उफनाई नदियां और पाठा की हकीकत क्षेत्र में कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जो इन हालातों में मुख्य मार्गों से पूरी तरह कट जाते हैं जिनसे सम्पर्क करने में प्रशासन को भी पसीना बहाना पड़ता है. उफनाई हुई बरदहा नदी की वजह से अभी तक कई इलाकों का संपर्क मुख्य मार्गों से नहीं हो पाया है. ऐसा नहीं कि अभी तक क्षेत्र में आवागमन के लिए रपटों पुलियों का निर्माण न किया गया हो लेकिन उनमें भ्रष्टाचार के मसाले ने उन्हें इतना मजबूत कर दिया कि लहरों के एक ही झटके में वो बह गए. इलाके के चमरौंहा मऊ गुरदरी के बीच बने पुल के क्षतिग्रस्त होने पर आज तक उसकी सुध नहीं ली गई और नतीजतन शुक्रवार से शुरू हुई बारिश के कारण उफनाई बरदहा की लहरों के बीच कई ग्रामीण फंस गए जिन्हें मानिकपुर थाना पुलिस ने किसी तरह रस्सी के सहारे सुरक्षित निकाला.
टापू बन जाते हैं कई गांव पाठा क्षेत्र में वैसे तो ऐसे दृश्य इंद्र देव की खासी मेहरबानी के कारण ही देखने को मिलते हैं क्योंकि कई वर्षों से पाठा की धरती प्यासी है और इतना पानी भी इस प्यासी धरा के लिए नाकाफी है. इसके इतर जब जब ऐसी बारिश हुई और नदियां नाले उफान पर आए कई गांव टापू बन गए. कुछ ऐसा ही हुआ था सन 2015 में जब लगातार कई दिनों तक रुक रुक कर हुई बारिश की वजह से सुदूर ग्रामीण इलाके पानी के बीच घिर गए थे और स्थिति गम्भीर हो गई थी. ग्रामीणों की मदद के लिए एनडीआरएफ को बुलाना पड़ा था. चमरौंहा सकरौंहा मऊ गुरदरी रानीपुर गिदुरहा जैसे इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए थे.
दिए गए निर्देश वर्तमान जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर ने बीते दो दिनों के दौरान पाठा की इस हालत को देखा तो उन्होंने लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए कि बारिश थमने व् नदी का बहाव कम हो जाने के बाद प्रभावित इलाकों में सड़कों का निर्माण शुरू कर दिया जाए.