तीर्थ स्थलों के पर्यावरण संरक्षण, मंदाकिनी की स्वच्छता, गौ वंश संरक्षण, पहाड़ों पर हो रहे अवैध कटान एवं खनन को रोकने के संकल्प के साथ कामतानाथ मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजन अर्चन करने के बाद हिन्दू सनातनी संस्कार यात्रा को रवाना किया गया। कामतानाथ प्रमुख द्वार के संत मदनगोपाल दास द्वारा आयोजित यात्रा का समापन कालिंजर में नीलकण्ठ धाम में सम्पन्न होगी। यात्रा का भरतकूप मंदिर और मड़फा, फतेहगंज आदि प्रमुख स्थानों पर फूलों की वर्षा के साथ स्वागत हुआ। जगह-जगह संगोष्ठियों का आयोजन कर साधू-संतों द्वारा उपस्थित जनमानस से पर्यावरण, गौ, गंगा, गिरि एवं गायत्री के संरक्षण का आवाहन किया गया।
युवाओं को संस्कार के प्रति जागृत किया
संतो द्वारा शुरू की गई इस यात्रा में शामिल कामदगिरि प्रमुख द्वार के संत मदन गोपाल दास ने कहा कि पर्यावरण असंतुलन को रोकने एवं समाज में संस्कारो की पुनर्स्थापना के उद्देश्य से धर्म नगरी चित्रकूट के साधू-संतो द्वारा हिन्दू सनातनी संस्कार यात्रा की शुरुआत की गई है। वहीं सनातनी संस्कार यात्रा में शामिल धर्म नगरी संत मंडल के अध्यक्ष सीताशरण दास जी महाराज ने कहा कि तीर्थ क्षेत्र के प्रदूषित हो रहे पर्यावरण को संतुलित करना, संस्कार खो चुके युवा पीढ़ी के अंदर माता-पिता, गौ, गायत्री के प्रति आदर संस्कार जागृत करना इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है। इस मौके पर संत निर्मोही अखाड़ा के महंत ओंकार दास महाराज, महामंडलेश्वर सुखराम दास, संत बलराम दास, माधव दास आदि ने एक स्वर में भारतीय सनातन संस्कृति को पुनर्स्थापित करने की अपील युवाओं से करते हुए भारत की संस्कृति के महत्व को समझाया है।
हिन्दू सनातनी संस्कार यात्रा को लेकर निकले धर्म नगरी के साधू संतों ने सनातन संस्कृति के होते क्षरण पर चिंता जाहिर करते हुए युवा पीढ़ी से अपनी संस्कृति को बचाने की अपील की। गाय, गंगा और पर्यावरण के संरक्षण के उद्देश्य से निकाली गई इस यात्रा में साधू संत विभिन्न धार्मिक स्थानों से होते हुए यात्रा को पूर्ण करेंगे। संतों ने पवित्र नदियों के प्रदूषण पर चिंता जताते हुए उनके संरक्षण की बात कहते हुए युवाओं से आगे आने का आवाहन किया।
संस्कृति को बचाने से देश आगे बढ़ेगा
यात्रा में शामिल साधू संतों ने कहा कि कोई भी देश तभी आगे बढ़ता है जब वहां की संस्कृति कायम रहती है। भारत की युवा पीढ़ी अपने इन्हीं संस्कारों से दूर होती जा रही है जिससे चारित्रिक पतन और व्यभिचार समाज में अपनी घुसपैठ कर चुका है। यदि सनातन संस्कृति सुरक्षित रही तभी समाज व देश आगे बढ़ पाएगा।