चित्रकूट

2019 के एक्टिव मोड में भाजपा: दलित पिछड़ों के वोटबैंक में सेंधमारी की तैयारी, कानपुर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पार्टी ने फेंका नया पांसा

2019 के एक्टिव मोड में आते हुए भाजपा ने कानपुर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दलितों पिछड़ों को लुभाने की नई बिसात बिछाई है।

चित्रकूटJun 20, 2018 / 12:29 pm

आकांक्षा सिंह

2019 के एक्टिव मोड में भाजपा: दलित पिछड़ों के वोटबैंक में सेंधमारी की तैयारी, कानपुर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पार्टी ने फेंका नया पांसा

चित्रकूट. 2019 के एक्टिव मोड में आते हुए भाजपा ने कानपुर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दलितों पिछड़ों को लुभाने की नई बिसात बिछाई है। पार्टी ने वर्तमान विधायक को जहां जिलाध्यक्ष का अतिरिक्त दायित्व सौंप दिया। वहीं इस क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री के पद पर दलित कार्ड खेलते हुए विपक्षियों को थोड़ा झटका दे दिया है। पार्टी ने संगठनात्मक लिहाज से कानपुर व बुन्देलखण्ड को मिलाकर एक क्षेत्र बनाया है और सियासी गलियारों में इस क्षेत्र की अहम भूमिका मानी जाती है और दलितों पिछड़ों का मिज़ाज काफी मायने रखता है। किसी भी पार्टी के लिए लखनऊ व दिल्ली तक पहुंचने को लेकर। भाजपा ने विरोधियों को यह संकेत दे दिया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी कतई ढिलाई बरतने के मूड में नहीं।

केंद्र व प्रदेश में सत्ता सुख भोग रही भाजपा ने संगठनात्मक ढांचे में अंदरूनी तौर पर बदलाव करते हुए कई क्षेत्रों के क्षेत्रीय मंत्री और क्षेत्रीय संगठनात्मक मंत्री के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन किया है। पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षियों के महागठबंधन और खासतौर पर दलितों पिछड़ों के वोटबैंक में सेंध लगाने की शतरंजी बिसात पर पाशा फेंकने की चाल चलनी शुरू कर दी है।

दलित वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी

विपक्षियों के महागठबंधन के आगे उपचुनावों में मुंह की खाने के बाद भाजपा अब जातीय समीकरण को साधने में जुट गई है। पार्टी ने विरोधियों के दलित वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी करते हुए कानपुर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अशोक जाटव को क्षेत्रीय मंत्री का दायित्व सौंपा है। अशोक जाटव इससे पहले अभी तक चित्रकूट के जिलाध्यक्ष के पद पर थे। दलित नेता को क्षेत्रीय मंत्री जैसी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी देते हुए भाजपा ने कानपुर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में एक नए समीकरण की रूप रेखा तैयार की है। इस क्षेत्र में दलितों पिछड़ों की निर्णायक भूमिका रही है। हमेशा से सत्ता की कुर्सी तक सियासत के नुमाइंदों को पहुंचाने में और बसपा व सपा का एक मजबूत वोटबैंक रहा है। कानपुर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भाजपा ने भविष्य की नज़ाकत को भांपते हुए इस क्षेत्र में दलित नेता को संगठनात्मक ज़िम्मेदारी सौंपकर विरोधियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।

प्रदर्शन दोहराने की चुनौती

2014 के लोकसभा चुनाव व 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में बुन्देलखण्ड में क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा के सामने 2019 में फिर वहीं प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। अलबत्ता इस बार डगर कठिन होने के पूरे आसार हैं क्योंकि बुन्देलखण्ड में कई जमीनी मुद्दों पर पार्टी के चुने गए जनप्रतिनिधि खरे नहीं उतरे और सपा बसपा के गठ्बन्धन ने इन पार्टियों के परम्परागत वोट बैंक (दलितों पिछड़ों) को फिर से एक पायदान पर लाने का काम शुरू कर दिया है। भाजपा के पास इस इलाके में कोई बड़ा दलित चेहरा न होने के कारण 2019 में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

विधायक को बनाया गया जिलाध्यक्ष

पार्टी ने चित्रकूट में जिलाध्यक्ष के रूप में सदर विधायक चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को पदासीन किया है। चंद्रिका प्रसाद भाजपा के दिग्गज मुरली मनोहर जोशी के करीबी माने जाते हैं। हालांकि चंद्रिका प्रसाद को जिलाध्यक्ष बनाए जाने को लेकर खुद भाजपा में किसी को समझ नहीं आ रहा कि हाईकमान ने किस रणनीति के तहत ये कदम उठाया है। कई वरिष्ठ कार्यकर्ता इशारों इशारों में सोशल मीडिया के माध्यम से अपना दर्द बयां करते नज़र आ रहे हैं। विधायक को जिलाध्यक्ष बनाए जाने पर अंदरखाने में अंतर्विरोध के स्वर भी फूटने लगे हैं।

पार्टी में सब ठीक

हालांकि नवनियुक्त क्षेत्रीय मंत्री अशोक जाटव व जिलाध्यक्ष चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय इससे इत्तफ़ाक नहीं रखते और पार्टी में सब कुछ ठीक होने का दावा करते हुए कहते हैं कि हाईकमान ने जो ज़िम्मेदारी दी है। उसका निर्वहन पूरी ईमानदारी के साथ किया जाएगा। पार्टी में किसी तरह का कोई अंतर्विरोध नहीं है।

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