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बारिश के लिए अब भगवान भोलेनाथ की शरण में बुंदेलखंड के लोग

locationचित्रकूटPublished: Jul 11, 2018 06:13:29 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

देश का एक भाग जहां मूसलाधार बारिश से बेहाल है, वहीं सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बादलों की बेरुखी जारी है

lord shiva worship

बारिश के लिए अब भगवान भोलेनाथ की शरण में बुंदेलखंड के लोग

चित्रकूट. देश का एक भाग जहां मूसलाधार बारिश से बेहाल है, वहीं सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में बादलों की बेरुखी जारी है। मानसून के आगाज के बाद भी बारिश की बूंदे बेवफाई पर उतारू हैं और राज्य के कई इलाके सूखे की चपेट में हैं। बुन्देलखण्ड के हालातों से तो सभी वाकिफ हैं। जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के शुरुआती हफ्ते में बादलों ने रहमत दिखाई और किसानों सहित लोगों को ठीक ठाक बारिश की उम्मीद बंधाई, लेकिन इसके बाद भीषण गर्मी व उमस और बादलों की बेरुखी ने हाल फ़िलहाल सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
सूखे से जूझते बुन्देलखण्ड में बारिश के लिए भोलेनाथ की आराधना की गई। भगवान श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में मत्स्यगजेंद्रनाथ महराज को पवित्र मंदाकिनी नदी के जल से स्नान कराया गया और विधिवत पूजा अर्चना करते हुए इलाके में अच्छी बारिश की प्रार्थना की गई।
किया गया जलाभिषेक
बादलों की बेरुखी को देखकर एक बार फिर बुन्देलखण्ड में सूखे के आसार नजर आने लगे हैं। क्षेत्र में अच्छी बारिश हो और किसानों को फिर एक बार सूखे के भीषण संकट से सामना न करना पड़े, इस कामना को लेकर बुंदेली सेना ने रामघाट स्थित चित्रकूट के अधिपति कहे जाने वाले मत्स्यगजेंद्रनाथ भगवान जो तीन शिवलिंगों के रूप में विराजमान हैं उनकी पूजा आराधना करते हुए बारिश के लिए प्रार्थना की। भोले भंडारी का जलाभिषेक करते हुए उनकी जलहरी इस कामना के साथ भरी गई कि इलाके में फिर न सूखा पड़े। बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने बताया कि बुन्देलखण्ड फिर एक बार सूखे की मार की कगार पर खड़ा है और किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। क्षेत्र में अच्छी बारिश और किसानों की खुशहाली के लिए ये अनुष्ठान लगातार दो दिन से जारी है. हमें विश्वास है कि भोले भंडारी बुंदेलियों की पुकार जरूर सुनेंगे।
शुरू में रहमत फिर दगाबाजी शुरू
मानसून के आगाज के पहले जून के अंतिम से लेकर जुलाई के शुरुआती हफ्ते में इंद्र देव की नजरें इनायत हुईं और ठीक ठाक बारिश ने लोगों को गर्मी व उमस से राहत दी तो किसानों को भी थोडा मुस्कुराने का मौका दिया लेकिन अब जबकि जुलाई का मध्यान्ह हफ्ता लग चुका है लेकिन बारिश की एक भी बूंद तब से नहीं टपकी जिसकी वजह से अन्नदाताओं को फिर से तबाही का अंदेशा होने लगा है। खरीफ की फसलें नष्ट हो जाएंगी यदि समय पर बारिश न हुई तो।
तालाबों व बांधों में पानी कम
बादलों की बेरुखी से तालाबों व् बांधों में पानी कम हो गया है. खेतों की सिंचाई के लिए भी इन्ही का सहारा रहता है और पेयजल संकट से निपटने में भी ये काम आते हैं लेकिन अभी तक बारिश की बेवफाई से इन जल स्रोतों में पानी की उतनी उपलब्धता नहीं है जितनी होनी चाहिए।
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