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बादलों की रहमत से अन्नदाताओं के चेहरों पर आई मुस्कान

locationचित्रकूटPublished: Jul 02, 2018 08:37:05 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

खेतों में पसीना बहाते दिख रहे अन्नदाता।
 

Farmers happy due

बादलों की रहमत से अन्नदाताओं के चेहरों पर आई मुस्कान

चित्रकूट. पिछले हफ्ते भर से बादलों की नजरें इनायत होने पर बारिश की बूंदों ने अन्नदाताओं के चेहरे की शिकन को कम करते हुए हल्की मुस्कान से उन्हें सुकून दिया है। लगातार दो दिनों से रुक रुक कर हो रही झमाझम बारिश ने सूखे खेतों को तर करते हुए किसानों को उम्मीद की किरण दिखाई है कि यदि आगामी दिनों में अच्छी बरसात हुई तो बुन्देलखण्ड की महत्वपूर्ण फसलें खिलखिलाकर लहलहाती हुई दिखेंगी। कई किसान जहाँ खेतों की जुताई करने में लग गए हैं तो वहीं धान की बुआई भी शुरू हो चुकी है। जिन इलाकों में सिंचाई के समुचित साधन उपलब्ध नहीं हैं वहां बादलों की मेहरबानी से खेतों में पानी की जरूरत फि़लहाल पर्याप्त दिख रही है।
सूखे से जूझते बुन्देलखण्ड में बादलों ने इस बीते हुए हफ्ते में रहम दिखाते हुए अन्नदाताओं को मुस्कुराने का मौका दे दिया है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सिंचाई के साधन ज़्यादा उपलब्ध नहीं हैं वहां ये आसमानी बारिश अमृत के समान है। जून माह के समाप्त होते होते और जुलाई के प्रारम्भ में रुक रुक कर हो रही बारिश ने अन्नदाताओं की चिंता की लकीरें कुछ कम जरूर की हैं। ट्रैक्टर व जुताई के अन्य साधनों से खेतों का सीना चीरते हुए उनमें नई फसल उगाने की उम्मीद लिए किसान मेहनत करने में जुट गए हैं।
खरीफ की फसलों के लिए है संजीवनी
जनपद के राजापुर पहाड़ी शिवरामपुर मानिकपुर जैसे कृषि बाहुल्य इलाके में हुई ठीक ठाक बारिश ने खरीफ की प्रमुख फसलों धान ज्वार बाजरा उरद मूँग अहरहर के लिए ग्लूकोज़ का काम किया है। इन इलाकों के किसान रमेश, मुस्तफा, आमीर और हरिचरण सिंह का कहना है कि यह शुरूआती बारिश खरीफ की फसलों के लिए लाभदायक है। हालांकि बुन्देलखण्ड में पानी की कमी की वजह से धान की पैदावार कम की जाती है, लेकिन शुरूआती अच्छी बारिश से किसान धान के बेहन (पौधे) रोपते हुए खेतों में देखे जा सकते हैं।
जल संरक्षण की जरूरत
दूसरी तरफ पानी की समस्या से जूझ रहे बुन्देलखण्ड में हमेशा की तरह इस बार भी जल संरक्षण की जरूरत पर बातें तो बहुत की जा रहीं लेकिन धरातल पर इसका क्रियान्वयन हाल फि़लहाल सिफर ही दिख रहा. खेत का पानी खेत में तालाब का पानी तालाब में आदि कई स्लोगन सिर्फ स्लोगन बनकर ही रह जाने की उम्मीद है। अलबत्ता कुछ समाजसेवी ग्रामीण इलाकों में लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के अभियान में लग गए हैं और किसानों को खेत का पानी यूं ही न बह देने जाने के तौर तरीके बताए जा रहे हैं। हाल फि़लहाल खेतों में अन्नदाता पसीना बहाने में जुटे हैं।

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