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अन्ना जानवरों का आतंक अन्नदाताओं का दर्द, फसलें हो रहीं नष्ट

locationचित्रकूटPublished: Sep 19, 2018 02:52:48 pm

अन्ना जानवरों के आतंक से दिन पे दिन तबाही की और बढ़ते बुंदेलखण्ड के अन्नदाताओं का दर्द कब दूर होगा

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अन्ना जानवरों का आतंक अन्नदाताओं का दर्द, फसलें हो रहीं नष्ट

चित्रकूट. अन्ना जानवरों के आतंक से दिन पे दिन तबाही की और बढ़ते बुंदेलखण्ड के अन्नदाताओं का दर्द कब दूर होगा इसका जवाब न तो सिस्टम के पास है और न समाज के पास। किसानों की आंखों के सामने उनकी फसलें अन्ना जानवरों का ग्रास बन रही हैं। बुंदेलखण्ड के किसानों के लिए केंद्र व् प्रदेश सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई गईं और चलाई जा रही हैं लेकिन ये सारी कवायदें तब बेईमानी साबित होती हैं जब खेतों में अन्ना मवेशियों को हांकते दौड़ाते किसानों के दृश्य दिखाई पड़ते हैं। बुंदेलखण्ड में इस तरह के दृश्य आम हो चले हैं।


जब फसलें ही नहीं बचेंगी तो योजनाएं किस काम की


किसानों का कहना है कि जब फसलें ही नहीं बचेंगी तो योजनाएं किस काम की। दिन रात खेतों में रखवाली पड़ती है जीव जंतुओं का डर अलग से लेकिन मेहनत से तैयार की गई फसलों को कैसे यूं ही नष्ट होते देखा जा सकता है। अन्नदाताओं ने दर्द बयां करते हुए कहा कि कोई रास्ता नहीं सूझ रहा इनसे निपटने का।


कहां ले जाएं कहां छोड़ें

समस्या से निजात को लेकर किसानों का कहना है कि आखिर इन जानवरों को कहां ले जाएं कहां छोड़ें। जो गौशालाएं खोली गई हैं वो इतनी दूर दूर हैं कि वहां तक ले जाने में ही बल जान पड़ता है। दूसरी समस्या यह कि जब बाहरी इलाकों के अन्ना जानवरों को पशु आश्रय स्थलों या गौशालाओं में पहुंचाया जाता है तो स्थानीय लोग विरोध करते हैं और पुलिस भी परेशान करती है। किसानों के मुताबिक यदि हर बड़ी ग्राम पंचायतों में पशु आश्रय स्थल गौशालाएं स्थापित हो जाएं तो कम से कम आधी समस्या हल हो सकती है।

हांथों में लाठी दिन रात रखवाली

किसानों की आंखे बताती हैं कि वे कितनी थकी हुई हैं। हांथों में लाठी और दिन रात रखवाली कुछ ऐसा ही फ़लसफा बन गया है अन्नदाताओं का। कई ऐसे खेतिहर मजदूर हैं जो इन्ही अन्ना जानवरों की वजह से दूसरों का खेत अब बंटाई यानी अधिया पर नहीं लेते। उनका कहना है कि जब फसल ही नहीं बचेगी तो वो मालिक को क्या देंगे और खुद क्या खाएंगे इससे अच्छा शहरों व् कस्बों में ईट गारा मजदूरी करना है जिससे कम से कम उन्हें रोज नमक रोटी के लिए कुछ पैसे मिल जाते हैं।

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