scriptइस खूंखार डकैत ने 52 घण्टे तक पुलिस के साथ की अकेले मुठभेड़, खाकी के 4 जाबांज हुए थे शहीद, 6 जवान घायल | Dacoit Ghanshyam Kevat jamauli encounter untold story | Patrika News

इस खूंखार डकैत ने 52 घण्टे तक पुलिस के साथ की अकेले मुठभेड़, खाकी के 4 जाबांज हुए थे शहीद, 6 जवान घायल

locationचित्रकूटPublished: Jun 04, 2018 07:32:38 am

एक ऐसी मुठभेड़ जिसका लाइव टेलीकास्ट दुनिया ने अपने टेलीविजन पर देखा…

Dacoit Ghanshyam Kevat jamauli encounter untold story

इस खूंखार डकैत ने 52 घण्टे तक पुलिस के साथ की अकेले मुठभेड़, खाकी के 4 जाबांज हुए थे शहीद, 6 जवान घायल

चित्रकूट. उस गांव में आज भी गूंजती है गोलियों की तड़तड़ाहट, आज भी खौफनाक मंजर याद कर सहम जाते हैं इलाकाई लोग और गोलियों के निशां बयां करते हैं उस सबसे भीषण मुठभेड़ की कहानी जिसने यूपी पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया था। एक ऐसी मुठभेड़ जिसका लाइव टेलीकास्ट उस समय दुनिया ने अपने टेलीविजन सेट पर देखा। खाकी के 4 जाबांज इस मुठभेड़ में शहीद हो गए जबकि 6 पुलिसकर्मी घायल हुए। घायलों में आईजी व् डीआईजी स्तर के खाकी के लम्बरदार भी शामिल थे। खाकी की मजबूरी कहें या हताशा कि उस डकैत को मारने के लिए पूरे गांव में आग लगा दी गई और ग्रामीणों के आशियाने जलकर खाक हो गए। कुछ ऐसा ही दहशत भरा मंजर था 52 घण्टे तक चली उस मुठभेड़ का।
घनश्याम केवट ने लिखी खौफ की इबारत

पाठा के बीहड़ों से लेकर तराई के अनसुलझे रास्तों पर आज तक खौफ के कई ऐसे सौदागर हुए जिन्हें कानून की भाषा में डकैत कहा जाता है। कुख्यात ददुआ ठोकिया रागिया बलखड़िया और वर्तमान में बबुली कोल ने यदि बीहड़ों में अपनी दहशत का साम्राज्य कायम किया है तो तराई के इलाकों में खूंखार शंकर केवट उसके शागिर्द घनश्याम केवट ने खौफ की इबारत लिखी है। घनश्याम केवट ने तो दस्यु इतिहास के पन्नों में कभी न भूलने वाली उस मुठभेड़ को अंजाम दिया जिसने देश के सबसे राज्य यूपी की खाकी के पसीने छुड़ा दिए थे।
जमौली गांव में हुई भीषण मुठभेड़

16 जून सन् 2009 समय 11 बजे सुबह: जनपद के राजापुर थाना क्षेत्र अंतर्गत जमौली गांव में पुलिस की गाड़ियों ने सायरन बजाते हुए इंट्री की, सहमे ग्रामीणों को यह अंदाजा भी न था कि अगले तीन दिनों तक उनकी जिंदगी में क्या तूफ़ान आने वाला है। दरअसल खाकी को सूचना मिली थी कि गांव में 50 हजार का इनामी डकैत घनश्याम केवट छिपा हुआ है। डकैत को घेरने सिर्फ कुछ थानों की फ़ोर्स को बुलाया गया था लेकिन खाकी को भी आने वाले खौफनाक मंजर का इल्म न था।
दो मंजिला पक्के मकान के कमरे से बरसाई गोलियां

पुलिस की मौजूदगी की भनक लगते ही डकैत घनश्याम केवट ने गांव के एकमात्र दो मंजिला पक्के मकान के सबसे ऊपर वाले कमरे में खुद का ठिकाना बना लिया और सैकड़ों कारतूस व् 315 बोर की फैक्ट्री मेड राइफल तथा एक बोतल पानी के सहारे खाकी से मुठभेड़ करने को मुस्तैद हो गया। घनश्याम ने मकान मालिक को राइफल की नोक पर मकान से बाहर निकाल दिया था। कमरे की खिड़की से घनश्याम को गांव का लगभग हर वो कोना दिख रहा था जहां जहां खाकी की चहलकदमी हो सकती थी। इसी कमरे में मौजूद रहकर घनश्याम केवट ने तीन दिनों तक खाकी पर ताबड़तोड़ गोलियों की बरसात की जिसने खाकी को भी बैकफुट पर ला दिया था।
52 घण्टे तक हुई घनश्याम और खाकी के बीच भीषण मुठभेड़

16 जून 2009 दोपहर 1 बजे का वक्त: खाकी की मंशा भांपते हुए डकैत घनश्याम केवट ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस को संभलने का मौका न मिला, डकैत के छिपने की लोकेशन ऐसी कि उस तक पहुंच पाना लगभग असम्भव था। दस्यु घनश्याम रात होने तक रुक कर खाकी को गोलियों का निशाना बनाता रहा। घनश्याम के खौफनाक इरादों को भांपकर उच्चाधिकारियों ने भारी मात्रा में पुलिस बल बुलाने का फैंसला किया। अगले दिन 17 जून को चित्रकूट बांदा हमीरपुर कौशाम्बी से पुलिस फ़ोर्स मंगाई गई। ददुआ ठोकिया जैसे खूंखार डकैतों को ठिकाने लगाने वाली एसटीएफ टीम को भी घनश्याम से निपटने के लिए लगाया गया।
आग के हवाले कर दिया गया पूरा गांव

डकैत घनश्याम की गोलियों की बौछार के आगे पस्त हो रही खाकी ने एक अजीब फैंसला लिया। डकैत को कमरे से बाहर निकालने के लिए पूरे गांव में आग लगा दी गई ग्रामीणों को बाहर निकालते हुए। जिस जगह पर वो पक्का मकान स्थित था जिसमें दस्यु घनश्याम छिपा हुआ था उसके आस पास झूग्गी झोपडी के आशियाने ही थे जिससे पुलिस को यह तकाज़ा हुआ कि यदि आग लगा दी जाएगी तो लपटों से डरकर डकैत घनश्याम बाहर निकलेगा और उसका इनकाउंटर कर दिया जाएगा।
आग की लपटों में घिरा रहा घनश्याम

इसे उस डकैत की दिलेरी कहें या कुछ और कि आग की लपटों के बीच वो लगभग 6 घण्टे घिरा रहा उस मकान में लेकिन तब भी वो बाहर नहीं निकला और जैसे ही लपटों ने अपना रौद्र रूप कुछ शांत किया कि फिर घनश्याम केवट ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।
4 जाबांजों सहित 6 पुलिसकर्मी हुए घायल

17 जून से लेकर 18 जून 2009 के बीच दस्यु घनश्याम की गोलियों का निशाना बनते हुए खाकी के 4 जाबांज शहीद हो गए जिनमें पीएसी के कम्पनी कमांडर बेनी माधव सिंह एसओजी सिपाही शमीम इक़बाल और वीर सिंह शामिल थे। दस्यु की गोलियों से तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक पीएसी वीके गुप्ता और उपमहानिरीक्षक सुशील कुमार सिंह सहित 6 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए।
एडीजी आईजी जोन ने संभाला मोर्चा

दस्यु घनश्याम से टक्कर लेने के लिए तत्कालीन एडीजी बृजलाल आईजी जोन इलाहाबाद सूर्य कुमार शुक्ला सहित खाकी के कई लम्बरदार जमौली गांव पहुंचे लेकिन किसी को भी सफलता नहीं मिली। उधर लखनऊ में तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह न्यूज चैनलों पर हो रहे मुठभेड़ के सजीव प्रसारण के माध्यम और फोन द्वारा मातहतों को गाइड कर रहे थे।
मारा गया कुख्यात घनश्याम

18 जून समय लगभग 4 बजे: पिछले तीन दिनों (16जून) से जारी सिर्फ एक डकैत और लगभग 400 पुलिसकर्मियों के बीच भीषण मुठभेड़ का अंत होने वाला था। दस्यु घनश्याम शाम लगभग 4 बजे चीते की फूर्ती की तरह कमरे से भगा। उसने कमरे का दरवाजा खोलते हुए छत पर चढ़कर नीचे लम्बी छलांग लगाई और गांव के पीछे जंगल की ओर भागा। चूंकि पुलिस ने पूरे इलाके को अपने घेरे में ले लिया था सो दस्यु घनश्याम जिस ओर भागा वहां भी खाकी की कई टुकड़ियां तैनात थीं। घनश्याम को जंगल की ओर भागते देख पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार शुरू कर दी। लगभग 45 मिनट बाद जब फायरिंग बंद हुई और सन्नाटा छा गया तो डकैत घनश्याम की तलाश शुरू की गई। तलाशी के दौरान गोलियों से छलनी घनश्याम की लाश खाकी को बरामद हुई।
आज भी पुलिस को नहीं घनश्याम को याद करते हैं लोग

घनश्याम केवट को मारकर भले ही खाकी ने उस समय खुद की पीठ थपथपाई हो लेकिन जिस तरह से एक अकेले डकैत ने यूपी पुलिस से तीन दिन तक टक्कर ली उसको याद करके आज भी लोग दस्यु घनश्याम केवट का जिक्र करते हुए रोमांचित हो जाते हैं। तो वहीँ आज भी खाकी की इस मुठभेड़ को लेकर जमकर आलोचना होती है यह कहते हुए कि सीधी मुठभेड़ ने यूपी पुलिस की पोल खोल कर रख दी थी वो भी एक अकेले डकैत के साथ। बहरहाल जमौली की वादियों में आज भी घनश्याम और पुलिस की इस ऐतिहासिक मुठभेड़ की गूंज सुनाई पड़ती है।
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