मौजूद हैं कई अगूढ़ रहस्य
यदि कहा जाए कि पाठा(मानिकपुर व् मारकुंडी) क्षेत्र में मानव सभ्यता के अगूढ़ रहस्यों की कई श्रंखलाएं मौजूद हैं तो गलत नहीं होगा। इलाके के मानिकपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत सरहट नामक स्थान पर गुफाओं में और पत्थरों पर उकेरे गए शैल चित्र इस क्षेत्र में मानव सभ्यता की तस्दीक करते हैं जिनकी प्रमाणिकता के लिए कई बार शोधार्थियों व् पुरातत्व विभाग की टीमें क्षेत्र का दौरा कर चुकी हैं। इलाके में ही मानव संस्कृति से सम्बंधित मिली अब कुछ और निशानीयों ने इस स्थान को ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण बना दिया है जिसपर पर उच्च स्तर पर पहल का इंतजार है।
अवशेष मिलने के संकेत
सरहट इलाके में पत्थरों पर मानव सभ्यता से जुड़े कुछ दुर्लभ अवशेषों के मिलने के संकेत हुए हैं। इलाके के ऐसे ही कई दुर्लभ स्थानों को सामने ला चुके युवा समाजसेवी शोधार्थी अनुज हनुमत ने इन अवशेषों की तस्दीक करते हुए शासन प्रशासन और पुरातत्व विभाग का ध्यान इनकी ओर आकृष्ट कराया है। चट्टानों पर सफेद रंग से बने चित्र जिनमें झोपडी बरामदा व् कई धार्मिक चिन्ह प्रतीत होते हैं वे इस बात का संकेत करते हैं कि इस इलाके में हजारों वर्ष पूर्व मानव सभ्यता के कई रहस्य छिपे हैं जिनपर गहराई से शोध की आवश्यकता है। शोधार्थी अनुज हनुमत ने बताया कि ये अवशेष रूपी चित्र अपने आप में काफी कुछ समेटे हुए हैं और पाठा की प्राचीन मानव सभ्यता की ओर इंगित करते हैं। युवा समाजसेवी ने इस बारे में शासन प्रशासन और पुरातत्व विभाग की टीम को अवगत कराया है।
मानव सभ्यता की गवाह है पाठा की धरती
इन रहस्यों के बारे में जब गहराई से तस्दीक की गई और ऐतिहासिक विद्वानों से संपर्क साधा गया तो उनका भी कहना था कि पाठा की धरती मानव सभ्यता की गवाह है और इस ओर शोध करने की काफी जरूरत है। पाठा में मिल रहे इन दुर्लभ अवशेषों चिन्हों के बारे में शोध कर चुके और वर्तमान में भी इस दिशा में गहराई से अध्यन कर रहे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवम् पुरातत्व विभाग के प्रो। देवी प्रसाद दुबे ने बताया कि चित्रकूट में सिर्फ पाठा ही नहीं बल्कि कई एसे स्थान हैं जहां आदिमानव के प्रमाण मिलते हैं। लालापुर(चित्रकूट) स्थित वाल्मीकि आश्रम, बांके सिद्ध , हनुमानधारा जैसे स्थानों पर कई दुर्लभ प्रमाण मौजूद हैं। पाठा में जो अवशेष रूपी चित्र अभी मिले हैं चट्टानों पर वे लगभग दूसरी तीसरी ईसा पूर्व यानी 2 से ढाई हजार साल पुराने प्रतीत होते हैं जो मानव सभ्यता के बारे में काफी कुछ कहते हैं। इन पर शोध चल रहा है।
पुरातत्व विभाग की उदासीनता से नेपथ्य के पीछे
पाठा में मौजूद इन दुर्लभ ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने और इन्हें देश दुनिया के पर्यटन के मानचित्र पर लाने के प्रयास जिला स्तर पर तो किए जा रहे हैं लेकिन पुरातत्व विभाग कुंडली मारे बैठा है। जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर ने बताया कि कई बार प्रस्ताव बनाकर भेजा गया पुरातत्व विभाग को पाठा सहित अन्य ऐतिहासिक स्थानों को लेकर लेकिन अभी तक उधर से कोई ठोस पहल नहीं की गई। हम अपने स्तर पर प्रयास फिर भी कर रहे हैं।