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खाकी किलर के नाम से मशहूर हैं बीहड़ के ये शैतान, पुलिस से करते हैं बेपनाह नफरत

locationचित्रकूटPublished: Sep 14, 2017 02:52:30 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

पाठा के बीहड़ में खौफ का साम्राज्य कायम करने वाले खूंखार डकैतों को ख़त्म करने के लिए खाकी को भी अपनी कीमत कई बार चुकानी पड़ी है

Murderer Dacquits
चित्रकूट. पाठा के बीहड़ में खौफ का साम्राज्य कायम करने वाले खूंखार डकैतों को ख़त्म करने के लिए खाकी को भी अपनी कीमत कई बार चुकानी पड़ी है। कुख्यात डकैतों ने बेखौफ अंदाज में पिछले तीन दशकों के दस्यु इतिहास के दौरान कई बार पुलिस को सीधी टक्कर देते हुए उनके जांबाजों को अपनी गोलियों का निशाना बनाया है। कई खूंखार डकैतों को तो ख़ाकी के नाम से इस कदर नफरत थी और है कि उन्होंने मुखबिरी के शक में कइयों को मौत के घाट उतार दिया। बीहड़ के खूंखार शैतान ख़ाकी किलर के नाम से जाने जाते हैं, जिन्होंने पुलिस से भागने में अपनी भलाई नहीं, बल्कि पुलिस से लड़ाई में अपनी ताकत दिखाई और पुलिस के जांबाज़ मुठभेड़ के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। बुंदेलखण्ड के बीहड़ों में दहशत की हुकूमत चलाने वाले खूंखार डकैतों ने पुलिस के जवानों को मौत के घाट उतारने से लेकर उनके हथियारों तक को छीनने की दुस्साहसिक वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस से लूटी गई कई राइफलें और बंदूके आज तक दस्यु गिरोहों की जरूरतें पूरी कर रही हैं और पुलिस को उन्हीं के हथियार से जवाब देते हैं पाठा के ये खूंखार डकैत। पूरे बुंदेलखण्ड में चित्रकूट और बांदा जनपद के ख़ाकी के जांबाज शहीद हुए हैं डकैतों-बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान। चित्रकूट में पिछले 10 वर्षों के दौरान दर्जन भर पुलिसकर्मी दस्यु गिरोहों की गोलियों का निशाना बन वर्दी का फर्ज निभाते हुए कुर्बान हो गए। अभी भी खूंखार डकैत बबुली कोल और गौरी यादव जैसे ख़ाकी किलर बीहड़ में दहशत का साम्राज्य कायम कर बेताज बादशाह बने हुए हैं।
बुन्देलखण्ड का पाठा क्षेत्र जो खूंखार दस्यु गिरोहों की चहलकदमी की वजह से चम्बल घाटी के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। घने जंगलों बीहड़ों में खौफ की कहानी लिखते दस्यु गिरोहों को ठिकाने लगाने के लिए पिछले तीन दशकों से अधिक समय से पुलिस इन बीहड़ों में कदमताल करती आ रही है। एक डकैत ढेर नहीं हुआ मुठभेड़ में कि दूसरा तैयार हो गया ख़ाकी को चुनौती देने के लिए। इसी विडम्बना के चलते बीहड़ से खूंखार शैतानों का पूरी तरह ख़ात्मा अभी तक नहीं हो पाया है। इन सबके इतर एक दूसरी तस्वीर उभरती है जो पुलिस की शहादत को इन खूंखारों के खात्मे के दौरान बयां करती है। बीहड़ के कुख्यात डकैतों ने जब भी मौका मिला पुलिस के जांबाजों को गोलियों से छलनी कर दिया। अपने इलाकों में ख़ाकी की दस्तक इस कदर नापसंद थी कि यदि पुलिस वाहन किसी घर या क्षेत्रीय दुकान के सामने रुकता तो उसे मुखबिरी के शक में गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया जाता। कुख्यात दस्यु बलखड़िया ने इसी कारण से साल भर के अंदर मुखबिरी के शक में चार ग्रामीणों की हत्या कर दी थी क्योंकि उनके पास उसने पुलिस की मौजूदगी देख रखी थी।
ठोकिया और घनश्याम सबसे बड़े ख़ाकी किलर
बीहड़ में ख़ाकी किलर के नाम से खौफ की पराकाष्ठा पार करने वाला खूंखार डकैत ठोकिया ख़ाकी वर्दी से इस कदर नफरत करता था कि अपनी गैंग के सदस्यों को उसने पुलिस या पुलिस के किसी भी जवान को देखते ही गोली मारने का हुक्म दे रखा था और होता भी वही था। पुलिस से हथियार लूटने की शुरुआत बीहड़ में दस्यु ठोकिया ने ही की। वर्ष 2004 में ठोकिया ने जनपद के खोही चौकी में तैनात सिपाही रामसजीवन और रामपाल तथा कालिंजर थाने के सिपाही रमाकांत की हत्या कर उनकी राइफलें लूट ली थीं। पूरे पाठा क्षेत्र में किसी थाने की फ़ोर्स अकेले जाने की जहमत नहीं उठाती थी बीहड़ में, क्योंकि ठोकिया के पास अत्याधुनिक हथियारों की कोई कमी नहीं थी और उसका गैंग भी काफी बड़ा था।
अकेले घनश्याम केवट ने 500 जवानों से ली थी टक्कर
पूरे यूपी सहित देश की सुर्ख़ियों में कुख्यात डकैत ठोकिया उस समय आया जब उसने यूपी एसटीएफ के काफिले पर घात लगाकर हमला करते हुए गोलियों की बौछार शुरू कर दी। अधाधुंध फायरिंग में एसटीएफ के 6 जवान मौके पर ही शहीद हो गए, जबकि इतने ही घायल हुए। हमला 22 जुलाई 2007 को उस समय हुआ था जब एसटीएफ टीम उसी दिन डकैत ददुआ का एनकाउंटर करके ठोकिया की लोकेशन ट्रेस करने के लिए चित्रकूट बांदा की सीमा पर स्थित फतेहगंज के जंगल से गुजर रही थी। जवानों के शव गोलियों से इस कदर छलनी थे कि कइयों टुकड़े हो गए थे। तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह को भी घटनास्थल पर आना पड़ा था। ख़ाकी को सबसे बड़ा दुश्मन मानने वाला दूसरा डकैत था घनश्याम केवट जिसने सन 2009 में 16 जून से 18 तक चली तीन दिनों की मुठभेड़ में अकेले ही 4 पुलिसकर्मियों को गोलियों से छलनी कर दिया। चित्रकूट के जमौली गांव में हुई इस मुठभेड़ में डकैत घनश्याम केवट एक घर के कमरे में बन्द था और खिड़की से अचूक निशाना लगाते हुए पुलिस पर गोलियां बरसा रहा था। तीन दिन के बाद 18 जून को कमरे से निकलकर भागते हुए घनश्याम को मार गिराया गया था। घनश्याम केवट ने लगभग 500 पुलिस के जवानों से अकेले टक्कर ली थी। पुलिस को अभी तक इन वारदातों की टीस खलती है।
खाकी को नंबर एक दुश्मन मानता है बबुली कोल
एक लाख के इनामी दस्यु गौरी यादव ने भी पुलिस पर बेख़ौफ़ अंदाज में हमला करते हुए सन 2013 में बहिलपुरवा थाना क्षेत्र में दिल्ली पुलिस के दरोगा भगवान शर्मा को गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया था। दस्यु बलखड़िया से सन 2015 में मुठभेड़ के दौरान दो पुलिसकर्मी गम्भीर रूप से घायल हो गए थे। अपने आकाओं की फितरत पर चलते हुए कुख्यात डकैत बबुली कोल भी खाकी को नम्बर एक दुश्मन मानता है और बीहड़ में कहीं भी पुलिस की आहट पाने पर भागने की बजाए ख़ाकी से मुठभेड़ को अंजाम देता है। बबुली से मुठभेड़ में इसी वर्ष 2017 में बीती 24 अगस्त को एसआई जेपी सिंह शहीद हो गए थे। कुख्यात दस्यु ददुआ को राजनैतिक सरंक्षण प्राप्त होने से उसके इलाके में ख़ाकी की नो इंट्री हुआ करती थी इसलिए कई बार गैंग की लोकेशन ट्रेस होने के बावजूद भी पुलिस उससे मुठभेड़ नहीं कर पाई। अलबत्ता जब ददुआ की राजनैतिक दुश्मनी हो गई तो उसे एसटीएफ ने मार गिराया। ददुआ का टेरर इतना हुआ करता था कि मानिकपुर और मारकुंडी के इलाकों में पुलिस की आमद थानों के बाहर कभी कभार ही हुआ करती थी।
अब तक 47 जाबांज हुए हैं शहीद
डकैतों बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान चित्रकूटधाम मण्डल की ख़ाकी को सबसे ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी है। चित्रकूट और बांदा की पुलिस के अब तक 47 जाबांज पुलिसकर्मी कर्तव्य की वेदी पर कुर्बान हुए हैं। 1943 से लेकर 2017 तक डकैतों से मुठभेड़ के दौरान उपनिरीक्षक से लेकर कांस्टेबल स्तर के जांबाज पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं। पुलिस और डकैतों के बीच अब तक कई बार सीधी मुठभेड़ में अक्सर दस्यु गिरोह ही भारी पड़े हैं। खूंखार डकैतों ददुआ ठोकिया बलखड़िया रागिया जैसे दस्यु सरगनाओं को उनके अंजाम तक भले ही पहुंचा दिया गया हो, लेकिन अभी भी बीहड़ में ख़ाकी को नफरत की आग में जलाने के लिए दस्यु बबुली लवलेश गौरी यादव जैसे बीहड़ के शैतान तैयार बैठे हैं।
24 डकैत मुठभेड़ में ढेर और 36 जेल में है कैद
पाठा के बीहड़ों से अब तक 24 डकैतों का सफाया हो चुका है। इनमें ददुआ ठोकिया रागिया बलखड़िया घनश्याम केवट शंकर केवट राजू कोल चेलवा कोल अंगद जैसे बड़े व खूंखार डकैतों से लेकर गिरोहों के हार्डकोर मेंबर तक शामिल हैं। 1970 से अब तक 47 वर्षों में ख़ाकी ने बीहड़ से इन कुख्यात दस्यु सरगनाओं व उनके सदस्यों का ख़ात्मा किया है। इसके इतर इन खूंखार दस्यु गिरोहों के लगभग 36 डकैत मंडल कारागार बांदा में सलाखों के पीछे कैद हैं। जेल बन्द इन डकैतों में कइयों का नाम सुनकर पाठा की रूह कांप जाती थी, कभी जिनमें राधे जैसे खूंखार डकैत शामिल हैं।
रिपोर्ट- विवेक मिश्रा

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