घबराए हुए रोते बिलखते पीड़ित मां बाप जीआरपी के पास पहुंचकर पूरी बात बताई और रिपोर्ट दर्ज कराई। पीड़ित परिवार की रिपोर्ट पर जीआरपी ने अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज कर तफ्तीश शुरू करते हुए बच्चे की तलाश जारी कर दी है। पडोसी जनपद बांदा महोबा हमीरपुर झांसी की जीआरपी से भी स्थानीय जीआरपी ने सम्पर्क साध पूरे मामले की जानकारी दी है। पुलिस को भी अवगत कराया गया है कि कहीं जिले या अन्य जनपदों में बच्चों के अपहरण करने का कोई गैंग तो सक्रीय नहीं है। फिलहाल स्टेशन पर कोई सीसीटीवी कैमरा भी न होने से घटना के बारे में सुराग लगाने के लिए पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ रही है।
गोविंदा व उसकी पत्नी स्टेशन परिसर में चल रहे टिन शेड व पिलर निर्माण के कार्य में मजदूरी कर अपना पेट पाल रहे हैं। रविवार को मजदूर दंपत्ति तेज धूप होने के कारण अपने तीन माह के नवजात को स्टेशन के प्रतीक्षालय में लिटाकर काम पर चले गए। बच्चे को देखने के लिए परिवार के ही एक अन्य आठ वर्षीय बालक को उन्होंने सहेज रखा था। लगभग दो घंटे बाद जब मजदूर दंपत्ति (गोविंदा और उसकी पत्नी शशीबाई) प्रतीक्षालय लौटे तो उनका बच्चा गायब था। जिस आठ वर्षीय बालक को उन्होंने बच्चे की देखरेख के लिए कह रखा था उससे पूंछने पर बच्चे के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया।
घटना से विचलित पीड़ित दंपत्ति रोते बिलखते जीआरपी के पास पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी दी। पीड़ित पिता की तहरीर पर जीआरपी ने मामला दर्ज किया। जीआरपी प्रभारी हरिविलास ने बताया की पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद बच्चे की तलाश की जा रही है। साथ ही पडोसी जनपदों की जीआरपी सहित पुलिस को सूचना देते हुए बच्चे की फोटो भेजी गई है।
स्टेशन परिसर में नहीं है सीसीटीवी
चित्रकूट रेलवे स्टेशन कहने को तो रेलवे की प्रमुख फेहरिश्तों में शामिल है। धार्मिक स्थान होने के कारण लेकिन असुविधाओं का मकड़जाल इस स्टेशन पर व्याप्त है। सीसीटवी कैमरों के न होने की वजह से कई संग्दिग्ध अपना काम कर निकल जाते हैं और सुराग के नाम पर पुलिस के पास अंधे में तीर चलाने के सिवा कुछ नहीं बचता। यदि प्रतीक्षालय में सीसीटीवी लगा होता तो शायद पुलिस को काफी आसानी होती मामले को सुलझाने में। इसके इतर अधिकांश स्टेशन वीआईपी न होने की वजह से इन सुविधाओं, सुरक्षा उपकरणों से वंचित हैं जो खुद पुलिस व रेलवे के लिए हानिकारक है।