scriptचित्रकूट के हनुमानधारा में अप्रैल से हनुमान की तरह उड़कर पहुंचेंगे | Chitrakoot Hanuman Dhara Rope Way Madhya Pradesh Uttar Pradesh | Patrika News

चित्रकूट के हनुमानधारा में अप्रैल से हनुमान की तरह उड़कर पहुंचेंगे

locationचित्रकूटPublished: Feb 03, 2020 02:20:48 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के मध्य स्थित है चित्रकूट हनुमान धारा पहाड़ पर जल्द रोप वे की शुरुआत करीब 12 करोड़ की लागत से बन रहे रोप वे अंतिम चरण में

चित्रकूट के हनुमानधारा में अप्रैल से हनुमान की तरह उड़कर पहुंचेंगे

चित्रकूट के हनुमानधारा में अप्रैल से हनुमान की तरह उड़कर पहुंचेंगे

चित्रकूट. हनुमानजी ने लंका दहन के बाद जहां अपनी अग्नि शांत की थी, उस स्थान हनुमान धारा अब आस्थावान रोप वे से पहुंच सकेंगे। इसके लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इसी वर्ष अप्रैल माह से इस सुविधा की शुरुआत हो जाएगी। रो वे में स्वीट्ज़रलैंड से मंगवाई ट्रॉलियां लगाई गईं हैं, जिसमें बैठकर अद्भुत अलौकिक नज़ारा देख सकेंगे।
यूपी व मध्य प्रदेश के मध्य स्थित भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में यूपी के हिस्से में पड़ने वाले धार्मिक स्थल लक्ष्मण पहाड़ी पर यूपी के पहले रोप वे की शुरुआत हो गई है। अब इसी तीर्थ क्षेत्र के मध्य प्रदेश वाले हिस्से में आस्थावानों को ये सुविधा मिलने जा रही है। मध्य प्रदेश में स्थित हनुमान धारा पहाड़ पर जल्द ही रोप वे कि शुरुआत कर दी जाएगी। करीब 12 करोड़ की लागत से बन रहे रोप वे के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है।
यूपी व मध्य प्रदेश के मध्य स्थित भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में जहां यूपी के हिस्से में पड़ने वाले धार्मिक स्थल लक्ष्मण पहाड़ी पर यूपी के पहले रोप वे की शुरुआत हो गई है वहीं अब इसी तीर्थ क्षेत्र के मध्य प्रदेश वाले हिस्से में आस्थावानों को ये सुविधा मिलने जा रही है। मध्य प्रदेश में स्थित हनुमान धारा पहाड़ पर जल्द ही रोप वे कि शुरुआत कर दी जाएगी। करीब 12 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे रोप वे के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है। मध्य प्रदेश सरकार की खास नज़र है इस पर। पिछले पांच वर्षों से इस धार्मिक स्थल पर रोप वे का निर्माण कार्य चल रहा है। योजना को पूरा करने का जिम्मा दामोदर रोपवेज इंफ्रा लिमिटेड को दिया गया है। हालांकि अभी इस सुविधा का लाभ लेने की दरें (दाम) निर्धारित नहीं की गई हैं। अप्रैल माह से इसके शुरू होने की पूरी उम्मीद है। अभी लगभग 665 सीढ़ियों के माध्यम से श्रद्धालु इस दुर्लभ स्थान तक पहुंचते हैं। 327 मीटर ऊंचे रोप वे में 6 ट्रॉली लगाई जाएंगी।
चित्रकूट के हनुमानधारा में अप्रैल से हनुमान की तरह उड़कर पहुंचेंगे
स्वीट्ज़रलैंड से मंगवाई गई हैं ट्रॉलियां : – ऊंचे विशाल पहाड़ पर स्थित हनुमान धारा की गुफा तक रोप वे के माध्यम से जाने के दौरान श्रद्धालु प्रकृति के अद्भुत अलौकिक नजारों का आनंद ले सकेंगे। कुछ ऐसा ही दृश्य दिखता है लक्ष्मण पहाड़ी स्थित यूपी के पहले रोप वे से यात्रा के दौरान। स्वीट्ज़रलैंड से रोप वे की ट्रॉलियों को मंगवाया गया है। निर्माणाधीन कम्पनी के महाप्रबंधक एसके तिवारी के मुताबिक यह रोप वे अत्याधुनिक तकनीकी का होगा। उम्मीद है कि जल्द ही इस सेवा की शुरुआत कर दी जाएगी।
रहस्यों को समेटे हुए है हनुमानधारा : – भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में कई ऐसी जगह हैं जहां आज भी कई रहस्यात्मक पहलू लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। उन्ही में से एक स्थान है हनुमान धारा। पौराणिक व धार्मिक ग्रंथों में उल्लिखित मान्यता के अनुसार लंकाधिपति रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले राम का सन्देश लेकर लंका गए हनुमान ने पूरी लंका को आग से भस्म कर दिया था। लंका दहन व विजय के पश्चात हनुमान के शरीर में उत्पन्न गर्मी को शांत करने के लिए राम ने उन्हें चित्रकूट में निवास करने का आदेश दिया। हनुमानधारा नाम से विख्यात चित्रकूट के इस स्थल पर हनुमान के हृदय को आज भी शीतल कर रहा है अदृश्य जगह से निकल रहा जल।
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भगवान राम ने दिया आदेश : – मान्यता के अनुसार भगवान राम से जब हनुमान ने अपने शरीर में उत्पन्न गर्मी के निराकरण के उपाए के बारे में पूछा तो श्री राम ने हनुमान को चित्रकूट के पहाड़ पर रहने का आदेश दिया और अपने बाण से उसी पहाड़ पर जलस्रोत उत्पन्न किया जिसे हनुमानधारा के नाम से जाना जाता है। श्री रामचरितमानस सहित कई धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख मिलता है। गुफा में विराजे हनुमान के बाएं अंग पर अदृश्य जगह से निकलते जलश्रोत का रहस्य आजतक कोई नहीं जान पाया। भीषण गर्मी में भी ये जल नहीं सूखता। आस्थावानों में इस स्थान को लेकर अपार श्रद्धा है।
जल को अपने साथ ले जाते हैं भक्त : – विभिन्न असाध्य रोगों के निवारण के लिए भी भक्त इस जल को अपने साथ ले जाते हैं। पहाड़ पर अनेकों गुफाएं व् कन्दराएं इस बात को प्रमाणित करती हैं की इन जगहों पर बड़े बड़े तपस्सीयों ने आत्मजागरण की तपस्या की है। स्थान के पुजारी बताते हैं की यहां का जल अमृत के समान माना जाता है और कभी नहीं सूखता। कहा जाता है की आज भी हनुमान धारा के पहाड़ पर कई साधु संत जनकल्याण के लिए तपस्यारत हैं और उन्हें हनुमान की कृपा प्राप्त है।
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