गंगा दशहरा के अवसर पर भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट की पवित्र मंदाकिनी नदी के तट पर एकत्र साधू संतों व आमजनों ने पूजा अर्चना कर इस वैश्विक महामारी से पूरे विश्व के मुक्त होने की प्रार्थना की. भारत के साधू सन्त सिर्फ अपने कल्याण की नहीं अपितु विश्व कल्याण की कामना के साथ कोई भी धार्मिक क्रिया कलाप अनुष्ठान संपन्न करते हैं. कुछ ऐसा ही देखने को मिला गंगा दशहरा के मौके पर. रामघाट स्थित पवित्र मंदाकिनी नदी के तट पर सीमित संख्या में एकत्रित हुए श्रद्धालुओं ने पवित्र नदी की पूजा आराधना कर दुनिया मां मंदाकिनी से प्रार्थना की कि कोरोना जैसी महामारी से भारत ही नहीं पूरे विश्व को जल्द मुक्ति मिले. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दूध पंचामृत आदि से पवित्र मंदाकिनी पूजन अर्चन किया गया.
उधर 8 जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. मठ मंदिरों आदि के महंत श्रद्धालुओं दर्शनार्थियों को सरकारी दिशा निर्देश के मुताबिक ही दर्शन पूजन कराने की योजना बना रहे हैं. कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपालदास ने कहा कि गाइडलाइन के मुताबिक ही दर्शन पूजन किए जाएंगे. मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग के पालन हेतु एक उचित दूरी का निर्धारण किया जाएगा. कोशिश की जाएगी कि एक बार में अधिकतम 10 लोगों से ज्यादा लोग दर्शन न कर पाएं. इसका भी इंतजाम किया जाएगा. श्रद्धालु खुद प्रसाद चढ़ाएंगे. पुजारियों को कोई नहीं छुएगा कुछ ऐसी ही योजनाएं बनाई जा रही हैं. धर्मनगरी के एक अन्य प्रमुख मत्स्यगजेंद्रनाथ मंदिर के पुजारी विपिन महाराज का कहना है मंदिर में आम दिनों में भीड़ रहती है. अब भीड़ को रोकने का पूरा इंतजाम किया जाएगा. जो गाइडलाइन होगी उसके अनुसार श्रद्धालुओं को दर्शन पूजन कराया जाएगा.