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सियासत के बियाबान में हांथी की चाल सुस्त, साईकिल, पंजा, कमल मचा रहे हलचल

locationचित्रकूटPublished: Oct 28, 2017 06:56:05 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद राजनीतिक दलों के खेमे में भूकम्प के झटके आने शुरू हो गए हैं।

Chitrakoot Nagar Nikay

Chitrakoot Nagar Nikay

चित्रकूट. निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद राजनीतिक दलों के खेमे में भूकम्प के झटके आने शुरू हो गए हैं। टिकट के दावेदारों में पैराशूट टाइप प्रत्याशियों से लेकर जमीनी स्तर तक के कार्यकर्ता शामिल हैं। सभी प्रमुख दलों ने चुनावी बिसात पर एक-दूसरे को मात देने की रणनीति तैयार की है। बैठकों का दौर शुरू हो गया है। जुगाड़ू महत्वाकांक्षी लखनऊ व दिल्ली से संपर्क बनाए हुए हैं। सपा-भाजपा के लिए टिकट बंटवारा जहाँ गले की फ़ांस बनता जा रहा है तो वहीं कांग्रेस थोड़ा सुकून में है, क्योंकि इस पार्टी में दावेदार बरातियों की संख्या कम दिख रही है। अभी हाल फ़िलहाल, इन सबके इतर बसपा को अभी तो जैसे द्वारचार होने का इंतजार है। निकाय चुनाव में जहाँ साईकिल, पंजा कमल हलचल मचा रहे हैं, वहीं हाथी की सुस्त चाल ने उसे सियासत के बियाबान में गुम सा कर दिया है। हालाँकि पार्टी के ज़िम्मेदार कहते हैं कि बसपा शोर नहीं मचाती।
पार्टी के जिम्मेदारों की इस दलील के उनके अपने मायने हो सकते हैं परंतु एक तस्वीर जो स्पष्ट नज़र आ रही है वो है यूपी विधानसभा चुनाव में पूरी तरह चित्त और बुंदेलखण्ड में कद्दावर पार्टी नेताओं के रुखसत होने व् अपनों द्वारा ही लगाए गए आरोपों के बाद बसपा में उत्साह की कमी। इधर सपा, भाजपा व कांग्रेस ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं। सपा व भाजपा के निकाय अध्यक्षों के दावेदारों के नाम हाईकमान तक प्रेषित भी हो चुके हैं और दो तीन दिन के अंदर टिकट फाइनल होने की संभावना जताई गई है। सपा में निकाय अध्यक्षों का टिकट हाईकमान से फाइनल होगा जबकि पार्षदों का टिकट स्थानीय जिला स्तर से।
कांग्रेस भी मुकाबले के लिए कमर कस रही है। सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना भगवा खेमे को टिकट बंटवारे को लेकर करना पड़ रहा है। हालांकि पार्टी के ज़िम्मेदार इस बात से नाइत्तफाकि रखते हुए कार्यकर्ताओं को ही टिकट मिलने की बात कर रहे हैं। पैराशूट टाइप संभावित प्रत्याशियों की संख्या बीजेपी में ज्यादा दिख रही है।
यूपी निकाय चुनाव की तारीखों के ऐलान ने चुनावी भट्टी को और अधिक सुलगा दिया है। मुद्दों के गर्म लोहे पार्टियों के हांथों में मौजूद हैं एक दूसरे को दागने के लिए। सभी प्रमुख पार्टियों ने खास रणनीति बनाई है चुनावी मैदान में फतेह को लेकर. कभी सोशल इंजीनियरिंग के बूते यूपी की सत्ता पर काबिज विरोधियों को चारों खाने चित्त करने वाली बसपा इस चुनाव में वो सक्रियता अभी तक नहीं दिखा पाई है जिस हिंसाब से विपक्षी पार्टियां अंगड़ाई ले रही हैं। यहां तक की सुप्तावस्था में पड़ी कांग्रेस में भी जान आ गई है। सपा व् भाजपा तो हैं ही सक्रीय। निकाय चुनाव में खाता खोलने को आतुर सपा व् कांग्रेस बीजेपी के पिछले निकाय चुनाव प्रदर्शन को देखकर रणनीति बनाने में लगी हैं तो वहीँ बसपा की सुस्ती अभी टूट नहीं रही। अपनी कैडर बेस राजनीति के लिए पहचानी जाने वाली बसपा उत्साह के विटामिन की कमी से जूझ रही है। कई कद्दावर नेता पार्टी से मुंह मोड़ चुके हैं इसलिए लाभ से ज्यादा हानि की आशंका है पार्टी के खेवनहारों को।
हांथी की सुस्त चाल, साईकिल पंजा कमल में हलचल-

यूपी विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार का मुंह देखने वाली सपा व् कांग्रेस निकाय चुनाव के बहाने ही यूपी की सियासत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को बेताब हैं तो बसपा का हांथी मतियाया(मन्द गति) हुआ सा है। बात यदि बुंदेलखण्ड कि की जाए तो यहां कभी बसपा का अच्छा खासा बोलबाला हुआ करता था क्योंकि उसका वोटबैंक इस क्षेत्र में ठीक ठाक है। पिछले कुछ समय से लगातार पार्टी दिग्गजों के घर छोड़ने से बसपा का कैडर बिखरा हुआ नजर आ रहा है। नसीमुद्दीन सिद्दकी सहित कई छोटे बड़े कद्दावर नेता व् कार्यकर्ता पार्टी से मुंह मोड़ चुके हैं जो बसपा के लिए हानिकारक साबित हो सकता है और शायद होगा भी। दो दिन पहले जनपद के आधा दर्जन से अधिक पार्षदों ने कांग्रेस की सदस्यता ली जिनमें शामिल बसपा नेता व् पार्षद सुशील श्रीवास्तव ने पार्टी पर खरीद फ़रोख्त सहित कई आरोप लगाकर उसे कटघरे में खड़ा कर दिया है। बसपा के जिलाध्यक्ष रामलखन निषाद का कहना है कि हमारी पार्टी शोर शराबा करके चुनाव मैदान में नहीं उतरती। हम काम कर रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारा जाएगा। जिलाध्यक्ष का कहना है कि कानून व्यवस्था हमारा मुख्य मुद्दा होगा निकाय चुनाव में अन्य मूलभूत मुद्दों के साथ।
अपनों को टिकट देने का दबाव

विधानसभा चुनाव में किस कदर दल बदल हुआ ये किसी से छिपा नहीं, बीजेपी में तो बाढ़ आ गई थी गैर दलों के माननीयों के शामिल होने की और आज कई नेता विधायक की कुर्सी पर आसीन हैं। निकाय चुनाव में जमीनी कार्यकर्ताओं को कन्वेंस करना उन्हें खुश रखना बीजेपी के लिए थोडा मुश्किल होगा क्योंकि पार्टी भले ही दम्भ भरे की कार्यकर्ताओं को ही टिकिट मिलेगा लेकिन असल में टिकट ऐसे लोगों को मिल जाता है जिन्होंने चंद दिनों पहले भगवा धारण किया होता है। वहीं सपा जिलाध्यक्ष अनुज यादव का कहना है कि नगर पालिका कर्वी से अध्यक्ष पद के लिए 12, नगर पंचायत मानिकपुर से 6 तथा राजापुर से 3 दावेदारों का नाम अंतिम तौर पर हाईकमान के पास भेजा गया है। हमारे यहां पैराशूट टाइप प्रत्याशियों को कोई तवज्जो नहीं है कार्यकर्ता ही टिकट पाएंगे।
जनपद में 22 नवम्बर को होगा मतदान

निकाय चुनाव के तहत जनपद में 22 नवम्बर को पहले चरण के तहत मतदान होगा। जिले की तीन नगर निकायों (नगर पालिका परिषद कर्वी व् नगर पंचायत मानिकपुर तथा राजापुर) के अध्यक्ष तथा 49 वार्ड मेम्बरों के लिए जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करेगी। प्रशासनिक तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं. इस बार तीनों नगर निकायों में अध्यक्ष पद अनारक्षित होने से मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है।
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