नदियों के किनारे मौजूद खेतों में पानी भरने से कम पानी की फसलें नष्ट होने का संकेत दे रही हैं। कई इलाकों में किसानों को जान जोखिम में डालकर तैरते हुए खेतों तक उस पार से इस पार आना जाना पड़ता है। अगर यही हाल रहा तो प्रमुख बुंदेली फसलों के लिए अत्यधिक बारिश हानिकारक साबित हो सकती है।
बादलों ने इस बार बारिश का पिटारा खोल रखा
बीते कई वर्षों से बारिश की बेरुखी झेल रहे बुन्देलखण्ड में इस बार बादलों ने दया दृष्टि दिखाते हुए बारिश का पिटारा खोल रखा है। इसके इतर प्रमुख फसलों के लिए अब यही बारिश नुकसान का सबब बनती जा रही है। ज्वार बाजरा मूंग तिल अरहर जैसे प्रमुख बुंदेली फसलों के लिए इस तरह की अत्यधिक बारिश लाभदायक नहीं बल्कि हानिकारक साबित हो रही है। दूसरी तरफ जो इलाके नदियों नालों के किनारे स्थित हैं वहां के खेतों में इन नदियों नालों के बढ़ने से पानी प्रवेश करने लग गया है। जिसकी वजह से फसलों के नष्ट होने का अंदेशा बढ़ गया है।
धान के लिए ये बारिश लाभदायक है
किसानों का कहना है कि यदि यही हाल रहा तो भविष्य में इस बारिश का कोई फायदा नहीं मिलेगा। अलबत्ता सिर्फ धान के लिए ये बारिश लाभदायक है। बांकी के लिए काफी नुकसानदायक। उन अन्नदाताओं के चेहरे पर निराशा के भाव साफ़ देखे जा सकते हैं जो धान की खेती नहीं करते। बुन्देलखण्ड में मुख्यतः मोटे अनाज की खेती होती है जिससे अब ये बारिश अन्नदाताओं के लिए शुभ साबित नहीं हो रही।