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यहां महिलाओं को न्याय दिलाने का हो रहा अनूठा प्रयास, लगती है अनोखी अदालत

locationचित्रकूटPublished: Feb 01, 2018 04:52:52 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

यहां महिलाओं को न्याय दिलाने का हो रहा अनूठा प्रयास, लगती है अनोखी “अदालत”

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चित्रकूट. महिला सशक्तिकरण के लाख दावों के बावजूद देश और समाज में नारी शक्ति के जीवन में अभी भी कई ऐसी चुनौतियां हैं जिनसे काफी लम्बी लड़ाई लड़नी होगी। धरातल पर महिलाओं के उत्थान उनको न्याय दिलाने के लिए भले ही अभी भागीरथी प्रयास शुरू न किए गए हों परंतु समाज में महिलाओं के अंदर उत्पन्न हो रही जागरूकता की भावना उन्हें बंदिशों की दहलीजों को लांघने की ताकत अवश्य दे रही है। न्याय के नाम भारत की वर्षों पुरानी परम्परा है कि आपस में मिल बैठकर किसी भी मामले को सुलझा लेना और एक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस माध्यम के द्वारा पक्षकारों को काफी सहूलियत मिलती है और वक्त भी जाया नहीं होता अन्यथा देश में अदालतों की स्थिति क्या है न्याय दिलाने को लेकर यह किसी से छिपा नहीं है।
लाखों करोड़ों लम्बित मुकदमें इस बात की तस्दीक करते हैं। इन सबके बीच हम आपको एक ऐसी अदालत से वाकिफ करवाते हैं जहां न तो वकील की फीस है और न ही तारीख पर तारीख बल्कि थोड़े ही समय में मामले का निपटारा कर दिया जाता है और वो भी कानूनी तरीके से। जी हां इस अदालत का नाम है ” नारी अदालत” जिसके माध्यम से समाज में महिलाओं को उनके हक दिलवाए जाते हैं उनकी लड़ाई लड़ी जाती है और उन्हें अधिकारों तथा कानून के प्रति जागरूक किया जाता है।
“तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख”, दामिनी फिल्म का ये डायलॉग तो आप ने सुना ही होगा और आज अदालती कार्यवाहियों में यह फिल्मी डायलॉग सच साबित हो रहा है यानि अदालतों में मिलती है तो सिर्फ तारीख और वो भी यदि मामला आम आदमी से जुड़ा हो तो मुकदमा इस पीढ़ी से उस पीढ़ी तक हस्तांतरित होना निश्चित है एक प्रकार से।
इन सब के इतर एक ऐसी अदालत भी है जहां न तो तारीखों का बोझ है और न तो मामलों की लम्बी सुनवाई की आयु निर्धारित है, कुछ ऐसी है नारी अदालत जिसके द्वारा घर परिवार टूटने से बच जाते हैं और बिना किसी ताम झाम के विवादों को निस्तारित कर दिया जाता है। इस अदालत की खास बात उस अदालत से जुदा है जिसके तहत नोटिस रिसीव न करने या न होने की समस्या अक्सर देखी सुनी जाती है. नारी अदालत पक्षकारों के पास खुद जाकर उनके मामले की सुनवाई करती है और न्याय दिलवाती है।
महिलाओं को न्याय दिलाने की अनोखी अनूठी पहल

जनपद में एक स्वयं सेवी संस्था और महिला एवम् बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश की ओर से आयोजित की जाती है नारी अदालत। इस अदालत का प्रमुख उद्देश्य है बच्चों और महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचार उत्पीड़न शोषण को रोकना और महिलाओं को इनके खिलाफ लड़ने के लिए जागरूक व् प्रोत्साहित करना साथ ही उन्हें न्याय दिलवाना। मामले की जानकारी होने पर अदालत बकायदा कानूनी प्रक्रियाओं की तरह सुनवाई करती है और परिणामतः थोड़े समय में ही पूरा मामला सुलझ जाता है।
ऐसे काम करती है नारी अदालत

नारी अदालत टीम की प्रमुख ऊषा देवी ने अदालती क्रियाविधि के बारे में बताते हुए कहा कि अदालत में प्रत्येक ग्राम पंचायत के प्रत्येक गांव से महिलाओं को शामिल किया जाता है। फिर उन्हें कई सामाजिक कानूनी जानकारियां दी जाती हैं। अदालत की सदस्य महिलाएं अपने इलाकों में महिलाओं से सम्बंधित होने वाले पारिवारिक सामाजिक मामलों की जानकारियां लेती रहती हैं। किसी भी मामले की जानकारी होने पर सदस्य सम्बंधित परिवार महिला से संपर्क करते हुए मामले को सुलझाने की कोशिश करती हैं और इसमें काफी हद तक सफलता भी मिल जाती है। दूसरे तरीके के तहत अदालत के पास जब कोई पक्षकार किसी मामले को लेकर आता है तो अदालत दूसरे पक्ष को रजिस्ट्री डाक द्वारा नोटिस भेजती है, ऊषा देवी के मुताबिक यदि दूसरा पक्ष नोटिस का जवाब नहीं देता या अदालत में नहीं आता तो महिला सदस्य स्वयं उस पक्ष के पास जाकर उनसे पूरे मामले की जानकारी लेते हुए विवेचना करती हैं और फिर दोनों पक्षों को बुलाकर तर्क विश्लेषण तथा साक्ष्यों को देखते हुए महिला के हित को ध्यान में रखकर उनके मध्य स्टाम्प पर लिखा पढ़ी के माध्यम से मामले को सुलझा लिया जाता है।
अदालत के फैसले हर जगह मान्य

अदालत की टीम प्रमुख ऊषा देवी के मुताबिक नारी अदालत के फैसले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी मान्य होते हैं क्योंकि बकायदा क़ानूनी लिखा पढ़ी के तहत मामले सुलझाए जाते हैं। अदालत में कई मामले ऐसे भी आते हैं जो क़ानूनी प्रक्रियाओं से गुजर रहे होते हैं, उन मामलों को भी सुलझाया जाता है।
उन्होंने बताया कि पुलिस महानिदेशक महिला प्रकोष्ठ की ओर से अदालत की सदस्यों को आई कार्ड भी दिया गया है जिससे उन्हें पहचान के लिए परेशान न होना पड़े। हर महीने की 15 तारीख को हर ब्लाक ग्राम पंचायत में अदालत का आयोजन किया जाता है।
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