका रही हैं तो उनके बहकावे में न आते हुए योजनाओं का प्रचार प्रसार वृहद स्तर पर किया जाए।
तैयार की गई रुपरेखा सीएम के दौरे के बाद भाजपा जिला कार्यसमिति की हुई बैठक में जिला स्तर के पाधिकारियों ने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए सरकार की योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाने की अपील की और हाईकमान के फरमान से अवगत कराया। हालांकि कार्यकर्ता बहुत उत्साहित तो नजर नहीं आए क्योंकि अभी भी भाजपा में अंदर से असंतुष्टि का माहौल देखने को मिल रहा है।
स्वराज अभियान के तहत होंगे कार्यक्रम योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए स्वराज अभियान के तहत कार्यक्रमों की रुपरेखा बनाई गई है। इसके तहत
स्वच्छ भारत अभियान , उज्जवला योजना, ग्राम
शक्ति दिवस, आयुष्मान भारत, किसान कल्याण कार्यक्रम, कौशल विकास मेला, राष्ट्रीय पंचायत दिवस, कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ये सारे कार्यक्रम 18 अप्रैल से 5 मई तक चलाए जाएंगे जिनके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं की जानकारी कार्यकर्ता व पदाधिकारियों द्वारा पहुंचाई जाएगी।
सुस्त चाल में भाजपाई दूसरी तरफ पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों में आपसी समन्वय न होने के कारण भाजपाई अभी तक योजनाओं के प्रचार प्रसार में सुस्त चाल में नजर आते रहे हैं। कुछ कार्यकर्ताओं ने नाम न प्रकाशित होने की शर्त पर कहा कि भले ही हाईकमान बार बार आपसी सामंजस्य बनाने की बात कहे लेकिन स्थानीय स्तर पर किसी भी जिले में सामन्जस्य नहीं बन पा रहा है और कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं।
सीएम योगी भांप गए थे अंदरुनी कलह चूंकि भाजपा में वैचारिक कार्यकर्ता अनुशासन के चलते कभी भी खुलकर विरोध में कुछ नहीं बोलता पार्टी के लेकिन इस बार सीएम योगी इस कलह को भांप गए और देर रात को कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उन्हें यह घुट्टी पिलाई कि वर्तमान दौर चुनौतियों का दौर है और खासतौर पर वैचारिक कार्यकर्ताओं के लिए और भी मुश्किल है इसलिए वे विचलित न होते हुए पार्टी समाज व देश हित में
काम करें। मतलब साफ था कि वैचारिक कार्यकर्ताओं की असंतुष्टि की गूँज ऊपर तक सुनाई दे गई है।