अमावस्या मेले के तहत भोर से ही श्रद्धालुओं की भीड़ रामघाट पर मंदाकिनी में स्नान के लिए उमड़ने लगी। सुबह की पौ फटते ही भारी संख्या में आस्थावान रामघाट पहुंचने लगे जो दोपहर होते होते लाखों तक पहुंच गई। पूरे बुन्देलखण्ड सहित उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों और कई राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने भजन कीर्तन करते हुए मंदाकिनी में स्नान के बाद भगवान कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा भी लगाई।
बुन्देलखण्ड में ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर चित्रकूट जाकर भगवान कामतानाथ से अच्छी फसल व् खेती के लिए प्रार्थना की जाती है। इसी मान्यता के तहत काफी बड़ी संख्या में किसानों ने भगवान कामतानाथ से अपनी खेती के लिए प्रार्थना की और मन्नत भी मांगी।
दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को आवागमन में कोई दिक्कत न हो इसके लिए रेलवे व परिवहन विभाग ने खास तैयारी कर रखी थी। रेलवे ने तो 12 जून से 14 जून तक तीन मेला स्पेशल ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। इसके साथ कई एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज भी बढ़ा दिया गया है 12 से 14 जून तक। एक्सप्रेस ट्रेनों में बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस महाकौशल एक्सप्रेस वाराणसी खजुराहो एक्सप्रेस और निजामुद्दीन खजुराहो एक्सप्रेस ट्रेन का स्टापेज बढ़ाया गया है। परिवहन विभाग ने भी इलाहाबाद फतेहपुर कौशाम्बी बांदा कानपुर आदि जनपदों से मेला स्पेशल बसों का संचालन किया है वैसे भी इन जनपदों से चित्रकूट के लिए पहले से ही कई बसें संचालित हो रही हैं।
लाखों की संख्या में उमड़ने वाले श्रद्धालुओं को पेयजल समस्या ने हलकान कर दिया। सिस्टम की उदासीनता तो बनती ही थी। रेलवे स्टेशनों पर पानी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा यात्रियों को। कई छोटे स्टेशनों मसलन शिवरामपुर बहिलपुरवा बदौसा खुरहण्ड आदि पर तो पानी की किल्लत बनी रही और टोटियों से बूंदे टपकती हुई नजर आईं। हालांकि रेलवे व् स्टेशन व् बस अड्डों पर समाजसेवियों ने ठंडे पेय पदार्थों की व्यवस्था कर रखी थी श्रद्धालुओं के लिए जिससे प्यास बुझाने में उन्हें काफी मदद मिली।
हमेशा की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं ने जान जोखिम में डाल यात्रा की। रेलवे द्वारा तीन मेला स्पेशल ट्रेनों के संचालन व् कई एक्सप्रेस ट्रेनों के स्टापेज बढ़ाए जाने के बाद भी आस्थावान ट्रेनों की छत पर चढ़कर यात्रा करते नजर आए। हालांकि स्टेशन पर बार बार एनाउंस हो रहा था कि ट्रेन की छत पर चढ़कर यात्रा न करें यह दण्डनीय है और जान के लिए खतरा भी है तो वहीं आरपीएफ व् जीआरपी ऐसे लोगों को रोकने का प्रयास भी करती रही लेकिन अत्यधिक भीड़ के चलते ये सारी कवायदें नाकाफी साबित हुईं।