नगरपालिका चुनाव 2017, मिशन के तहत परचम लहराने की योजना
निकाय चुनाव को लेकर सपा, बसपा, कांग्रेस, भाजपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों की चौखटों पर चुनावी हलचल शुरू हो गई है।

चित्रकूट. प्रदेश में निकाय चुनाव की रणभेरी तो बज गई है लेकिन तारीखों का एलान अभी होना बांकी है, इस दौरान सपा बसपा कांग्रेस भाजपा जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों की चौखटों पर चुनावी हलचल शुरू हो गई है, और इन सबके बीच केंद्र व प्रदेश की सत्ता की खुमारी में इतराए भगवा खेमें में कुछ ज्यादा ही सक्रियता दिखाई पड़ रही है। भगवा ब्रिगेड प्रतिदिन निकाय चुनाव को लेकर कोई न कोई कार्य योजना बनाने में जुटा तो वहीं इस हलचल से विपक्षी दल भी अपनी गोटियां सेट करने में लग गए हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव से हर चुनाव को एक "मिशन" के रूप में लेने वाली भाजपा ने निकाय चुनाव को भी मिशन मानते हुए इसी स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। पार्टी पदाधिकारी कार्यकर्ता व बूथ अध्यक्ष मोहल्लों कस्बों में बैठक व भ्रमण से लेकर जातीय फ़ैक्टर को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव में दमदार प्रदर्शन से उत्साहित बीजेपी ने यूपी निकाय चुनाव में भी राजनीति की शतरंजी बिसात पर प्यादों को बैठाना शुरू कर दिया है। लोकसभा व विधानसभा चुनाव को एक मिशन के तहत मानकर चलने वाली भाजपा ने निकाय चुनाव को भी मिशन के तौर पर लिया है और बुन्देलखण्ड में जिस नगर पंचायत नगर पालिका परिषद तथा नगर निगम के तहत जितने वार्ड हैं उनकी संख्या के अनुसार चुनाव को मिशन के रूप में जीतने का फार्मूला तैयार किया जा रहा है।
चित्रकूट में एक नगर पालिका परिषद (चित्रकूटधाम कर्वी) तथा दो नगर पंचायतों (मानिकपुर व राजापुर) के अंतर्गत आने वाले कुल 49 वार्डों में फतेह हासिल करने और इन तीनों निकायों के अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने के लिए बीजेपी ने "मिशन 52" का लक्ष्य रखा है जिस प्रकार 2014 के लोकसभा चुनाव में "मिशन 365" और यूपी के 2017 के विधानसभा चुनाव में "मिशन 265+" का लक्ष्य रखा गया था।
यूपी निकाय चुनाव की सरगर्मियां मौसम की अंगड़ाई के साथ साथ बढ़ती जा रही हैं। सभी प्रमुख राजनीतिक दल इस चुनाव को हल्के में लेने के मूड में नहीं दिख रहे। एक समूचे परिदृश्य की बात की जाए तो केंद्र व प्रदेश में सत्ताधीन बीजेपी का हिलोरें मारना स्वाभाविक है तो वहीं सत्ताधीन पार्टी के बाद प्रमुख विपक्षी दल सपा भी बीजेपी से दो-दो हांथ करने को तैयार है। लोकसभा चुनाव 2014 तथा यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में औंधे मुंह गिरी बसपा" अभी जान बांकी है" के फार्मूले पर निकाय चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी में है।
सबसे बुजुर्ग पार्टी कांग्रेस इस निकाय चुनाव के माध्यम से अपना खोया वजूद वापस पाने और तलाशने की जद्दोजहद करने को आतुर दिख रही है। बात यदि इन सभी प्रमुख दलों के चुनावी तैयारी की जाए तो बीजेपी जरूर एक कदम आगे निकलती हुई दिखाई देती है और सपा भी पीछे नहीं अलबत्ता बैठकों और वार्ड भ्रमण के दौरों में बीजेपी सबसे आगे है। पार्टी का कोई न कोई क्षेत्रीय पदाधिकारी या प्रदेश स्तरीय, जनपद में प्रवास करते हुए स्थानीय कार्यकर्ताओं से पूरी रणनीति समझ रहा है।
सभी निकायों में जीतने का है लक्ष्य
जब से निकाय चुनाव की आहट शुरू हुई है तब से बीजेपी इसकी रूपरेखा बनाने में जुट गई है। विपक्षी दलों के इतर बीजेपी में स्थानीय सांसद विधायक और पदाधिकारियों से लेकर कार्यकर्ताओं के बीच बैठकों का दौर शुरू है। कार्यकर्ताओं के साथ निकाय चुनाव को लेकर बैठक करने आए बीजेपी के क्षेत्रीय संयोजक दीप अवस्थी ने कहा कि किसी भी दशा में निकाय चुनाव में फतेह हासिल करना पार्टी का लक्ष्य है और हाईकमान इस चुनाव को लेकर काफी सजग भी है।
उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड में चूंकि बीजेपी ने सभी का सफाया किया है तो इस निकाय चुनाव में भी हम पूरे दम खम के साथ उतरेंगे। जिला संयोजक निकाय चुनाव दिनेश तिवारी ने बताया कि नगर पालिका परिषद कर्वी, नगर पंचायत मानिकपुर व राजापुर में समन्वयक प्रभारी और अध्यक्ष तथा वार्ड स्तर की संचालन समिति बना दी गई है जो चुनाव को लेकर बराबर कार्य योजना बना रही है। चुनाव को लेकर 13, 14 और 15 अक्टूबर को सांसद विधायक मतदाताओं से सम्पर्क करेंगे।
सपा बसपा कांग्रेस ने भी दम बांधा
केंद्र व प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी की चुनावी तैयारियों पर नजर रखी हुई सपा भी दम बांधने लगी है। पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों के साथ चुनावी रणनीति पर मंथन का दौर शुरू हो चुका है और बीजेपी के खिलाफ मुद्दों की फेहरिस्त भी तैयार की जा रही है। सपा जिलाध्यक्ष अनुज यादव का कहना है कि पार्टी पूरी मजबूती के साथ बीजेपी को टक्कर देगी और कार्यकर्ता चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। बसपा व कांग्रेस के खेमे में हलचल थोड़ा कम है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंकज मिश्रा ने कहा कि हम भी पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरने की रणनीति बना रहे हैं।
चाय की चुस्की और चर्चा
भारतीय लोकतंत्र में चुनाव की आहट भर हो जाए और चर्चाओं का बाजार गर्म न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। विभिन्न नुक्कड़ों पर चाय पान की दुकानों यहां तक कि घर परिवारों में भी सुबह शाम की चाय की चुस्कियों के दौरान निकाय चुनाव की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। कौन जीतेगा या किसको खड़ा होना चाहिए आरक्षण के हिंसाब से या किसने काम किया या नहीं और पार्टियों में क्या चल रहा है आदि चुनावी बिंदुओं पर लोगों के बीच चर्चा सुनी जा सकती है। मठाधीशों के भी दिन लौट आए हैं जो पूरे चुनावी गणित को पलटने का दम रखने का दिखावा करते हुए संभावित प्रत्याशियों को गुणा गणित समझा रहे हैं।
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