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अटल बिहारी वाजपेयी की याद में काव्यांजलि कार्यक्रम का आयोजन, तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी महफ़िल

locationचित्रकूटPublished: Sep 17, 2018 01:56:31 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

काव्यांजलि: हमने तुम्हारी याद को खोने नहीं दिया पर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी महफ़िल

Kavyanjali Program in memory of Atal Bihari Vajpayee

अटल बिहारी वाजपेयी की याद में काव्यांजलि कार्यक्रम का आयोजन, तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी महफ़िल

चित्रकूट. पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की स्मृति में काव्यांजली कार्यक्रम के तहत आयोजित कवि सम्मेलन में रचनाकारों की रचनाओं ने अंजुमन (सम्मेलन) में सिरहन पैदा कर दी। कभी तालियों के इस्तकबाल से माहौल ख़ुशनुमा हुआ तो कभी दर्द के लिबास में ग़ज़ल और गीतों ने महफ़िल को सन्नाटे की दहलीज पर खड़ा कर दिया। अटल की रचनाओं से लेकर हास्य, व्यंग्य, वीर रस, श्रंगार रस, और सियासत व व्यवस्था पर कटाक्ष की लड़ियों को जाने माने रचनाकारों द्वारा पेश किया गया। काव्यांजली कार्यक्रम जनपद के मऊ मानिकपुर व् कर्वी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित किया गया, जिसमें देर रात तक सजी महफ़िल में श्रोताओं ने आनंद के सागर में गोता लगाया।

दामन को आंसुओं से भिगोने नहीं दिया

बुंदेलखण्ड के हमीरपुर से अंजुमन में शिरकत करने आए फरीद मौदवी ने जब अपनी रचना” दामन को आंसुओं से भिगोने नहीं दिया। हमने तुम्हारी याद को खोने नहीं दिया” को पेश-ए ख़िदमत किया तो महफ़िल की तन्हाइयों ने अंगड़ाई लेते हुए तालियों की गड़गड़ाहट से माहौल को जवां कर दिया। इसी तरह कवि महितोष कुमार निगम ने कौमी एकता को केंद्रित करते हुए सुनाया कि” प्यार के चार बोल बोलिए जरा नफरत की जगह प्रेम का रस घोलिए जरा” पर तारीफों की बरसात हुई।

सियासत से लेकर व्यवस्था पर कटाक्ष

कवियों ने सियासत से लेकर व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कभी श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया तो कभी माहौल को गम्भीर मुद्रा में ला दिया। रचनाकार दीपक तिवारी ने सुनाया ” चूहों की बस्ती में बिल्ली बन गए थानेदार जाने क्या होगा” तो वहीं कवि शिवपूजन ने कटाक्ष करते हुए सुनाया कि” समय के चक्र को देखो पकौड़े के भी चर्चे हैं, पकौड़ी मुस्कुराती तो पकौड़ा फूल जाता है”। लखनऊ से शिरकत करने आईं मशहूर कवियत्री कविता तिवारी ने जब सुनाया”धर्म युद्ध के लिए हमेशा शस्त्र उठाना पड़ता है, देवी अथवा देवों को धरती पर आना पड़ता है “पर जमकर तालियां बजीं।

अटल बिहारी वाजपेई को पुष्पांजलि अर्पित कर किया याद

कवि सर्वेश अस्थाना ने राजनीति पर अपनी रचना के माध्यम से कटाक्ष करते हुए सुनाया” किसी नेता की गिरगिट से तुलना करना महापाप है, क्योंकि रंग बदलने में नेता गिरगिट के भी बाप हैं” पर माहौल श्रोताओं के ठहाकों से गूंज उठा। काव्यांजलि कार्यक्रम से पहले राजनीति के शलाका पुरुष कवि पूर्व प्रधानमन्त्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई को पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया।

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