चित्रकूट

ग्राउंड रिपोर्ट: हांफते उम्मीदवारों पर जनता की चुप्पी भारी किस ओर होगा हवाओं का रुख गुणा गणित का दौर जारी

इस चुनाव में जनता जनार्दन की चुप्पी 45 डिग्री पार तापमान में हांफते प्रत्याशियों पर भारी है और सियासी पण्डित टाइम पास के नाम पर गुणा गणित का जाल बिछाने में व्यस्त हैं

चित्रकूटMay 04, 2019 / 12:11 pm

आकांक्षा सिंह

ग्राउंड रिपोर्ट: हांफते उम्मीदवारों पर जनता की चुप्पी भारी किस ओर होगा हवाओं का रुख गुणा गणित का दौर जारी

चित्रकूट: मतदान की घड़ी करीब आते आते सियासी फिजा में चुनावी हवा का रुख किस ओर है या होगा इसकी संकेतात्मक पुष्टि होने लगती है. यहां तक कि सियासी कुण्डलिकार हार जीत का मार्जिन तक तय करने में जुट जाते हैं लेकिन इस बार ये सारी कवायदें शिथिल हैं क्योंकि इस चुनाव में जनता जनार्दन की चुप्पी 45 डिग्री पार तापमान में हांफते प्रत्याशियों पर भारी है और सियासी पण्डित टाइम पास के नाम पर गुणा गणित का जाल बिछाने में व्यस्त हैं. गठबंधन(सपा-बसपा) भाजपा व कांग्रेस इन तीनों प्रमुख पार्टियों के खेमों में बेचैनी की आहट साफ़ महसूस हो रही है.
 

मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार

बुन्देलखण्ड की महत्वपूर्ण चित्रकूट-बांदा लोकसभा सीट पर इस बार गठबंधन(सपा-बसपा) से श्यामाचरण गुप्त भाजपा से आरके सिंह पटेल जबकि कांग्रेस से बालकुमार पटेल चुनावी मैदान में उतरे हैं. कुर्मी ब्राम्हण व दलित बाहुल्य इस सीट पर इस बार हवा का रुख क्या होगा यह बड़े बड़े चुनावी विश्लेषकों के लिए भी कहना मुश्किल हो रहा है. अभी तक के विश्लेषण में इतना तो स्पष्ट हो गया है एक प्रकार से कि तीनों दलों की आपस में एक दूसरे से कड़ी टक्कर होनी है. कोई किसी से कम नजर नहीं आ रहा. पार्टियों के वोटबैंक में भी इस बार फेरबदल देखने को मिल रहा है. कोई भी पार्टी अपने परम्परागत वोटबैंक पर ताल ठोंकती नजर नहीं आ रही.
 

विकास व मुद्दे दूर

सन 2014 का चुनाव जहां विकास व बुन्देलखण्ड की मूलभूत जमीनी समस्याओं के आधार पर लड़ा गया था और सभी प्रमुख पार्टियों ने इसे अपना प्रमुख एजेंडा बनाया था वहीं इस बार का लोकसभा चुनाव पूरी तरह जातिगत समीकरण पर लड़ा जा रहा है. गठबंधन सहित भाजपा व कांग्रेस ने इसी समीकरण को साधते हुए अपनी चाल चली है चुनावी बिसात पर. जमीनी स्थानीय मुद्दे बंजर जमीन जैसे हो चुके हैं.
 

जातीय समीकरण पर टिकी उम्मीदवारों की जय पराजय


इसमें कोई संदेह नहीं कि जातीय समीकरण पर ही उम्मीदवारों की जय पराजय टिकी हुई है इस चुनाव में. यहां तक कि 25 अप्रैल को लोकसभा क्षेत्र के बांदा जनपद में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में मोदी ने भी पिछड़े वर्ग की बात करते हुए इस जाति के लोगों को साधने की कोशिश की क्योंकि बुन्देलखण्ड सहित इस सीट पर पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की खासी संख्या है जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है हार जीत में.

कौन किस ओर जाएगा इस पर जमकर माथा पच्ची


चित्रकूट-बांदा लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा व कांग्रेस से कुर्मी बिरादरी के दो बड़े चेहरे क्रमशः आरके सिंह पटेल व बालकुमार पटेल मैदान में हैं और इस सीट पर कुर्मी बिरादरी का अच्छा खासा दखल है जिससे इस बार ये वोटबैंक सबसे ज्यादा किस खेमें में जाएगा इस पर जमकर माथा पच्ची हो रही है. वहीं सपा-बसपा गठबन्धन ने श्यामाचरण गुप्त को मैदान में उतारा है. चूंकि इस बार सपा बसपा हांथ मिलाकर चुनाव मैदान में हैं सो बसपा का परम्परागत दलित वोटबैंक सपा को फायदा पहुंचा सकता है लेकिन इस वोटबैंक में भी कांग्रेस व भाजपा ने सेंधमारी करने की कोशिश की है. वैसे पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा ने ही भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी इसलिए सपा के लिए ये प्लस प्वाइंट हो सकता है कि उसके साथ बसपा का वोटबैंक भी जुड़ गया है इस बार. सबसे निर्णायक भूमिका में रहेंगे दलित+कुर्मी+ब्राम्हण वोटर. इन तीनों जातियों का वोटबैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
 

ये हैं जातिगत आंकड़े


चित्रकूट-बांदा लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण कुछ इस प्रकार है:

विधानसभा:5

पुरुष मतदाता: 884779

महिला मतदाता: 717011

कुल मतदाता: 1601855

ब्राम्हण: 2.35 लाख
कुर्मी: 2.20 लाख

दलित: लगभग 4 लाख

अन्य पिछड़ा वर्ग: लगभग 2 लाख
यादव: लगभग 1 लाख

इसी तरह केवट कहार(75 हजार), पाल(45 हजार), लोध(70 हजार), कुम्हार(40 हजार), कुशवाहा मौर्य शाक्य व सैनी( लगभग 1 लाख) , मुसलमान(90 हजार), कायस्थ(22 हजार), वैश्य(75 हजार) व क्षत्रिय(75 हजार) के लगभग हैं.
2014 के नतीजे

भैरों प्रसाद मिश्रा भाजपा(विजयी) वोट: 342066

आरके सिंह पटेल(बसपा दूसरा स्थान) वोट: 226278

बालकुमार पटेल(सपा तीसरा स्थान) वोट: 189730

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