भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट की जीवन रेखा और बुन्देलखण्ड की आस्था की प्रतिक पवित्र मंदाकिनी के अस्तित्व को बचाने के लिए जहां स्थानीय समाज सेवियों नदी के पहरुओं द्वारा भागीरथी प्रयास जारी है वहीं अब प्रशासन भी पुण्य सलिला की दिन पे दिन बदतर होती हालत को लेकर संजीदा नजर आ रहा है। बीते कुछ दिनों से मंदाकिनी को बचाने की मुखर होती आवाज की गूंज प्रशासन के कानों तक भी पहुंची और परिणामतः अब मंदाकिनी को पुनर्जीवन देने के लिए मनरेगा का भी सहारा लिया जा रहा है। इसके इतर जिला प्रशासन के सबसे बड़े नुमाइंदे जिलाधिकारी ने भी खुद अनोखी पहल करते हुए लोगों से धरोहर को बचाने हेतु आगे आने की अपील की।
जिलाधिकारी ने खुद उठाया फावड़ा
ग्रामीणों के बीच उस समय डीएम चर्चा का विषय बन गए जब उन्होंने मंदाकिनी के विलुप्त हुए जलस्रोत की खोदाई के लिए खुद हांथ में फावड़ा उठाकर श्रमदान करना शुरू कर दिया। दरअसल जिलाधिकारी पहाड़ी ब्लाक के पनौटी गांव में मंदाकिनी नदी को बचाने हेतु शुरू किए गए कार्य का निरीक्षण करने गए थे। ग्रामीणों मजदूरों के बीच पहुंचे डीएम ने आगे आते हुए श्रमदान करना शुरू कर दिया। जिले के सबसे बड़े अफसर को इस तरह मेहनत करते देख उपस्थित अन्य लोग भी उत्साहित नजर आए और फिर सभी जुट गए पवित्र मंदाकिनी के जल स्रोत की खोदाई में।
खुद आगे आना होगा
डीएम ने ग्रामीणों से कहा कि सरकार और प्रशासन अपना काम तो करेगा ही लेकिन अपनी धरोहरों को बचाने के लिए हमें सबसे पहले खुद आगे आना होगा। मनरेगा के माध्यम से नदी की सिल्ट सफाई जलस्रोतों की खोदाई आदि का काम शुरू कराया जा रहा। इसके इतर उन्होंने लोगों से अपील की कि नदी को प्रदूषणमुक्त रखने की ज़िम्मेदारी हमारी भी है और इसलिए नदी में गंदी सामग्रियां पूजन सामग्री साबुन शैम्पू आदि का प्रयोग न करें।
जलस्रोतों की खोदाई का काम शुरू
मंदाकिनी के जलस्रोतों को ढूंढने व उनकी खोदाई के लिए मनरेगा योजना के तहत कार्य कराए जाने की प्रशासन ने योजना बनाई है। कई जगहों पर आज नदी के जलस्रोत या तो विलुप्त हो गए हैं या सूख गए हैं।