शहर सहित जिले भर में भामाशाह कार्ड बनवाने के लिए शिविर लगाए गए और इसके बाद लोगों के कार्ड भी बनकर तैयार हो गए, लेकिन कार्मिकों की लापरवाही के चलते कई लोगों को अब दुबारा सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
भागली सिंधलान निवासी सूखी कंवर ने भामाशाह कार्ड बनवाने के लिए परिवार के सभी लोगों की जानकारी कंप्यूटर पर दर्ज करवाई। जिसके बाद उसे उसकी रसीद भी दी गई। इस रसीद में परिवार के सभी सदस्यों के नाम और उम्र सही सही दर्शाए गए हैं, लेकिन जब उनके पास जयपुर से भामाशाह कार्ड बनकर पहुंचा तो उन्हें काफी हैरानी हुई।
दरअसल इस कार्ड में उनके पति रमेशकुमार और सभी बच्चों की जन्मतिथि 18 नवम्बर 2007 लिखी हुई है। ऐसे में अब उन्हें संशोधन के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
दर्ज करवाई थी सही जानकारी
भागली सिंधलान निवासी सुखी कंवर ने बताया कि भामाशाह कार्ड बनवाने के लिए उन्होंने खुद शिविर में कार्मिक को कंप्यूटर पर सही जानकारी दर्ज करवाई थी। जिसके बाद उसे उसकी रसीद भी मिली।