युवा समाज सेवी व मीडिया की सार्थक पहल ने पटल पर लाई पर्यटन की संभावनाएं
चित्रकूट की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाता और प्राचीन व् ऐतिहासिक विरासत को समेटे पाठा क्षेत्र में अब पुरातत्व विभाग की दस्तक होने जा रही है। जल्द ही इलाके के कई स्थान इस विभाग की देखरेख में होंगे। क्षेत्र की इन अमूल्य धरोहरों को देश दुनिया व् सिस्टम के जिम्मेदारों के सामने लाने में स्थानीय युवा समाज सेवी अनुज हनुमत व् मीडिया की खासी भूमिका रही। युवा समाजसेवी ने जिला स्तर से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पाठा की इस गुमनामी को पहुंचाया जिसके बाद व्यवस्था के पहरुओं के कानों पर जूं रेंगा और अब शासन से अधिसूचना जारी होने का इंतजार है धरोहरों को संरक्षित करने को लेकर।
संरक्षित होंगे प्राचीन ऐतिहासिक स्थान
पुरातत्व विभाग ने भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट के प्राचीन ऐतिहासिक स्थानों को संरक्षित करने की योजना बनाई है। जिसके तहत प्राचीन सोमनाथ मंदिर, शिवमंदिर राजापुर चित्रकूट, बड़ी भवानी देवी मंदिर रसिन चित्रकूट, पाठा स्थित खांभा खाम्भेश्वर घाटी स्थित शैलाश्रम सरंक्षित होंगे। क्षेत्रीय पुरात्तव अधिकारी इलाहाबाद राम नरेश पाल ने बताया कि चित्रकूट के इन स्थानों को पुरात्तव परामर्शदात्री समिति ने सरंक्षित करने की संस्तुति की है जिसके तहत उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व एवम् संस्कृति विभाग इन स्थानों को सरंक्षित करेगा और जिसकी अधिसूचना आने वाले कुछ दिनों में जारी होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि विभाग में बजट की अत्यंत कमी होने के चलते धरोहरों की देखरेख में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बजट ठीक ठाक मिले तो काफी काम हो जाए।
पाठा की गोद में मौजूद हैं अगूढ़ रहस्य
पाठा की गोद में प्राचीन एवम् ऐतिहासिक रहस्यों के वे गूढ़ तत्व मौजूद हैं जो आज भी पर्यटन व् शोध की संभावनाओं को इंगित करते हैं। आदिमानव निर्मित शैलचित्र अपने आप में कई अद्भुत रहस्यों को समेटे हुए हैं जिन्हें भविष्य में शोध के द्वारा सुलझाया जा सकता है। अकेले चित्रकूट में ही कई ऐसे स्थान हैं जो पर्यटन व् शोध के मानचित्र पर आने के लिए लालायित हैं और व्यवस्था के जिम्मेदारों की तरफ टकटकी लगाए देख रहे हैं।