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इन कुख्यात डकैतों की गोलियों का सामना कर वर्दी की कीमत चुकाई है इन जाबांजो ने

locationचित्रकूटPublished: Oct 21, 2018 04:44:52 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

खूंखार घनश्याम केवट से चली मुठभेड़ में चार पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
 

chitrakoot

इन कुख्यात डकैतों की गोलियों का सामना कर वर्दी की कीमत चुकाई है इन जाबांजो ने

चित्रकूट. आम तौर पर समाज में पुलिस की छवि को लेकर आए दिन सवालात उठते रहते हैं और पुलिस का नेक काम नेपथ्य के पीछे चला जाता है। इन सबके इतर एक स्याह सच यह भी है कि यदि पुलिस न होती और वर्दी के जाबांज न होते तो शायद समाज को शातिर अपराधियों से मुक्ति न मिलती। ये पुलिस ही तो है जो कुख्यात बदमाशों डकैतों से मुठभेड़ कर समाज को उनके भय व आतंक से आजादी दिलाती है। इसी मुठभेड़ में वर्दी के पहरुओं को अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़ती है। कुछ ऐसी ही बलिदानी गाथा है बुन्देलखण्ड के चित्रकूट पुलिस की जिसने समय समय पर खौफ के सौदागर खूंखार डकैतों की गोलियों का सामना कर वर्दी की कीमत चुकाई है।
एसटीएफ पर बरसाई थी गोलियां
वर्ष 2007 तारीख 23 जुलाई . यूपी एसटीएफ चित्रकूट के मानिकपुर थाना क्षेत्र के जंगल से खूंखार दस्यु सरगना ददुआ सहित उसके आधा दर्जन साथियों का इनकाउंटर कर वापस लौट रही थी कि इसी दौरान टीम को दूसरे बड़े कुख्यात डकैत साढ़े पांच लाख के इनामी ठोकिया की लोकेशन मिली। टीम ने ठोकिया को भी ठिकाने लगाने की रणनीति बनाई और चित्रकूट बांदा के सीमावर्ती फतेहगंज जंगल की ओर जाने लगी। इसी दौरान ठोकिया के मजबूत मुखबिर नेटवर्क ने गैंग को यूपी एसटीएफ की लोकेशन दे दी। ठोकिया ने अपनी गैंग के साथ घात लगाकर सीमावर्ती फतेहगंज जंगल में एसटीएफ टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। टीम को संभलने का मौका भी न मिला। एसटीएफ के जाबांजो ने पोजीशन लेने की कोशिश की लेकिन डकैतों को निशाना नहीं बना पाए।
शहीद हो गए 6 जवान
इस घातक व दिल दहला देने वाले हमले में एसटीएफ जवान ईश्वरदेव सिंह, उमाशंकर यादव, लक्ष्मण प्रसाद शर्मा, राजेश सिंह चौहान, बृजेश यादव, गिरीशचंद्र नागर वर्दी का फर्ज निभाते हुए शहीद हो गए।
खूंखार घनश्याम केवट से मुठभेड़ में शहीद हुए 4 जाबांज

16 से 18 जून तक (2009) तक जनपद के राजापुर थाना क्षेत्र के जमौली गांव में 50 हजार के इनामी खूंखार घनश्याम केवट से चली मुठभेड़ में चार पुलिसकर्मी शहीद हो गए। घनश्याम केवट ने अकेले पूरी पुलिस फ़ोर्स से टक्कर ली थी। एक मकान के कमरे में छिपे डकैत घनश्याम से मोर्चा लेते हुए जाबांज शमीम अली, इकलाबुद्दीन, बेनीमाधव सिंह व वीर सिंह निरंजन वर्दी की कीमत चुका गए। अंतिम दिन 18 जून को घनश्याम केवट मारा गया।
पिछले वर्ष बबुली से मुठभेड़ में शहीद हुए जाबांज जेपी सिंह

पिछले 2017 में साढ़े पांच लाख के इनामी दस्यु बबुली कोल से मानिकपुर के जंगल में मुठभेड़ के दौरान जाबांज एसआई जेपी सिंह डकैतों की गोलियों का सामना करते हुए शहीद हो गए थे। शहीद जेपी सिंह जनपद के रैपुरा थाने में तैनात थे व जौनपुर जनपद के रहने वाले थे। डकैतों की लोकेशन पर उनका खात्मा करने निकले थे जेपी सिंह।

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