दो गुटों में हुआ खूनी संघर्ष चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत परिक्रमा मार्ग पर बंदरों के दो गुटों में ज़बरदस्त भिड़ंत हो गई. एक दूसरे के खून के प्यासे बंदर गुस्से में लाल होकर घातक बन गए थे. उस दौरान परिक्रमा लगाने वाले श्रद्धालु डर के मारे कांपने लगे कि कहीं क्रोधित बंदर उन्हें भी न निशाना बना लें. श्रद्धालुओं ने आस पास की दुकानों व् मंदिरों में छिपकर खुद को सुरक्षित किया. लगभग एक घण्टे तक दोनों गुटों के बीच भीषण लड़ाई चलती रही. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक परिक्रमा मार्ग के नरसिंह मंदिर के पास बड़ी संख्या में बंदरों का एक झुंड धमाचौकड़ी मचा रहा था. उसी दौरान दूसरी तरफ से लंगूरों(काले मुंह वाले बड़े बंदर) का एक झुण्ड आ गया. इलाके में पहले से मौजूद बंदरों के खेमे को शायद यह नागवार गुजरा और वे दूसरे लंगूरों के झुण्ड को देखकर आक्रामक मुद्रा में आ गए. लंगूर भी अपने सामने वालों की आक्रामकता देख भड़क उठे.
आधा दर्जन की मौत कई घायल देखते ही देखते दोनों गुट एक दूसरे पर टूट पड़े और एक दूसरे के खून के प्यासे होकर जानलेवा हमला करने लगे. तीर्थ यात्रियों के मुताबिक किसी किसी बंदर पर तो दूसरे गुट के कई बंदरों का समूह टूट पड़ता था. लगभग एक घण्टे तक चले खूनी संघर्ष के थमने के बाद दोनों गुटों के आधा दर्जन बंदरों की मौत हो गई जबकि इतने ही घायल हो गए. संघर्ष थमने के बाद किसी तरह तीर्थ यात्रियों ने परिक्रमा पूरी की.
पहाड़ व् जंगल की तरफ ले गए साथी का शव इस बीच बंदरों के बीच अपने मृत साथियों के प्रति संवेदना भी देखने को मिली. लड़ाई थमने के बाद मृत साथी बंदरों के शव को उनके झुंड के अन्य बंदर पहाड़ व् जंगल की तरफ ले गए और दोनों गुट अपने अपने इलाकों में लौट चले. मौके पर फंसे तीर्थ यात्री जितेंद्र ने बताया कि बंदरों के बीच लड़ाई से परिक्रमा लगा रहे लोग भयभीत हो गए थे.