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चित्रकूट

नाम मात्र की है सरकारी एम्बुलेंस, कैमरे की नजर पड़ते ही पीड़ित को घर छोड़ने के लिये तैयार हुआ ड्राइवर

डिलिवरी के बाद घर जाने के लिए महिला अपने पति व परिजनों के साथ एम्बुलेंस में बैठी लेकिन उसे उतार दिया गया।

चित्रकूटAug 29, 2018 / 02:23 pm

आकांक्षा सिंह

chitrakoot

नाम मात्र की है सरकारी एम्बुलेंस, कैमरे की नजर पड़ते ही पीड़ित को घर छोड़ने के लिये तैयार हुआ ड्राइवर

चित्रकूट. डिलिवरी के बाद घर जाने के लिए महिला अपने पति व परिजनों के साथ एम्बुलेंस में बैठी लेकिन उसे उतार दिया गया। इस दौरान जब पत्रिका के कैमरे की नजर मामले पर पड़ी तो एम्बुलेंस चालक ने महिला को उसके घर छोड़ने की बात कही और परिजनों को एम्बुलेंस से घर तक छोड़ा गया। इस बीच जो कुछ भी कैमरे में कैद हुआ उससे यह स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर हाल फ़िलहाल स्थितियां उतनी सकारात्मक नहीं जितना दिखाने का डंका पीटा जाता है जिम्मेदारों द्वारा।


जनपद के मऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला की डिलिवरी के बाद उसे घर जाने के लिए एम्बुलेंस की आवश्यकता थी। महिला के पति ने 102 एम्बुलेंस को सूचित किया। मौके पर पहुंची एम्बुलेंस में महिला और उसके परिजन बैठ भी गए मगर अचानक एम्बुलेंस चालक ने उन्हें उतरने के लिए कह दिया। दुधमुंहे बच्चे को लेकर महिला और उसके परिजन एम्बुलेंस से उतर गए। इस दौरान इस पूरे मामले पर पत्रिका की नजर पड़ी और जब महिला के पति से इसका कारण पूछा गया तो उसने रुंधे गले से बताया कि उसने लखनऊ बात की है एम्बुलेंस के लिए लेकिन चालक ने उन्हें उतार दिया पता नहीं क्यों? इधर मामले की नजाकत को समझते हुए मौके पर पहुंचे एम्बुलेंस चालक और महिला के पति के बीच बहस होने लगी जिसपर चालक ने कैमरे में कैद होने की बात को समझते हुए तुरंत महिला और उसके परिजनों को उनके घर छोड़ने की बात कही।


अक्सर इस तरह के मामले आते हैं सामने
ऐसा नहीं कि इस तरह का यह कोई पहला मामला हो। आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं कि कभी प्रसूता को अस्पताल तक ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिलती तो कभी प्रसव (डिलिवरी) के बाद घर तक पहुंचाने के लिए और ये सारी अव्यवस्थाएं सरकारी अस्पतालों में ही अक्सर देखने को मिलती हैं।

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