चित्रकूट

मदरसा के संचालक मौलवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज

मुक्त हुए बच्चों को किया गया परिजनों के हवाले।
 

चित्रकूटJan 31, 2018 / 04:10 pm

Ashish Pandey

FIR against Maulvi

चित्रकूट. अवैध रूप से संचालित मदरसा के संचालक मौलवी के खिलाफ बच्चों के साथ मारपीट और उनका उत्पीडऩ करने के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। हालांकि मौलवी अभी तक फरार चल रहा है। उधर, मदरसे से मुक्त हुए बच्चों को उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। इस दौरान परिजनों ने शिकायत करने से मना कर दिया लेकिन मुक्त हुए बच्चों के चेहरे उनके शोषण की कहानी स्वयं बयां कर रहे थे। बाल कल्याण समिति की तहरीर पर मौलवी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
तालीम देने के नाम अवैध रूप से संचालित मदरसे में कई दिनों से बंधक बनाकर रखे गए 6 बच्चों को मुक्त करवाते हुए उन्हें उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया। फरार मदरसा संचालक मौलवी अब्दुल कादिर के खिलाफ रैपुरा थाने में एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है. मदरसे में शोषण का शिकार हो रहे 6 बच्चों को न तो खाने के लिए ही सही भोजन दिया जाता था और न ही रहने की उचित व्यवस्था की गई थी। बच्चों के परिजनों ने तो शिकायत करने से मना कर दिया शायद क़ानूनी पचड़े में न पडऩे को लेकर लेकिन बाल कल्याण समिति की तरफ से मौलवी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है।
यह है पूरा मामला

दरअसल बीती 29 जनवरी को जनपद के रैपुरा थाना क्षेत्र अंतर्गत बांधी गांव में संचालित मदरसा दारुल उलूम गौसिया रजबिया हुजूर मुजाहिदे मिल्लत से आधा दर्जन बच्चों को उस समय मुक्त करवाया गया जब वे मदरसे से भागने की कोशिश कर रहे थे। प्रशासन ने मदरसे में बंधक मो. अरबाज, मो. शाहिद, मो. असलम, शाहबाज खान, मो. अबरार, और मो. शाहरूख को मुक्त करवाकर चाइल्ड लाइन भेजा। मामले की छानबीन में पता चला कि मदरसा का पंजीयन जिला अल्पसंख्यक विभाग में नहीं है और मदरसा संचालक मौलवी अब्दुल कादिर इन बच्चों को बंधक बनाकर रखे हुए था। मौलवी उनसे मारपीट करता था, न तो भोजन का ही उचित प्रबंध था और न ही रहने के लिए ठीक ठाक व्यवस्था। घटना के बाद मौलवी फरार हो गया।
बच्चों को किया गया परिजनों के हवाले

मदरसे से मुक्त हुए बच्चों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया। ये बच्चे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से लाए गए थे. बाल कल्याण समिति ने लिखा पढ़ी करने के बाद बच्चों को परिजनों के सुपुर्द कर दिया. बच्चों ने भी परिजनों के साथ जाने की सहमति जताई।
आवासीय विद्यालयों की नहीं होती जांच

शिक्षा देने के नाम पर खुले सरकारी और गैर सरकारी आवासीय विद्यालयों में कभी प्रशासन द्वारा जांच नहीं की जाती कि उक्त संस्थाओं में पढऩे वाले बच्चे किस हालत में हैं और उन्हें क्या सुविधाएं प्राप्त हैं। इससे पहले भी कई बार आवासीय शैक्षिक संस्थानों के छात्र असुविधाओं की वजह से परिसर से भागने की कोशिश कर चुके हैं. पिछले वर्ष मानिकपुर स्थित एक आवासीय विद्यालय से दर्जन भागकर सीधे डीएम के पास पहुंचे थे। बच्चों ने विद्यालय स्टाफ पर असुविधाओं और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। डीएम के हस्तक्षेप करने और आश्वासन देने के बाद सभी छात्र वापस लौटे थे।

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