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Lockdown:बुन्देलखण्ड में जिंदगी की जद्दोजहद ई रिक्शा से पहुंचा रहे खाना बेजुबानों को भी मिल रहा दाना

locationचित्रकूटPublished: Apr 10, 2020 01:17:35 pm

वर्षों से बेरोजगारी पलायन भुखमरी आदि की विभीषिका से जूझ रहे बुन्देलखण्ड में इस विकट संकट काल में जिंदगी से जद्दोजहद जारी है
सैकड़ों हजारों की संख्या में पलायन कर गए आदिवासी गरीब मजदूर वापस लौट आए हैं

Lockdown:बुन्देलखण्ड में जिंदगी की जद्दोजहद ई रिक्शा से पहुंचा रहे खाना बेजुबानों को भी मिल रहा दाना

Lockdown:बुन्देलखण्ड में जिंदगी की जद्दोजहद ई रिक्शा से पहुंचा रहे खाना बेजुबानों को भी मिल रहा दाना

चित्रकूट: कोरोना से जंग में शायद ये मिथक टूट गया कि इंसान स्वार्थी है. जी हां इस विषम परिस्थिति में जिस तरह शासन प्रशासन के अलावा समाज के संवेदनशील लोग जरूरतमंदों की मदद में लगे हैं उसे देख कर यही कहा जा सकता है. वर्षों से बेरोजगारी पलायन भुखमरी आदि की विभीषिका से जूझ रहे बुन्देलखण्ड में इस विकट संकट काल में भी जिंदगी से जद्दोजहद जारी है. सैकड़ों हजारों की संख्या में पलायन कर गए आदिवासी गरीब मजदूर वापस लौट आए हैं. अधिकतर दिहाड़ी कामगार हैं जो रोज कमाते रोज खाते हैं लेकिन अब इनके सामने काम बंद होने से रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. फिर भी इस विषम परिस्थिति में इन्हें भरपूर भोजन मिल रहा है. इनका ख्याल रखा जा रहा है. समाज की ऊंच नीच की खाई पट गई है. समाज के जागरूक युवा सामाजिक संगठन आदि दिन रात हर भूखे का पेट भरने में लगे हुए हैं.
ई रिक्शा से पहुंचा रहे खाना

लॉकडाउन के चलते गरीबों मजदूरों के सामने उत्पन्न हुए भूख के संकट का पटाक्षेप कर रही है युवा शक्ति. प्रशासन की मदद के इतर युवाओं का संगठन हर भूखे को भोजन उपलब्ध कराने का बीड़ा उठा चुका है. बतौर उदाहरण युवा व्यापार मंडल के युवा व्यापारियों द्वारा सीता रसोई के माध्यम से ई रिक्शा के द्वारा गांव-गांव बस्ती-बस्ती भोजन वितरण किया जा रहा है. ई रिक्शा के पहुंचते ही उदर अग्नि में जल रहे मासूमों से लेकर हर जरूरतमंद अपनी क्षुधा शांत करता है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग सेनेटाइज करने आदि का भी ख्याल रखा जाता है.
युवा व्यापारियों ने शुरू की है “सीता रसोई”

जनपद के युवा व्यापारियों ने भूखों का पेट भरने के लिए सीता रसोई की शुरुआत की है. इसमें स्वयं सेवी संगठनों की मदद भी ली जा रही है. व्यापारी वर्ग के अलग अलग संगठन पूरी तन्मयता से मनुष्यता गरीबों जरूरतमंदों की सेवा में लगे हैं. बतौर उदाहरण युवा उद्योग व्यापार मंडल ने प्रतिदिन मजदूरों गरीबों की उदर अग्नि शांत करने का बीड़ा उठाया है सीता रसोई के द्वारा. राहुल गुप्ता, अंकित केशरवानी, प्रदीप गुप्ता आदि युवा व्यापारी भूखों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. गरीबों जरूरतमंदों को दिए जाने वाले इस भोजन में शुद्धता पौष्टिकता का पूरा ख्याल रखा जाता है.
बेजुबानों का भी ख्याल


सिर्फ इंसान ही नहीं बेजुबानों का भी ख्याल रखने वाले कम नहीं. सैकड़ों हजारों की संख्या में विचरण करते बंदरों के खाने की प्रतिदिन व्यवस्था की जा रही है. इसमें साधू संतों से लेकर आम लोग तक शामिल हैं.
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