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चित्रकूट

इस 90 वर्षीय बुजुर्ग ने किया कुछ ऐसा कि सम्मानित कर भावुक हो गए डीएम और एसपी बताया औरों के लिए प्रेरणास्रोत

जिस गांव में आजादी के 70 वर्षों बाद भी सिस्टम की परछाई तक न पहुंची आज उस गांव के एक बुजुर्ग की वजह से खुद सिस्टम ने उसे अपनी चौखट पर बुलाया और सम्मानित किया

चित्रकूटJul 13, 2019 / 01:18 pm

आकांक्षा सिंह

krishna kol

इस 90 वर्षीय बुजुर्ग ने किया कुछ ऐसा कि सम्मानित कर भावुक हो गए डीएम और एसपी बताया औरों के लिए प्रेरणास्रोत

चित्रकूट: जिस गांव में आजादी के 70 वर्षों बाद भी सिस्टम की परछाई तक न पहुंची आज उस गांव के एक बुजुर्ग की वजह से खुद सिस्टम ने उसे अपनी चौखट पर बुलाया और सम्मानित किया व गांव के विकास का आश्वासन दिया गया. जी हां कुछ ऐसा ही हुआ बुन्देलखण्ड के दशरथ मांझी कहे जाने वाले 90 वर्षीय आदिवासी बुजुर्ग कृष्णा कोल के साथ जिन्हें सम्मानित करते समय जिलाधिकारी भी भावुक हो गए. डीएम ने कृष्णा कोल को औरों के लिए प्रेरणा स्रोत बताते हुए उनके जज्बे को जमकर सराहा. यही नहीं पुलिस अधीक्षक ने भी इस बुजुर्ग को सम्मानित किया और इनके कार्यों की सराहना की.
अकेले दम गांव की बुझा डाली प्यास खोद डाला कुंआ


जनपद के मानिकपुर ब्लाक(जिसे पाठा क्षेत्र भी कहा जाता है) अंतर्गत बड़ाहर गांव के 90 वर्षीय बुजुर्ग कृष्णा कोल ने लगभग 5 वर्षों तक अथक परिश्रम कर अपने गांव में धरती का सीना चीर पानी निकाल दिया. कृष्णा कोल ने 50-60 फिट गहरा कुंआ खोद कर गांव को पेयजल संकट से मुक्ति दिलाई. इतने वर्षों तक अथाह मेहनत करने के दौरान उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. पथरीली जमीन होने के कारण दोगुनी मेहनत करनी पड़ती थी कुंआ खोदाई में लेकिन उन्होंने अपने जज्बे को हारने नहीं दिया और एक समय बाद जब धरती की कोख से जलधारा फूटी तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा.

महात्मा गांधी से मिली प्रेरणा


कृष्णा कोल बताते हैं कि जब वे लगभग 14-15 वर्ष के थे तब महात्मा गांधी से वे मिले थे. गांधी जी के स्वावलम्बन सिद्धांत यानी खुद मेहनत करके अपना जीवन यापन करने की बात से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने अपने गांव में खुद इस कार्य की शुरुआत की. अंग्रेजों के जमाने को अपनी आंखों से देख चुके इस 90 वर्षीय आदिवासी बुजुर्ग ने बताया कि अंग्रेज काफी जुल्म करते थे आदिवासियों पर. आज उनके गांव में पेयजल संकट से निपटने के लिए बोर आदि हो गया है परंतु जिस समय पूरा गांव बूंद बूंद पानी को तरस रहा था उस समय कृष्णा कोल ने ही भगीरथ प्रयास किया कुंआ खोदने का.
डीएम व एसपी ने किया सम्मानित


कृष्णा कोल के इस जज्बे को सलाम करते हुए जिला प्रशासन ने उन्हें बुलाकर सम्मानित किया और इसी बहाने गुमनामी की गलियों में भटक रहा कृष्णा कोल का गांव बड़ाहर अधिकारियों की नजरों में आया. डीएम शेषमणि पांडेय ने 90 वर्षीय इस आदिवासी बुजुर्ग को सम्मानित करते हुए कहा कि आज कृष्णा कोल औरों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं जो हिम्मत हार जाते हैं. डीएम ने मीडिया को भी धन्यवाद दिया कि मीडिया की वजह से प्रशासन को भी ऐसी शख्सियत के बारे में जानकारी मिली. जिलाधिकारी ने कृष्णा कोल को आश्वासन दिया कि अब उनके गांव में हर तरह के विकास कार्य कराए जाएंगे.
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