दस्यु सरगना के एक इशारे पर अपनी जान पर खेल जाने वाले गैंग के सदस्य ही उसके दुश्मन बन जाएंगे इसका यकीन बबुली को भी नहीं था. सूत्रों के मुताबिक अभी एक महीने के अंदर गैंग द्वारा अंजाम दी गई अपहरण की दो वारदातों में मिली फिरौती की रकम के बंटवारे को लेकर बबुली का अन्य साथी डकैतों से विवाद चल रहा था. जिसमें गैंग का हार्डकोर सदस्य बबुली का ख़ास माना जाने वाला लाले कोल दस्यु सरगना से खार खाने लगा. रविवार 15 सितम्बर(2019) की शाम यूपी एमपी के सीमावर्ती जंगल में इसी बात को लेकर लाले कोल व बबुली के बीच गरमा गरमी हो गई और लाले कोल ने बबुली को गोली मार दी. इस दौरान उसने खुद को बचाने के लिए ताबड़तोड़ फायरिंग भी की.
गैंगवार में बबुली के ढेर होने की खबर ने बीहड़ में तहलका मचा दिया है तो वहीं पत्ते भी ख़ामोश नजर आ रहे हैं. दबी जुबान से चर्चाओं का बाजार गर्म है. जिसके मुताबिक इस पूरे खेल के पीछे पुलिस की रणनीति भी हो सकती है. लोहे से लोहे को काटने वाली कूटनीति पर चलते हुए पुलिस ने एक तीर से कई निशाने साध लिए.
बीहड़ में पुलिस का डेरा
इस पूरी खबर की आधिकारिक पुष्टि अभी समाचार लिखे जाने तक भले ही न हुई हो लेकिन पुलिस भी हलकान है खबर की पुष्टि के लिए. यूपी एमपी दोनों राज्यों की खाकी बीहड़ में डेरा डाले हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक दोनों राज्यों की पुलिस बबुली की लाश ढूंढने का प्रयास कर रही हैं.
नरसंहार कर खौफ का दूसरा बन गया था बबुली सन 2011 के अगस्त महीने की 8 तारीख को जनपद के मारकुंडी थाना क्षेत्र अंतर्गत डोडामाफी गांव में नरसंहार की जघन्य वारदात को अंजाम देते हुए दस्यु बबुली कोल ने एक ही परिवार के पांच लोगों को गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया था। मृतकों में परिवार की महिलाएं पुरुष व एक मासूम बच्ची शामिल थी। वारदात के बाद जनपद मुख्यालय में पुलिस व स्थानीय लोगों के बीच जमकर बवाल हुआ था। इस वारदात के बाद बबुली के नाम से मौत भी कांपने लगी।